कोविड-19: मानव विकास की दिशा में उलटफेर होने का ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने बुधवार को एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि मानव विकास पथ पर प्रगति में पिछले तीन दशकों में पहली बार गिरावट आने की आशंका है. वैश्विक महामारी कोविड-19 के स्वास्थ्य प्रभावों के अलावा सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में व्यापक असर से मानव विकास की दिशा में बड़ा उलटफेर हो सकता है.
वैश्विक मानव विकास के आकलन के लिए शिक्षा के साथ स्वास्थ्य और जीवन-स्तर जैसे मापदण्डों का इस्तेमाल किया जाता है. यूएन विकास कार्यक्रम के मुताबिक इस सिद्धान्त को वर्ष 1990 में अपनाए जाने के बाद पहली बार दुनिया प्रगति की उल्टी दिशा में चलने के कगार पर है.
For the first time in 30 years, #HumanDevelopment will decline due to the impacts of #COVID19.Social and economic inequalities aren't just widening, they're ripping at the seams. The poorest & most vulnerable will be hit hardest by the long-term effects: https://t.co/wANsagHVrU pic.twitter.com/NUbC2exrEI
UNDP
यूएन विकास कार्यक्रम के प्रशासक एखिम श्टाइनर ने बताया कि वर्ष 2007-09 के वित्तीय संकट सहित पिछले 30 सालों में दुनिया ने कई संकट देखे हैं. उनके मुताबिक हर संकट ने मानव विकास पर गहरा प्रहार किया है लेकिन फिर भी विकास के पथ पर प्रगति साल दर साल हुई है.
लेकिन उन्होंने सचेत किया कि “कोविड-19 स्वास्थ्य, शिक्षा और आय पर तिहरी मार से इस रुझान को बदल सकता है.”
मानव विकास के बुनियादी क्षेत्रों में गिरावट निर्धन और धनी, हर क्षेत्र में अधिकांश देशों में महसूस की जा रही हैं. कोरोनावायरस के कारण मृतक संख्या तीन लाख से ज़्यादा हो गई है जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति व्यक्ति आय साल 2020 में चार फ़ीसदी गिरने का अनुमान है.
इन चुनौतियों का साझा असर मानव विकास में प्रगति की दिशा में बड़े पैमाने पर उलटफेर का सबब बन सकता है.
कोविड-19 के ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र स्कूलों में तालाबन्दी होने से दुनिया भर में 60 फ़ीसदी से ज़्यादा बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए हैं.
कक्षाएँ बन्द हैं और ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई के अवसर सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध नहीं हैं.
इसके कारण कम मानव विकास वाले देशों में प्राथमिक शिक्षा स्तर पर 86 फ़ीसदी बच्चे स्कूली शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे हैं जबकि विकास के उच्च स्तर वाले देशों में यह आँकड़ा 20 प्रतिशत है.
बताया गया है कि इन्टरनेट ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को उपलब्ध बनाकर शिक्षा के क्षेत्र में इस खाई को पाटा जा सकता है.
कोरोनावायरस के कारण सिर्फ़ शिक्षा के क्षेत्र में विषमताएँ और गहरी नहीं हुई हैं.
मानव विकास में गिरावट उन विकासशील देशों में ज़्यादा दर्ज किए जाने की सम्भावना है जो इस महामारी के सामाजिक व आर्थिक प्रभावों से निपटने में विकसित देशों की तुलना में कम तैयार हैं.
लैंगिक समानता, प्रजनन स्वास्थ्य, अवैतनिक देखभाल और लिंग आधारित हिंसा जैसे मुद्दों पर प्रगति को भी झटका लगा है.
यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के मुताबिक यह संकट दर्शाता है कि अगर नीतिगत औज़ारों को न्यायसंगत नहीं बनाया गया तो बहुत से देश पीछे रह जाएँगे.
21वीं सदी की इन्टरनेट तक पहुँच जैसी ज़रूरतों के नज़रिए से यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दूरस्थ शिक्षा, दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराए जाने के साथ-साथ घर बैठे काम करना भी सम्भव बनाया जा सकता है.
संकट की जटिलता से निपटने के प्राथमिक उपाय:
- स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं की रक्षा की जाए
- सामाजिक संरक्षा को मज़बूती प्रदान की जाए
- रोज़गार, लघु एव मध्यम व्यवसायों और असंगठित सैक्टर में कामगारों का संरक्षण सुनिश्चित हो
- व्यापक आर्थिक नीतियों में सभी के हितों का ध्यान रखा जाए
- शान्ति, सुशासन, और सामाजिक समरसता के लिए भरोसे को बढ़ावा दिया जाए
कोविड-19 से मुक़ाबले के लिए सामाजिक-आर्थिक कार्रवाई में यूएन फ़्रेमवर्क में लैंगिक समानता को ध्यान में रखते हुए, हरित और सुशासन की नींव पर पुनर्बहाली पर प्रयास केन्द्रित करने की बात की गई है.
यूएन एजेंसी ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से विकासशील देशों के क्षमता-निर्माण में निवेश करने की पुकार लगाई है ताकि वे कोविड-19 की जटिलताओं पर पार पा सकें.