अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस: एक अदद प्याले में समाई है दुनिया

कला, संस्कृति, विरासत और लाखों-करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत - चाय महज़ एक पेय पदार्थ नहीं है बल्कि उससे कहीं बढ़कर है. गुरुवार को पहली बार मनाए जा रहे ‘अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस’ पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रमुख तिजानी मोहम्मद बांडे ने टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा में चाय के योगदान की सराहना की.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसम्बर 2019 को 21 मई को ‘अन्तरराष्ट्रीय चाय दिवस’ के रूप में मनाए जाने का निर्णल लिया था ताकि ग्रामीण विकास और टिकाऊ आजीविका में चाय की अहमियत को रेखांकित किया जा सके.
Art. Culture. Heritage.And also a source of livelihood for millions. 🍵Tea isn't just a drink, it's so much more. On this first-ever #InternationalTeaDay, we celebrate the history of tea and the farmers that produce it! 👉https://t.co/Zb6CrTcte0 pic.twitter.com/GvFOOjumYl
FAO
महासाभा के 74वें सत्र के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने कहा कि यह सोचना अविश्वसनीय है कि चाय के एक प्याले में मौजूदा समय में दुनिया के बहुत से बुनियादी मुद्दों का सार है.
उन्होंने कम आम वाले कुछ देशों में चाय उद्योग को आय और निर्यात के ज़रिये मिलने वाले राजस्व का एक प्रमुख स्रोत बताया और कहा कि चाय उत्पादन और प्रसंस्करण (Processing) कार्य से विकासशील देशों में लाखों लोगों का जीवन-यापन होता है. चाय बेहद अहम नक़दी फ़सलों में शामिल है.
चाय के निर्यात से मिलने वाले राजस्व से भोजन आयात के लिए वित्तीय संसाधन जुटाए जाते हैं और चाय के बड़े निर्यातक देशों की अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है.
चाय उत्पादन के लिए जिन विशिष्ट कृषि-पारिस्थितिकी तन्त्रों की ज़रूरत होती है वे जलवायु परिवर्तन के नज़रिये से बेहद सम्वेदनशील हैं.
लोगों और पर्यावरण तक उससे होने वाले लाभ सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है कि चाय की महत्ता श्रृंखला को हर चरण में, चाय बागान से प्याले तक, टिकाऊ बनाया जाए.
यूएन महासभा प्रमुख ने कहा कि बहुपक्षीय सामूहिक कार्रवाई में तेज़ी लाकर चाय के टिकाऊ उत्पादन और खपत को बढ़ावा मिल सके और भुखमरी व ग़रीबी से लड़ने में चाय की अहमियत के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके.
चाय उत्पादन और प्रसंस्करण कार्य अनेक टिकाऊ विकास लक्ष्यों में योगदान करता है – इनमें पहला लक्ष्य भी शामिल है जिसमें चरम ग़रीबी को घटाने की बात कही गई है. साथ ही भुखमरी के ख़िलाफ़ लड़ाई (एसडीजी 2), महिला सशक्तिकरण (एसडीजी 5) और पारिस्थितिकी तन्त्रों का टिकाऊ इस्तेमाल (लक्ष्य 15) में भी इसका योगदान है.
चाय अनेक संस्कृतियों में अहम भूमिका निभाती है, इनमें शादी समारोह, शोक सभाएँ और अन्य औपचारिक आयोजन शामिल हैं.
महासभा प्रमुख ने कहा कि कार्रवाई के दशक की शुरुआत और टिकाऊ विकास एजेंडा को लागू करते समय यह ध्यान रखना होगा कि चाय-उत्पादक देश वैश्विक लक्ष्यों को अपनी राष्ट्रीय चाय विकास रणनीतियों में समाहित करें.
ऐसा करते समय जलवायु परिवर्तन, ग़रीबी उन्मूलन, भुखमरी के अन्त, लैंगिक समानता और पारिस्थितिकी तन्त्रों के टिकाऊ इस्तेमाल पर विशेष ध्यान रखा जाना होगा.
उन्होंने कहा कि इन प्राथमिक क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग को जारी रखकर भावी पीढ़ियों के लिए भी संस्कृतियों में चाय की अहमियत को क़ायम रखा जा सकता है.