कोविड-19: भीषण तबाही रोकने के लिए मानवीय सहायता में निवेश की दरकार

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद (ECOSOC) में मंगलवार को ऐसी ज़ोरदार अपीलें पेश की गईं कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक मानवीय प्रतिक्रिया योजना के लिए और ज़्यादा धन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. परिषद का वार्षिक मानवीय मामलों का दौर मंगलवार को वीडियो टैली-कान्फ्रेन्सिंग के ज़रिये शुरू हुआ, जोकि इसके इतिहास में पहली बार है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने उदघाटन टिप्पणी में कहा, “कोविड-19 महामारी के फैलने से पहले भी, दुनिया बहुत दर्दनाक मानवीय तकलीफ़ों का सामना कर रही थी. अब वायरस ने भुखमरी और ग़रीबी का जोखिम और ज़्यादा बढ़ा दिया है – और दशकों के दौरान हासिल की गई प्रगति के लाभों को पलट दिया है.”
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महासचिव ने कहा, “हम सभी को उन लोगों के साथ एकजुटता दिखानी होगी जो वायरस का मुक़ाबला अपने दम पर करने में सक्षम नहीं हैं. ये ना केवल बिल्कुल सही है, बल्कि यही एक मात्र ऐसा रास्ता हे जिसके ज़रिये हम इस चुनौती का मुक़ाबला कर सकते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के राहत व आपदा मामलों के संयोजक मार्क लोकॉक ने कहा कि मानवीय राहत प्रतिक्रिया योजना को दिसम्बर तक अपने सहायता कार्यक्रम जारी रखने के लिए 6 अरब 70 करोड़ डॉलर की रक़म की ज़रूरत है. इसी रक़म के ज़रिये निम्न व मध्य आय वाले देशों में कोरोनावायरस के प्रभाव का मुक़ाबला किया जाएगा.
लेकिन अभी तक केवल एक अरब 20 करोड़ डॉलर की रक़म ही हासिल हुई है, जोकि कुल योजना का लगभग 17.4 प्रतिशत है.
मार्क लोकॉक ने कहा, “इस स्तर पर धन निवेश करने से समस्या की गम्भीरता को कम करने में मदद मिलेगी और आने वाले वर्षों में किसी भी प्रतिक्रिया योजना पर आने वाली लागत के बढ़ने से भी बचा जा सकेगा.”
आर्थिक व सामाजिक परिषद का ये मौजूदा सम्मेलन तीन दिन चलेगा जिसमें विश्व में उभरते व प्रमुख मानवीय मुद्दों पर विचार किया जाएगा, और ये ऐसे समय में हो रहा है जब संयुक्त राष्ट्र अपनी 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है.
इस सत्र के एजेंडा पर अनेक मुद्दे हैं जिनमें सहेल क्षेत्र की स्थिति, यौन व लैंगिक हिन्सा, देशों के भीतर ही विस्थापित लोगों को सहायता मुहैया कराना और मानवीय सन्दर्भ में बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों का मुक़ाबला करना शामिल हैं.
इस सत्र में सदस्य देशों के साथ-साथ, यूएन प्रणाली, विकास भागीदार, निजी क्षेत्र व अन्य पार्टनर शिरकत कर रहे हैं. इसमें इस विषय पर भी विचार किया जाएगा कि नई प्रोद्योगिकी और नवाचार के ज़रिए मानवीय सहायता कार्य को और ज़्यादा असरदार कैसे बनाया जा सकता है.
मार्क लोकॉक ने आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी में विकासशील देशों में भारी तबाही मचा देने की क्षमता है. विश्व के सबसे निर्धन देशों में रहने वाले सबसे कमज़ोर और वंचित लोगों को सहारा देने पर लगभग 90 अरब डॉलर की रक़म ख़र्च होगी.
ये काफ़ी बड़ी रक़म है, लेकिन ये ऐसी रक़म भी है जो जुटाई जा सकती है. ये विश्व के सबसे धनी देशों द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए नियोजित कुल रक़म के केवल एक प्रतिशत हिस्से के बराबर है.
उन्होंने धन मौजूदा मानवीय सहायता संसाधनों से हटाकर कहीं और ख़र्च करने के ख़िलाफ़ आगाह करते हुए कहा कि ऐसा करना पूरी तरह से विध्वंसकारी होगा.
उन्होंने दानदाताओं से ये भी कहा कि वो धन सहायता की शर्तें लचीली बनाएँ ताकि उसे ख़र्च करने की निर्णय प्रक्रिया यथाशीघ्र तेज़ हो सके.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि दान में दी जाने वाली रक़म में स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तरों पर ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिये समर्थन भी शामिल होना चाहिए.
इसमें ख़ास ध्यान महिलाओं और बच्चों की ज़रूरतें से जुड़ी प्राथमिकताओं पर भी होना चाहिए.
उन्होंने कहा, “साथ ही हमें ये भी देखना होगा कि दुनिया भर में भारी तकलीफ़ों का सामना कर रहे लोगों की भी अनदेखी ना हो, इनमें लम्बे समय से चली आ रहीं असमानताओं, जलवायु आपदा और लम्बे समय से चल रहे संघर्ष और युद्ध की स्थितियाँ भी शामिल हैं.”
महासचिव ने इस मौक़े पर दुनिया के हर कोने में संघर्ष और युद्धक गतिविधियाँ रोककर युद्धविराम लागू करने की अपनी अपील भी दोहराई.