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किशोर उम्र से ही तम्बाकू सेवन की लत से बचाने की मुहिम

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार दुनिया भर में हर साल तम्बाकू उत्पादों के सेवन से लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
Unsplash/Sebastiaan Stam
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार दुनिया भर में हर साल तम्बाकू उत्पादों के सेवन से लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

किशोर उम्र से ही तम्बाकू सेवन की लत से बचाने की मुहिम

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में हर साल तम्बाकू उत्पादों के सेवन से लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है जिन्हें बहकाने के लिए ऐसी विज्ञापन रणनीतियों का सहारा लिया जाता है जिन पर 9 अरब डॉलर का ख़र्च होता है. 

संगठन का कहना है कि यहाँ तक कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौर में भी तम्बाकू और निकोटीन उद्योग जगत अपने उत्पादों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है, जबकि ये मालूम है कि इन उत्पादों के सेवन से नए कोरोनावायरस का मुक़ाबला करने और बीमारी से उबरने में लोगों की क्षमता सीमित होती है. 

संगठन ने बात 31 मई को विश्व तम्बाकू निषिद्ध दिवस के मौक़े पर कही. इस बार इस दिवस पर एजेंसी ने ख़ासतौर से किशोरों पर ध्यान केन्द्रित किया जिन्हें तम्बाकू उद्योग अपना निशाना बना रहा है.

संगठन का अनुमान है कि 13 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग चार करोड़ किशोर अब तक तम्बूक सेवन का आदी हो चुके हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने वक्तव्य में आगाह करते हुए कहा कि धूम्रपान फेफड़ों व अन्य अंगों को दबोचता है और उनमें ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित करता है जिसकी उन्हें अच्छी तरह काम करने के लिए बहुत ज़रूरत होती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी युवाओं से तम्बाकू सेवन मुक्त पीढ़ी बनने की जद्दो-जहद में शामिल होने का आहवान किया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य प्रोत्साहन विभाग के निदेशक रुएडीजर क्रेश का कहना है कि युवाओं को शिक्षित करना व जागरूक बनाना बहुत अहम है क्योंकि 10 तम्बाकू सेवन करने वालों में से 9 ऐसे होते हैं जो 18 वर्ष की उम्र से पहले ही तम्बाकू सेवन शुरू कर देते हैं.

“हम युवाओं को ऐसी जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं कि वो तम्बाकू उद्योग जगत द्वारा किए जा रहे जोड़-तोड़ के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकें.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोर-किशोरियों को तम्बाकू सेवन की लत से बचाने के लिए उन चालाकियों की तरफ़ ख़ास ध्यान आकर्षित किया है जो उन्हें इस लत की तरफ़ खींचने के लिए तम्बाकू उद्योग जगत द्वारा अपनाई जाती हैं.

ई-सिगरेट और हुक्का हानिकारक हैं

संगठन का कहना है कि जिन ई-सिगरेट व हुक्का-पाइप को सिगरेट का सुरक्षित विकल्प कहा जाता है, वो हानिकारक हैं, उनकी लत लगती है, और उनके इस्तेमाल से भी हृदय और फेफड़ों की बीमारियाँ होने का ख़तरा बढ़ता है.

यूएन स्वास्थ्य एजेन्सी ने ध्यान दिलाया है कि तम्बाकू उत्पादों में इस समय लगभग 15 हज़ार ज़ायक़े उपलब्ध हैं जिनमें बबल-गम और कैण्डी भी शामिल हैं.

ये किशोरों को आकर्षित करने के लिए बेचे जा रहे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें इस्तेमाल करने वालों द्वारा अपने जीवन में आगे चलकगर ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने की सम्भावनाएँ दो गुनी होती हैं.

कोविड-19 के दौर में तम्बाकू उद्योग जगत द्वारा अपनी विज्ञापन रणनीति के तहत अपने ब्रैण्ड वाले निशुल्क फ़ेस मास्क उपलब्ध कराना और एकान्तवास में रहने वाले लोगों को मुफ़्त घर सामान पहुँचाने की सेवाएँ देना भी शामिल हैं.

स्वास्थ्य एजेन्सी का कहना है कि तम्बाकू उद्योग जगत ने अपने उत्पादों को “आवश्यक” सेवाओं की श्रेणी में शामिल करने के लिए भी ज़ोर लगाया है.