'अम्फन': जीवनरक्षक प्रयासों के लिए भारत और बांग्लादेश की सराहना

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विनाशकारी सुपर सायक्लोन ‘अम्फन’ के दौरान ज़िंदगियों को बचाने और प्रभावी राहत प्रयासों के लिए भारत और बांग्लादेश की सरकारों और जनता की सराहना की है. यूएन प्रमुख ने इस आपदा के पीड़ितों के प्रति अपनी सम्वेदनाएँ जताई हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.
शनिवार को जारी अपने एक बयान में महासचिव ने बंगाल की खाड़ी में उठे इस चक्रवाती तूफ़ान में अनेक लोगों के हताहत होने पर दुख जताया है.
बेहद गम्भीर बताया गया यह चक्रवाती तूफ़ान भारत व बांग्लादेश की सीमा के बीच बुधवार को तटीय इलाक़ों से टकराया था और इस दौरान हवा के तेज़ झोंकों के साथ मूसलाधार बारिश हुई. शुरुआती मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत में 70 से ज़्यादा और बांग्लादेश में 25 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
Bangladesh is dealing with the devastating impact of #CycloneAmphan while also facing the socio-economic fallout of #COVID19.WFP is supporting the needs of the community and also conducting an assessment, collecting data on damages incurred. pic.twitter.com/HiSd48Rd2g
WFP
तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों में घर क्षतिग्रस्त हो गए और फ़सलें नष्ट हो गईं.
अनेक इलाक़ों में बिजली आपूर्ति ठप है और ये वही इलाक़े हैं जहाँ कोविड-19 पर क़ाबू पाने का भी प्रयास हो रहा है.
यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजैरिक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि महासचिव, " सरकारों, पहली पांत में खड़े राहतकर्मियों और समुदायों की तूफ़ान से पहले लोगों को सुरक्षित रखने और बाद में उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के उनके कार्य की प्रशंसा करते हैं."
यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र इन प्रयासों में दोनों देशों के साथ खड़ा है. कोविड-19 से उपजे संकट के दौरान विनाशकारी तूफ़ान के असर का सामना करने के लिए महासचिव ने भारत और बांग्लादेश के प्रति एकजुटता जताई है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक सुपर सायक्लोन से निपटने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जिससे पुख़्ता इंतज़ाम करने और सामुदायिक स्तर पर तैयारियों को सम्भव बनाने में मदद मिली.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, यूएन की मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) का क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम विज्ञान केन्द्र है और पूरे बेसिन के लिए मौसम पुर्वानुमान को मुहैया करता है.
भारत में क़रीब दस लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में अब तक कोरोवायरस के सवा लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है जबकि साढ़े तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण राहत प्रयासों में नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं.
पहले जिन शिविरों में 500 से ज़्यादा लोग रखे जा सकते थे, अब वहाँ अब कम संख्या में लोगों को रखना पड़ पड़ रहा है क्योंकि शारीरिक दूरी बरता जाना ज़रूरी है.
सायक्लोन से राहत के लिए बनाए गए शिविरों में लोगों को कोविड-19 से बचाव के लिए जागरूक बनाया जा रहा है और हाथ धोने व साबुन का इन्तज़ाम किया गया है.
सरकार और अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर फ़ेस मास्क जुटाने के भी प्रयास किए गए हैं.
बांग्लादेश सरकार ने पहले ही 20 लाख लोगों को 12 हज़ार शिविरों में पहुँचा दिया था जहाँ कोरोनावायरस से बचाव के लिए फ़ेस मास्क और हाथ धोने के लिए साबुन व अन्य पदार्थों (सैनिटाइज़र्स) के इन्तज़ाम भी किए गए हैं.
मानवीय राहत मामलों में समन्वय के यूएन कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता येन्स लार्क ने शुक्रवार को बताया कि बांग्लादेश में ‘अम्फन’ से लगभग एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और 25 की मौत हुई है. पाँच लाख से ज़्यादा परिवारों के घरों को नुक़सान पहुँचा है.
बांग्लादेश में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 30 हज़ार से ज़्यादा है और 432 लोगों की जान गई है.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने बताया कि कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या शरणार्थियों को पनाह दे रहे 118 शिविर पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं और एक हज़ार 423 शिविरों को नुक़सान पहुँचा है. इन शिविरों में रह रहे सात हज़ार से ज़्यादा रोहिंज्या शरणार्थी प्रभावित हुए हैं जिन्हें अस्थाई शिविरों में भेजा गया है.