वैश्विक स्वास्थ्य में निवेश के लिए यूएन एजेंसी का नया फ़ाउन्डेशन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए धनराशि जुटाने के लक्ष्य से एक नए संस्थान (WHO Foundation) की स्थापना की गई है जिसके ज़रिये ग़ैर-पारम्परिक स्रोतों से धनराशि जुटाने का इन्तज़ाम किया जाएगा. यह संस्थान एक स्वतन्त्र इकाई के रूप में दानदाताओं से मिलने वाली सहायता की बुनियाद को मज़बूत बनाने के लिए रणनीति का अहम हिस्सा होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि इस फ़ाउन्डेशन का सुझाव संगठन के ही एक कर्मचारी ने तीन साल पहले उस समय दिया था जब यूएन एजेंसी में कायापलट सुधारों के लिए सुझाव माँगे गए थे.
WHO welcomes the creation of the WHO Foundation, an independent grant-making entity headquartered in Geneva, that will support our efforts to address the most pressing global health challenges.👉 https://t.co/A1gMX9c3dq pic.twitter.com/bjff7iXtuG
WHO
उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए सबसे बड़ा जोखिम यह है कि 20 फ़ीसदी से भी कम बजट सदस्य देशों के लिए निर्धारित योगदानों से आता है जबकि 80 प्रतिशत से अधिक बजट स्वैच्छिक योगदानों से प्राप्त होता है, जो आम तौर पर विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए ही तय होता है.
उनके मुताबिक यूएन एजेंसी के पास अपनी धनराशि को ख़र्च करने के सिलिसिले में निर्णय लेने का ज़्यादा अधिकार नहीं है.
WHO फ़ाउन्डेशन, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी से क़ानूनी रूप से अलग होगा और सार्वजनिक योगदानों, प्रमुख दानदाता हस्तियों और कॉरपोरेट साझीदारों से योगदानों को हासिल करने में मदद करेगा.
यह ऐसे अनुदानों को सम्भव बनाएगा जिनसे वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में यूएन एजेंसी के प्रयासों को सहारा मिलेगा. इनमें एक अरब से ज़्यादा लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज के दायरे में लाना शामिल है.
यूएन एजेंसी के प्रमुख ने बताया कि इस फ़ाउन्डेशन का हाल में बजट की रक़म से जुड़े मुद्दों से कोई सम्बन्ध नहीं है.
ग़ौरतलब है कि अप्रैल 2020 में अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपने योगदान की रक़म का भुगतान तब तक रोकने की बात कही थी जब तक कोविड-19 महामारी से निपटने में यूएन एजेंसी की शुरुआती कार्रवाई की समीक्षा नहीं हो जाती.
इस सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक घोषणापत्र में कोविड-19 महामारी के बाद हरित भविष्य के लिए ब्लूप्रिन्ट का मसौदा पेश किया गया है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि मौजूदा संकट से लोगों के जीवन में भारी उथलपुथल हुई है और एक बड़ी मानवीय क़ीमत चुकानी पड़ी है. लेकिन इसने एक झलक दिखाई है कि अगर देश एक साथ मिलकर काम करें और जलवायु परिवर्तन व वायु प्रदूषण के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें तो वो दुनिया कैसी होगी.
“ऐसे समय जबकि कुछ देश अपने समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोल रहे हैं, हमें यह सवाल पूछना होगा कि क्या हमें पहले जैसे हालात में लौट जाना चाहिए, या फिर क्या हम पृथ्वी के साथ हमारे रिश्ते के बारे में इस महामारी का मुक़ाबला करने में हुए अनुभवों से सबक़ सीखेंगे.”
उन्होंने कहा कि बेहतर पुनर्निर्माण का अर्थ पहले से अधिक हरित निर्माण से है.
इस घोषणापत्र में छह सुझाव दिए गए हैं जिनमें प्रकृति के संरक्षण को सर्वोपरि बताया गया है जिस पर मानवीय जीवन निर्भर है. वायु, भोजन और जल जीवन का स्रोत हैं.
साथ ही इनमें जल और स्वच्छता की सुलभता को सुनिश्चित करने, स्वच्छ ऊर्जा में निवेश और स्वस्थ व टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने की बात कही गई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक स्वास्थ्य को शहरी योजनाओं के हर पहलू में एकीकृत करना होगा – परिवहन प्रणालियों से आवास योजनाओं तक – और जलवायु परिवर्तन व प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार जीवाश्म ईंधनों को अनुदान देना बन्द करना होगा.