कोविड-19 व्यवधान के बाद मानवाधिकार परिषद का सत्र फिर शुरू, नस्लभेद पर होगी चर्चा
कोविड-19 महामारी के कारण तीन महीने के लम्बे अन्तराल के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का सत्र सोमवार को फिर शुरू हुआ जिसमें नस्लवाद के मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराए जाने को हरी झण्डी दी गई है. ग़ौरतलब है कि अमेरिका में एक काले अफ़्रीकी व्यक्ति जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद अनेक देशों में नस्लीय न्याय की माँग के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं.
परिषद की प्रमुख एलिज़ाबेथ टिखी-फ़िसेलबर्गर ने मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र की 35वीं बैठक की शुरुआत करते हुए अफ्रीकी समूह के कोऑर्डिनेटर बुर्किना फ़ासो को सम्बोधन के लिए आमंन्त्रित किया.
बुर्किना फ़ासो के प्रतिनिधि ने कहा कि अमेरिका के मिनियापॉलिस शहर में 25 मई को जियॉर्ज फ़्लॉयड की त्रासद मौत के बाद अन्याय और पुलिस क्रूरता के ख़िलाफ़ दुनिया भर में प्रदर्शन हुए हैं.
उन्होंने कहा कि यह मौत कोई एक अकेली घटना नहीं है और दुनिया के अनेक हिस्सों में अफ़्रीकी मूल के लोगों को ऐसी मुश्किलें रोज़मर्रा के जीवन में सहनी पड़ती हैं.
#HRC43 is resuming 15-19 June 2020 @UNGeneva after its suspension due to #COVID19. Safety measures have been put in place at Palais des Nations to ensure the well-being of all participants.📺Follow it live on https://t.co/v45v8mL0yq👉https://t.co/kh8S72DFOU#HumanRights pic.twitter.com/N7RutwjH8W
UN_HRC
बुर्किना फ़ासो ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मानवाधिकार परिषद द्वारा इस मुद्दे पर विमर्श नहीं किया जाना समझ से परे होगा.
इसी मन्तव्य से अफ़्रीकी समूह ने मानवाधिकार परिषद से मानवाधिकारों के मौजूदा उल्लंघनों पर तत्काल एक बहस कराए जाने का आग्रह किया है.
इसमें नस्लवाद, प्रणालीगत नस्लभेद, अफ़्रीकी मूल के लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस क्रूरता और शान्तिपूर्ण ढँग से प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध हिंसा सहित अन्य तरह के अन्यायों को रोकने के रास्तों पर विचार-विमर्श होगा.
इस चर्चा के प्रस्ताव को समर्थन मिला है और चर्चा के लिए बुधवार, 17 जून, का दिन तय किया गया है.
नस्लवाद और पुलिस हिंसा की त्रासदी
मानवाधिकार परिषद की अध्यक्ष टिखी-फ़िसेलबर्गर ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि अफ़्रीकी समूह की ओर से यह आग्रह अमेरिका में जियॉर्ज फ़्लॉयड के साथ हुई घटना के बाद किया गया है जिससे नस्लवाद, पुलिस हिंसा और उसके बाद के घटनाक्रम में हुई समस्याओं पर ध्यान गया है.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करने के लिए जियॉर्ज फ़्लॉयड के परिवार के किसी सदस्य को आमन्त्रित किया गया है या नहीं, लेकिन समूह द्वारा इस सम्बन्ध में एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जाएगा.
इससे पहले पिछले सोमवार को 600 से ज़्यादा मानवाधिकार समूहों ने जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद कथित पुलिस हिंसा की जाँच किए जाने की पुकार लगाई थी जिसके बाद अफ़्रीकी समूह की ओर से यह पहल की गई है.
उन्होंने बताया कि यह मुद्दा सार्वभौमिक है और अनेक देशों में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ के तहत विरोध प्रदर्शन किए गए हैं.
“जैसाकि आपने, यहाँ जिनीवा सहित, दुनिया भर में प्रदर्शनों के दौरान देखा होगा, यह एक ऐसा विषय है जो किसी एक देश के बारे में नहीं है. यह उससे भी परे जाता है.”
“जब मैंने कहा कि यह अमेरिका के ख़िलाफ़ नहीं है तो मेरा मतलब था कि दुनिया के अनेक देशों में नस्लवाद के ख़िलाफ़ शिकायतें हैं, योरोप में भी, लेकिन यहीं नहीं, आप ऐसा दुनिया भर में देखते हैं.”
शारीरिक दूरी बरतने का ध्यान
इस सत्र के लिए सदस्य देश और ग़ैरसरकारी संगठन एसेम्बली हॉल में एकत्र हुए जहाँ क़रीब दो हज़ार लोगो के बैठने की क्षमता है लेकिन स्विट्ज़रलैंड सरकार के स्वास्थ्य दिशानिर्देशों के तहत इसमें 90 फ़ीसदी की कटौती की गई है.
संक्रमण के ख़तरे की रोकथाम के लिए फ़ेस मास्क और दस्ताने पहनने व अन्य ऐहतियाती उपाय लिए गए हैं.
आमतौर पर प्रतिनिधिनमण्डल में दो-तीन सदस्य उपस्थित रहते हैं लेकिन कोरोनावायरस के कारण शारीरिक दूरी बरते जाने का ध्यान रखा गया है और महज़ एक प्रतिनिधि की मौजूदगी रही.
मानवाधिकार परिषद का कार्य फिर से शुरू किए जाने का निर्णय दर्शाता है कि स्विट्ज़रलैंड में धीरे-धीरे हालात पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
साथ ही ऑस्ट्रिया, फ़्राँस और जर्मनी के साथ सीमाएँ 15 जून को खोली जा रही हैं.
स्विट्ज़रलैंड में कोविड-19 महामारी के संक्रमण के अब तक 31 हज़ार मामलों की पुष्टि हो चुकी है और एक हज़ार 600 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
इस बीच नस्लीय भेदभाव पर संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने सोमवार को अमेरिका से ढाँचागत सुधार लागू करने का आहवान किया है ताकि नस्लीय भेदभाव का अन्त किया जा सके और नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर अन्तरराष्ट्रीय सन्धि के तहत दायित्वों को पूरा किया जा सके.
यूएन समिति ने एक ऑनलाइन औपचारिक बयान जारी करके अमेरिका से इस सन्धि का पूर्ण सम्मान करने की बात कही है जिस पर अमेरिका ने वर्ष 1994 में मुहर लगाई थी.
इस समिति में 18 स्वतन्त्र विशेषज्ञ होते हैं जिन्होंने मिनियापॉलिस में जियॉर्ज फ़्लॉयड और अन्य निहत्थे अफ़्रीकी-अमेरिकी व्यक्तियों की पुलिस अधिकारियों के हाथों त्रासदीपूर्ण मौतों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.