सुपर सायक्लोन ‘अम्फन’ गुज़रा, छोड़ गया बर्बादी के निशान

संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों के राहतकर्मी भारत और बांग्लादेश में चक्रवाती तूफ़ान ‘अम्फन’ से बुरी तरह प्रभावित हुए लोगों तक मदद पहुँचाने के काम में जुट गए हैं. बुधवार को पूर्वी भारत के तटीय इलाक़ों से टकराने वाला यह सुपर सायक्लोन अपने साथ बर्बादी लाया और प्रभावित इलाक़ों में जान-माल का भारी नुक़सान करके चला गया.
यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजैरिक ने गुरुवार को न्यूयॉर्क से जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश में एक करोड़ से ज़्यादा लोग तूफ़ान से प्रभावित हुए हैं और पाँच लाख से अधिक परिवारों के घरों को नुक़सान पहुँचा है.
📣 Flash Update from @UNinBangladesh on Cyclone #Amphan in #Bangladesh.➡️Satkhira is by far the hardest hit district.➡️Mangroves the Sundarbans contributed to reduce the impact.➡️Preliminary reports indicate damages in Cox's Bazar fairly minimal.↘️https://t.co/wbiGEMHYjr pic.twitter.com/c3EHsBzKoN
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बेहद गम्भीर बताए गए इस चक्रवाती तूफ़ान के दौरान हवाओं के तेज़ झोंकों के साथ मूसलाधार बारिश हुई.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत और बांग्लादेश में 84 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों में घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और फ़सलें नष्ट हो गई हैं.
अनेक इलाक़ों में बिजली आपूर्ति ठप है और ये वही इलाक़े हैं जहाँ कोविड-19 पर क़ाबू पाने का भी प्रयास हो रहा है.
भारत में संयुक्त राष्ट्र की देश टीम ने बताया कि चक्रवाती तूफ़ान ‘अम्फन’ से होने वाली तबाही का स्तर मई 2009 में आए सायक्लोन ‘आयला’ से कहीं ज़्यादा है.
अम्फन से कोलकाता और आस-पास के इलाक़ों में व्यापक नुक़सान हुआ है. पश्चिम बंगाल राज्य के सात ज़िले सायक्लोन की चपेट में आए हैं: साउथ 24 परगना, नॉर्थ 24 परगना, पूर्वी मिदनापुर, पश्चिमी मिदनापुर, हावड़ा, हुगली और कोलकाता. इसके अलावा बीरभूम ज़िले में भी नुक़सान की ख़बरें मिली हैं.
चक्रवात प्रभावित इलाक़ों में बिजली और संचार सेवाएँ प्रभावित हुई हैं, तैयार फ़सलों को भारी नुक़सान हुआ है और उत्तर व दक्षिण 24 परगना ज़िलों में जल की कमी भी हो गई है.
कोलकाता में कई पेड़ों और बिजली के खम्भों के गिरने से विद्युत आपूर्ति और इन्टरनेट सेवाओं पर असर पड़ा है. बहुत सी सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, दुकानों को क्षति पहुँची है और भारी बारिश से सड़कों पर जलभराव हुआ है.
पूरे राज्य में निचले तटीय इलाक़ों में पानी भरा है और कोलकाता एयरपोर्ट को भी क्षति पहुँची है.
प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और प्रभावितों तक राहत पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
राज्य सरकार के मुताबिक प्रदेश को 13 अरब डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान हुआ है.
नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फ़ोर्स, स्टेट डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फ़ोर्स, कोलकाता पुलिस, अग्निशमन दल और राज्य पुलिस सभी राहत और पुनर्बहाली प्रयासों में जुटे हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने आशंका जताई है कि भारत और बांग्लादेश में कोविड-19 के कारण मानवीय राहत प्रयास प्रभावित होने की आशंका है.
बांग्लादेश सरकार ने पहले ही 20 लाख लोगों को 12 हज़ार शिविरों में पहुँचा दिया था जहाँ कोरोनावायरस से बचाव के लिए फ़ेस मास्क और हाथ धोने के लिए साबुन व अन्य पदार्थों (सैनिटाइज़र्स) के इन्तज़ाम भी किए गए हैं.
बांग्लादेश में यूएन के रेज़िडेन्ट कॉऑर्डिनेटर के कार्यालय के मुताबिक शुरुआती रिपोर्टें दर्शाती हैं कि कॉक्सेस बाज़ार में जान-माल का बहुत ज़्यादा नुक़सान नहीं हुआ है. कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में आठ लाख से ज़्यादा लोग रह रहे हैं.
300 शरणगाह क्षतिग्रस्त हुई हैं और लगभग 60 पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं. अनेक शिविरों में बाढ़, भूस्खलन, नालियों के जाम होने और पुल टूटने की कुछ रिपोर्टें मिली हैं लेकिन फ़िलहाल किसी के हताहत होने का समाचार नहीं है.
मानवीय राहतकर्मी सूचना की सुलभता, अस्थाई शरण, भोजन, पीने का साफ़ पानी और अन्य ज़रूरी सेवाओं को प्रभावित शरणार्थियों तक पहुँचाने के लिए मुस्तैद हैं.