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कोविड-19: प्रवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा की पुकार

वेनेज़्वेला छोड़कर लातिन अमेरिका के दूसरे देशों को जाने वाले हज़ारो लोगों को यूरोपीय संघ और रेड क्रॉस से मदद मिल रही है.
2018 European Union/N. Mazars
वेनेज़्वेला छोड़कर लातिन अमेरिका के दूसरे देशों को जाने वाले हज़ारो लोगों को यूरोपीय संघ और रेड क्रॉस से मदद मिल रही है.

कोविड-19: प्रवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा की पुकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों नें सभी देशों से प्रवासियों और उनके परिवारों के अधिकारों की रक्षा करने का आहवान किया है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान और उसके बाद भी प्रवासियों के दर्जे की परवाह किए बग़ैर उनके मानवाधिकार सुनिश्चित किए जाने होंगे.

सोमवार को प्रवासी कामगारों पर यूएन समिति के प्रमुख कान उन्वेर और प्रवासियों के मानवाधिकारों पर विशेष रैपोर्टेयर फ़िलिपे गोन्ज़ालेज़ मोरालेस ने कहा कि विश्व भर में प्रवासी कामगारों के श्रम अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना होगा और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए उपाय करने होंगे.

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मानवाधिकार विशेषज्ञों के मुताबिक उन मज़दूरों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना होगा जो आवश्यक वस्तुओँ एवम् सेवाओं के सैक्टरों में कार्यरत हैं.

"हज़ारों प्रवासी दुनिया भर में फ़िलहाल सीमाओं पर फँसे हुए हैं - एशिया, अफ़्रीका, अमेरिका और योरोप में समुद्री किनारों पर."

इसी क्रम में सोमवार को एक ‘गाइडेन्स नोट’ भी जारी किया गया है जिसमें कोविड-19 से प्रवासियों के मानवाधिकारों पर होने वाले असर को रेखान्कित किया गया है.

सरकारों के लिए 17 दिशानिर्देशों को जारी करते हुए यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि जिन लोगों को अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण की आवश्यकता है उनके लिए देशों को ज़रूरी प्रक्रियाओं को जारी रखना होगा. इनमें सीमाओँ तक पहुँच को सुलभ बनाना और समुद्री मार्ग में फँसे लोगों की तलाशी, बचाव और राहत के लिए अभियान चलाना है.

"सरकारों को प्रवासियों और उनके परिजनों तक सामाजिक सेवाओं को पहुँचाने की गारन्टी देनी होगी. कुछ देशों में कोविड-19 संक्रमण और मौतों का स्तर प्रवासियों में बेहद ज़्यादा है."

कोविड-19 संकट काल में उन प्रवासियों के लिए ख़ासतौर पर मुश्किल हालात हैं जो अनियमित हालात में बिना ज़रूरी क़ागज़ात के रह रहे हैं.

उन्हें अस्थाई काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है और बेरोज़गारी भत्ते और अन्य सुविधाओं तक उनकी पहुँच नहीं होती. समाजों में अपने महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान के बावजूद अक्सर वे सामाजिक संरक्षा कार्यक्रमों के दायरे से अक्सर बाहर छूट जाते हैं.

इस सन्दर्भ में यूएन विशेषज्ञों ने सरकारों से ऐसे हालात में रह रहे प्रवासियों को नियमित करने की पुकार लगाई है.

साथ ही कोविड-19 की रोकथाम और उससे निपटने की कार्रवाई और नीतियों में प्रवासी कामगारों का भी ध्यान रखे जाने की बात कही गई है. ऐसी कार्रवाई का खाका तैयार करते समय लैंगिक ज़रूरतों, आयु और विविधता के साथ-साथ स्वास्थ्य पर अधिकार को समाहित करना होगा.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि कोरोनावायरस के कारण आर्थिक व्यवधानों का असर प्रवासियों द्वारा अपने देश में परिवारों को भेजी जाने वाली रक़म पर भी पड़ा है और उसमें गिरावट दर्ज की गई है. इससे प्रवासियों के परिवारों का जीवन-यापन भी प्रभावित हुआ है क्योंकि अक्सर ऐसी रक़म उनकी आय का एकमात्र स्रोत होती है.

उन्होंने कहा है कि महामारी के दौरान देश से वापिस भेजे जाने की कार्रवाई को अस्थाई रूप से रोके जाने पर विचार करना होगा और इमिग्रेशन हिरासत केन्द्रों से बच्चों वाले परिवारों और परिवार से अलग हो गए बच्चों या अकेले यात्रा कर रहे बच्चों को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए.

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.