संकट काल में शान्तिरक्षक हैं - 'निस्वार्थ सेवा व बलिदान' के प्रतीक

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को ‘अन्तरराष्ट्रीय यूएन शान्तिरक्षक दिवस’ के अवसर पर तीन हज़ार 900 से ज़्यादा उन सभी शान्तिरक्षकों को श्रृद्धासुमन अर्पित किए हैं जिन्होंने वर्ष 1948 से यूएन के झण्डे तले विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है.
इस अवसर पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण संगठन के कार्यों में बड़ा बदलाव ज़रूर आया है लेकिन सेवा, बलिदान और निस्वार्थ भाव से कार्य करने की भावना नहीं बदली है.
#WomenInPeacekeeping are on the front lines of the #COVID19 response in already fragile situations, working to support communities and protect the vulnerable.We must do more to achieve women’s equal representation in all areas of peace & security. #PKDay pic.twitter.com/nxmjOIYuxp
antonioguterres
यूएन महासचिव ने उन 95 हज़ार से अधिक शान्तिरक्षकों का आभार जताया है जो 13 देशों में यूएन के मिशनों में सेवारत हैं.
उन्होंने कहा, “हर दिन हमारे शान्तिरक्षक कोविड-19 से मुक़ाबला करते हुए निर्बल स्थानीय समुदायों की रक्षा करने, संवाद का समर्थन करने और शासनादेश (Mandate) लागू करने का काम जारी रखे हुए हैं.”
उन्होंने कहा कि इस संकट के समाधान का हिस्सा बनने के लिए वे हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं और महामारी से समुदायों व अपना बचाव भी कर रहे हैं.
इस वर्ष के दिवस का मुख्य विषय (Theme) ‘शान्तिरक्षा में महिलाओं की भूमिका’ है और इसके ज़रिये यूएन मिशनों में उनकी केन्द्रीय भूमिका को रेखांकित किया जा रहा है.
यूएन प्रमुख ने बताया की महिलाओं की मौजूदगी से शान्तिरक्षा अभियानों की विभिन्न ज़रूरतों को हर स्तर पर बेहतर ढँग से पूरा करने में मदद मिलती है.
इस दौरान एक कार्यक्रम में यूएन महासचिव ने वर्ष 2019 के ‘यूएन मिलिट्री जैन्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर' अवॉर्ड से ब्राज़ील और भारत की महिला शान्तिरक्षकों को भी सम्मानित किया.
ब्राज़ील की नौसैनिक अधिकारी कमान्डर कार्ला मोन्तिएरो डी कास्त्रो अराउजो मध्य अफ़्रीका गणराज्य में यूएन मिशन (MINUSCA) में कार्यरत हैं और भारतीय सेना की मेजर सुमन गवानी दक्षिण सूडान के यूएन मिशन (UNMISS) में सैन्य पर्यवेक्षक के तौर पर ज़िम्मेदारी संभाल चुकी हैं.
यह पहली बार है जब ये पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जा रहा है.
इस पुरस्कार की शुरुआत 2016 में हुई जिसका उद्देश्य महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा मामलों पर, सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1325 के सिद्धान्तों को बढ़ावा देने के प्रयासों को सम्मानित किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा मामलों के विभाग के मुताबिक महिला शान्तिरक्षकों की संख्या बढ़ाने से ज़्यादा विश्वसनीय ढंग से रक्षा दायित्व निभाये जा सकते हैं और स्थानीय समुदायों के सभी सदस्यों की ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं.
शान्तिरक्षा दस्तों में महिला शान्तिरक्षकों के होने से स्थानीय महिलाओं और पुरुषों तक पहुँचने, महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने और सुरक्षा चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है.
उनकी मौजूदगी से स्थानीय समुदायों में हिन्साग्रस्त इलाक़ों में महिलाओं की ज़रूरतों को समझना और उनके अधिकारों की पैरवी करना सम्भव हो पाता है.
साथ ही महिला शान्तिरक्षक स्थानीय महिलाओं के लिए अक्सर प्रेरणा का भी स्रोत होती हैं.