‘प्रकृति का स्पष्ट सन्देश’: महामारियों की रोकथाम के लिए पर्यावरण की रक्षा अहम

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि मानवीय गतिविधियों से प्रकृति को पहुँचने वाली क्षति को हर हाल में रोकना होगा और पर्यावरण सरंक्षण के लिए वैश्विक समुदाय को अपना रास्ता बदलना होगा. शुक्रवार, 5 जून, को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पृथ्वी व मानव स्वास्थ्य के बीच सम्बन्ध और मानव जीवन को सहारा देने वाली जैवविविधता की रक्षा की अहमियत को रेखांकित किया जा रहा है.
वर्ष 2020 में कार्यक्रम की टैगलाइन ‘प्रकृति के लिए समय’ (Time for Nature) है जिसकी मेज़बानी कोलम्बिया कर रहा है. इसके तहत कई वर्चुअल कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जो ऑनलाइन देखे जा सकते हैं.
To care for humanity, we must care for nature.As we work to build back better, let’s put nature where it belongs - at the heart of our decision making.On #WorldEnvironmentDay and every day, it’s time #ForNature.https://t.co/FRczOcLPUv pic.twitter.com/v1TtB3HorC
antonioguterres
विलुप्ति के कगार पर पहुँच रहे दस लाख से ज़्यादा पशु, पक्षियों और पौधों की प्रजातियों पर मँडराते ख़तरे के मद्देनज़र इस वर्ष की थीम ‘जैवविविधता संरक्षण’ रखी गई है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि प्रकृति हमें स्पष्ट सन्देश दे रही है कि हम जिस तरह प्रकृति को क्षति पहुँचा रहे हैं उससे हमारा ही नुक़सान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि पर्यावास क्षरण और जैवविविधता के विलुप्त होने की गति तेज़ हो रही है, जलवायु व्यवधान पहले से कहीं ज़्यादा हो रहे हैं.
इन चुनौतियों पर चिन्ता ज़ाहिर करते हुए यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि मानवता का ख़याल रखने के लिए प्रकृति का ध्यान रखना होगा.
मौजूदा कोविड-19 संकट की छाया इस दिवस पर भी है और यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि पिछले 50 वर्षों में जनसंख्या दोगुनी होने और उसी अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था के चार गुना होने पर प्रकृति के साथ नाज़ुक सन्तुलन प्रभावित हुआ है, जिससे ऐसे वायरसों के फैलने के लिए परिस्थितियाँ बन गई हैं.
मानवाधिकारों और पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर ने इससे पहले अपने सन्देश में आगाह किया था कि 70 फ़ीसदी से ज़्यादा संक्रामक बीमारियाँ जंगलों से निकल कर लोगों तक पहुँच रही हैं.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए रूपान्तरकारी बदलावों की तत्काल आवश्यकता है.
कुछ समय तक ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र तालाबन्दी और सख़्त पाबन्दियों को अब चरणबद्ध ढँग से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है और साथ ही सरकारों ने रोज़गार सृजन, ग़रीबी उन्मूलन, विकास व आर्थिक प्रगति के लिए आर्थिक पैकेजों की घोषणा की है.
ऐसे में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने देशों से पुनर्बहाली प्रक्रिया में बेहतर निर्माण की अहमियत को रेखांकित किया है जिससे पर्यावरण संरक्षण का भी ख़याल रखा जा सके.
इन प्रयासों के तहत नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट आवास, हरित सार्वजनिक ख़रीद प्रक्रिया और सार्वजनिक परिवहन, हरित अर्थव्यवस्था में निवेश करना महत्वपूर्ण होगा और ऐसा करते समय टिकाऊ उत्पादन और खपत के मानकों का ध्यान रखा जाना होगा.
लेकिन यूएन पर्यावरण एजेंसी ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा है कि अगर पहले जैसे ढर्रे पर लौटने की कोशिशें हुईं तो फिर विषमताएँ पहले से कहीं अधिक गहरी होंगी और पृथ्वी के क्षरण की गति और ज़्यादा तेज़ हो जाएगी.
वर्ष 1974 में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की शुरुआत के बाद यह संयुक्त राष्ट्र के सबसे अहम वार्षिक कार्यक्रमों में शुमार हो गया है.
इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्रवाई और पृथ्वी के दीर्घकालीन भविष्य की रक्षा के प्रयासों को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वव्यापी जागरूकता का प्रसार किया जाता है.