कोविड-19: अनिश्चितता से निपटने के लिए कमर कस रहे हैं वैश्विक खाद्य बाज़ार
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण खाद्य बाज़ारों में अगले कई महीनों तक अनिश्चितता क़ायम रहने की आशंका है लेकिन इसके बावजूद कोरोनावायरस संकट से प्रभावित अन्य सैक्टरों की तुलना में कृषि-खाद्य (Agri-food) सैक्टर इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर ढँग से तैयार दिख रहे है.
यूएन एजेंसी की नई रिपोर्ट ‘Food Outlook’ में स्पष्ट किया गया है कि कोविड-19 से खाद्य सैक्टर का हर पहलू किसी ना किसी रूप में प्रभावित हुआ है. साथ ही खाद्य सुरक्षा पर गम्भीर ख़तरा पैदा हुआ है लेकिन अन्य सैक्टरों की तुलना में अब भी कृषि वस्तुओं का बाज़ार सुदृढ़ दिखाई दे रहा है.
Global food markets still brace for uncertainty in 2020/21 because of #COVID19 - 🆕@FAO #FoodOutlook report.Globally there is enough food for everyone but the decline in economic growth due to the pandemic has translated into an issue of access to food.https://t.co/TfM1fo23jw pic.twitter.com/dbmv8MGqix
FAOnews
यूएन एजेंसी के मुताबिक दुनिया में सभी के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन होगा लेकिन आर्थिक क्षेत्र में आघातों के कारण लोगों के लिए खाने-पीने की वस्तुओं की उपलब्धता प्रभावित हुई है.
इससे पोषक आहार पाने की लोगों की क्षमता पर असर पड़ा है, ख़ासतौर पर उन देशों में जो कोविड-19 का फैलाव शुरू होने से पहले से ही भुखमरी और अन्य संकटों से बदहाल हैं.
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि मौजूदा अनिश्चितताओं के मद्देनज़र अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्कता बनाए रखनी होगी और ज़रूरत पड़ने पर तत्काल ज़रूरी उपाय करने होंगे.
रिपोर्ट में मौजूदा कोविड-19 संकट की तुलना वर्ष 2007-09 के संकट से की गई है और दोनों परिस्थितियों में देशों और खाद्य वस्तुओं पर होने वाले असर में अन्तरों और समानताओं को समझने की कोशिश की गई है.
यूएन एजेंसी के अनुसार 2007-08 में खाद्य क़ीमतों के संकट की तुलना में अब दुनिया बेहतर ढँग से तैयार दिख रही है - वैश्विक खाद्य उत्पादन के अनुमान सकारात्मक हैं, भण्डारण का स्तर ऊँचा है, अन्तरराष्ट्रीय खाद्य क़ीमते कम हैं और व्यापार की नींव पहले की तुलना में व्यापक है, साथ ही आयात-निर्यात में शामिल देशों की संख्या अधिक है.
साथ ही नीति-निर्धारकों को ऐसे संकटों का सामना करने में पहले की तुलना में अब ज़्यादा तैयार बताया गया हैं. मुख्य उत्पादों के रुझान इस तरह हैं:
अनाज
यूएन एजेंसी का आकलन दर्शाता है कि महामारी से उपजी अनिश्चितताओं के बावजूद 2020/21 में अनाज की माँग और आपूर्ति में हालात सामान्य बने रहेंगे. शुरुआती अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2020 में अनाज का उत्पादन 2019 की तुलना में 2.6 फ़ीसदी ज़्यादा होगा.
वर्ष 2020/21 में विश्व में सभी प्रकार के अनाजों का व्यापार 43 करोड़ टन से ज़्यादा होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में 94 लाख टन (2.2 फ़ीसदी) ज़्यादा है.
माँस
दुनिया में माँस के कुल उत्पादन में वर्ष 2020 में 1.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा सकती है. इसका कारण पशुओं में बीमारियाँ, सूखे का असर और कोविड-19 से बाज़ार में आए व्यवधान को बताया गया है.
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर माँस व्यापार में सामान्य बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद जताई गई है लेकिन यह 2019 की तुलना में धीमी होगी. कोविड-19 के कारण आयात में कमी आने, आवाजाही प्रभावित होने और पुराने माल की बिक्री ना होने से माँस की क़ीमतों में जनवरी 2020 से अब तक 8.6 फ़ीसदी की गिरावट आ चुकी है
मछली
कोविड-19 महामारी का समुद्री भोजन के बाज़ार पर पर भी भारी असर हुआ है, ख़ासतौर पर उन प्रजातियों पर जो रेस्तराँ में आम तौर पर पसन्द की जाती हैं.
मछली पकड़ने के लिए प्रयोग होने वाले जहाज़ लंगर से बँधे हैं और मछली पालन (Aquaculture) से जुड़े किसानों ने अपने उत्पादन कम कर दिए हैं.
महामारी का असर वैश्विक स्तर पर झीन्गा उत्पादन पर भी पड़ा है. उदाहरण के तौर पर झीन्गा के उत्पादन में 30 से 40 फ़ीसदी की गिरावट का अनुमान है.
एशिया में झीन्गा उत्पादन का मौसम अप्रैल महीने में शुरू होता है लेकिन अब यह जून-जुलाई तक टल गया है.
चीनी
विश्व में चीनी के उत्पादन में लगातार दूसरे साल गिरावट दर्ज की जा सकती है और पिछले तीन सालों मे पहली बार होगा जब उत्पादन अनुमानित खपत के स्तर से भी कम होगा.
लेकिन चीनी के व्यापार में बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है जिसकी वजह क़ीमतों का कम होना और पारम्परिक रूप से चीनी आयात करने वाले देशों में भण्डारण व्यवस्था के प्रयासों को बताया गया है.
दूध
कोविड-19 महामारी से बाज़ार में आए व्यवधान का दूध उत्पादन पर कोई ख़ास असर दिखाई नहीं दिया है और यह वर्ष 2020 में 0.8 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. लेकिन डेयरी वस्तुओं का निर्यात घटने का अनुमान है क्योंकि आयात की माँग में कमी दर्ज की जा रही है.