कोविड-19: बाल टीकाकरण में दशकों की वैश्विक प्रगति पर मँडराता ख़तरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने फिर आगाह किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण टीकाकरण सेवाएँ बाधित हुई हैं जिसके कारण लाखों नन्ही जानों पर डिप्थीरिया, ख़सरा और न्यूमोनिया जैसी घातक बीमारियों का जोखिम मँडरा रहा है. सुरक्षित और असरदार टीकाकरण की बदौलत बाल मृत्यु दर में पिछले 20 सालों में 50 फ़ीसदी की गिरावट आई है लेकिन महामारी के कारण नियमित टीकाकरण सेवाएँ लगभग 70 देशों प्रभावित हुई हैं जिससे एक साल से कम उम्र के आठ करोड़ बच्चों पर असर पड़ने की आशंका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया, "ऐसे समय जब दुनिया सुरक्षित और असरदार वैक्सीन विकसित करने के लिए साथ मिलकर काम कर रही है, हमें उन अनेक जीवनरक्षक वैक्सीन को नहीं भूल सकते जो पहले से मौजूद हैं और हर स्थान पर बच्चों तक पहुँचानी होंगी."
"Any suspension of childhood vaccination services is a major threat to life.WHO is working with governments around the world to ensure supply chains remain open and lifesaving health services are reaching all communities"-@DrTedros #COVID19 #HealthForAllhttps://t.co/ktNZ4eckAS
WHO
वर्चुअल ब्रीफ़िंग में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रमुख और वैश्विक स्तर पर वैक्सीन एलायन्स (GAVI) के एक शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि टीकाकरण अभियान पर अनेक वजहों से असर पड़ा है और इनमें कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए उठाए गए ऐहतियाती उपाय भी शामिल हैं.
इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती कोविड-19 मरीज़ों की देखभाल के लिए की गई है और फिर सप्लाई चेन और परिवहन मार्गों पर भी असर पड़ा है.
साथ ही अभिभावक या तो अपने बच्चों को ऐसे समय में संक्रमण के ख़तरे के कारण स्वास्थ्य केन्द्रों तक ले जाने के अनिच्छुक हैं या आवाजाही पर पाबंन्दियाँ होने से असमर्थ हैं.
"लेकिन हम अन्य बीमारियों से मुक़ाबले में अब तक हुई प्रगति को एक बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ाई की भेंट नहीं चढ़ा सकते."
उन्होंने ध्यान दिलाया कि दशकों से स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है उसे खोने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता.
GAVI के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सेट बर्कली ने बताया कि मुश्किल हालात के बावजूद अफ़ग़ानिस्तान, आइवरी कोस्ट और लाओस जैसे देश टीकाकरण कार्यक्रम जारी हैं.
वैक्सीन एलायन्स वर्ष 2000 में स्थापित किया गया था और तब से अब तक कम आय वाले देशों में एक करोड़ 30 लाख ज़िन्दगियाँ बचाने में सफलता मिली है.
"लन्दन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एन्ड ट्रॉपिकल मेडिसिन की मॉडलिंग दर्शाती है कि अगर टीकाकरण पर रोक लगाकर कोविड-19 संक्रमण से बचने के प्रयास किए जाएँ, तो कोविड-19 से बचाई गई हर एक ज़िन्दगी के बदले वैक्सीन ना मिल पाने से 100 ऐसी मौतें होंगी जिन्हें टाला जा सकता था."
विश्व भर में कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या 50 लाख से ज़्यादा है और तीन लाख 20 हज़ार से अधिक मौतें हुई हैं.
टीकाकरण की अहमियत के मद्देनज़र ही सामूहिक स्तर पर एक अभियान चलाया जाएगा जिसके तहत उन बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराक दी जाएगी जो कोविड के कारण सुरक्षा घेरे से बाहर रह गए थे.
ब्रिटेन 4 जून को वैक्सीन पर एक वैश्विक शिखर वार्ता का आयोजन कर रहा है जिसका लक्ष्य वैक्सीन एलायन्स (GAVI) के लिए अगले पाँच साल में सात अरब डॉलर से ज़्यादा धनराशि का इन्तज़ाम करना है.
इस धनराशि से दुनिया भर में 30 करोड़ अतिरिक्त बच्चों का टीकाकरण सम्भव बनाया जा सकेगा, और 70 लाख मौतों की रोकथाम हो सकेगी.
अभी तक ब्रिटेन, अमेरिका, नॉर्वे, जर्मनी, कैनेडा, इटली, जापान, सऊदी अरब और स्पेन सहित कई अन्य देश संकल्प ले चुके हैं.