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कोविड-19 संकट काल में प्रवासियों को सहारा देने की पुकार

एक अनुमान के अनुसार प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाली रक़म पर 80 करोड़ से ज़्यादा लोग निर्भर हैं.
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एक अनुमान के अनुसार प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाली रक़म पर 80 करोड़ से ज़्यादा लोग निर्भर हैं.

कोविड-19 संकट काल में प्रवासियों को सहारा देने की पुकार

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि प्रवासियों द्वारा अपने घरों व समुदायों को भेजे जाने वाली रक़म में कोविड-19 महामारी के कारण भारी गिरावट आने की आशंका है और इन हालात में प्रवासियों की हर सम्भव मदद की जानी होगी. एक अनुमान के अनुसार धन प्रेषण में 100 अरब डॉलर से ज़्यादा की गिरावट आ सकती है जिससे लाखों-करोड़ों परिवारों के कल्याण पर भारी असर होगा.

रोज़गार की तलाश में हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने घर से दूर अन्य देशों का रुख़ करते हैं और फिर अपने परिवारों को हर साल रक़म भेजते हैं.

प्रवासियों के इसी योगदान को रेखांकित करने के उद्देश्य से हर वर्ष 16 जून को ‘पारिवारिक धन प्रेषण का अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Family Remittances) मनाया जाता है.

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महासचिव गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने सन्देश में उन 20 करोड़ प्रवासियों के संकल्प को याद किया जो नियमित रूप से मूल स्थान पर रहने वाले अपने परिवारों को धन भेजते हैं. विकासशील देशों में समुदायों में रहने वाले उन करोड़ों परिवारों को भी जो इन संसाधनों पर निर्भर हैं.

प्रवासियों ने वर्ष 2019 में कुल 554 अरब डॉलर की रक़म अपने घर भेजी थी जो एक रिकॉर्ड है.

अप्रैल 2020 में विश्व बैंक का अनुमान था कि कोविड-19 महामारी और उसके कारण लगाई गई पाबन्दियों से उपजे आर्थिक संकट का असर धन प्रेषण पर पड़ेगा और उसमें भारी गिरावट दर्ज किए जाने की आशंका है.

विश्व बैंक ने धन प्रेषण में लगभग 19 फ़ीसदी की गिरावट होने की सम्भावना जताई है. लाखों प्रवासी कामगारों का रोज़गार ख़त्म हो गया है जिससे उन पर निर्भर परिवारों के ग़रीबी रेखा से नीचे जाने की आशंका है.

यूएन प्रमुख ने प्रवासियों को वैश्विक अर्थव्यवस्था का इन्जिन बताया जो दुनिया भर में बेहतरी के लिए अपना अहम योगदान देते हैं.

उन्होंने कहा कि प्रवासियों की मदद के लिए धन प्रेषण और वित्तीय सेवाओं में लगने वाले शुल्क को कम किया जाना होगा, ख़ासतौर पर ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले परिवारों के लिए.

इसके अलावा एक ज़्यादा सुरक्षित और स्थिर भविष्य के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है.

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि इस दिशा में उपायों को सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ पहल में सुझाया गया है.

जून महीने की शुरुआत में यूएन प्रमुख ने एक नीति-पत्र जारी करते हुए प्रवासियों द्वारा झेली जा रही मुश्किलों और सामाजिक-आर्थिक संकट के प्रति आगाह किया था.

विशेष रूप से उन प्रवासियों के बारे में जो अनौपचारिक सैक्टर में काम करते हैं और जिन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ उपलब्ध नहीं हैं.

महासचिव गुटेरेश ने संकट काल में मानवीय गरिमा को बरक़रार रखने की पुकार लगाते हुए कहा था कि उन देशों से सबक़ सीखने होंगे जिन्होंने सीमाओं पर नियन्त्रण स्थापित किया है और यात्रा सम्बन्धी पाबन्दियाँ लगाई हैं, लेकिन साथ ही शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानकों का भी सम्मान किया है.

हर वर्ष 16 जून को मनाए जाने वाले इस दिवस पर सरकारों, निजी संस्थाओं और नागरिक समाज संगठनों से असरदार उपाय लागू करने का आहवान किया जाता है ताकि वैयक्तिक और सामूहिक प्रयासों के ज़रिये धन-प्रेषण को ज़्यादा प्रभावी बनाया जा सके.