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सिकुड़ते वनों में जैवविविधता संरक्षण के लिए निडर कार्रवाई की दरकार

संरक्षण और टिकाऊ इस्तेमाल से वनों में वन्यजीवन और पौधों की रक्षा की जा सकती है.
©UNEP/Jessica Kerr
संरक्षण और टिकाऊ इस्तेमाल से वनों में वन्यजीवन और पौधों की रक्षा की जा सकती है.

सिकुड़ते वनों में जैवविविधता संरक्षण के लिए निडर कार्रवाई की दरकार

एसडीजी

वनों की कटाई और भूमि क्षरण की तेज़ होती रफ़्तार बढ़ती चिन्ता का सबब है. शुक्रवार को अन्तरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में दुनिया भर के जंगलों में जैवविविधता के संरक्षण के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

‘State of the World’s Forests 2020’ रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 1990 से अब तक कृषि व अन्य कारणों से भूमि के इस्तेमाल से क़रीब 42 करोड़ हैक्टेयर पेड़ों की कटाई हो चुकी है.

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दुनिया भर में वन आठ करोड़ से ज़्यादा लोगों को हरित रोज़गार उपलब्ध कराते हैं और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.

अत्यधिक निर्धनता में जीवन-यापन के लिए मजबूर लोगों की 90 फ़ीसदी संख्या भोजन, लकड़ियों और आजीविका के लिए वनों पर ही निर्भर हैं. इनमें 80 लाख से ज़्यादा अत्यधिक निर्धन लातिन अमेरिका में ही हैं.

ये रिपोर्ट खाद्य एवं कृषि संगठन ने पहली बार यूएन पर्यावरण कार्यक्रम के साथ तैयार की है.

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) में महानिदेशक क्यू डोन्गयू और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में कार्यकारी निदेशक इन्गर एन्डरसन ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा: "वनों की कटाई और क्षरण गम्भीर गति से हो रहा है जिससे जैवविविधता को काफ़ी नुक़सान पहुँच रहा है."

वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकट ने लोगों और पारिस्थितिकी तन्त्र के स्वास्थ्य के बीच की कड़ी पर फिर से ध्यान केन्द्रित कर दिया है.

रिपोर्ट में प्रकृति को सहेज कर रखने और उसके टिकाऊ उपयोग को अहम बताया गया है.

प्रकृति से समरसता

विश्व में जैवविविधता की रक्षा पूरी तरह वनों के साथ इन्सानों द्वारा किए जाने वाले व्यवहार पर निर्भर है. पृथ्वी पर अधिकांश जैवविविधता वनों में ही फलती-फूलती है और इसीलिए वनों का संरक्षण कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है.

रिपोर्ट के अनुसार वनों में विभिन्न वृक्षों की 60 हज़ार से ज़्यादा प्रजातियाँ हैं, 80 प्रतिशत उभयचर (Amphibian) प्रजातियाँ, पक्षियों की 75 फ़ीसदी प्रजातियाँ और पृथ्वी के स्तनपायी जीवों की 68 प्रतिशत प्रजातियाँ हैं.

संरक्षण और टिकाऊ इस्तेमाल के ज़रिये इन पौधों, पशुओं और आजीविका के साधनों की रक्षा की जा सकती है.

रिपोर्ट में अमेरिकी वन सेवा और योरोपीय आयोग के संयुक्त रीसर्च केन्द्र के एक अध्ययन का ज़िक्र किया गया है जिसके मुताबिक दुनिया भर में भिन्न-भिन्न आकारों वाले तीन करोड़ 40 लाख से ज़्यादा वन हैं.

यह दर्शाता है कि वनों की निरन्तरता और उनका दायरा कटाई के कारण प्रभावित हुआ है और इसलिए पुनर्बहाली प्रयासों में तत्काल तेज़ी लाए जाने की ज़रूरत है.

वर्ष 2021 में यूएन एजेंसियाँ पारिस्थितिकी तन्त्र की पुनर्बहाली के दशक की तैयारी कर रही हैं और इसे सम्भव बनाने के लिए जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता संरक्षण और क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी तन्त्र को बहाल करने के लिए वैश्विक सहयोग  बढ़ाए जाने की ज़रूरत बताई गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक पृथ्वी के 17 फ़ीसदी क्षेत्र को संरक्षित करने के लक्ष्य को वनों के लिए पूरा कर लिया गया है लेकिन संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए अभी और प्रयासों की ज़रूरत है.