मध्य पूर्व: इसराइली एकतरफ़ा कार्रवाई के ख़िलाफ़ चेतावनी
मध्य पूर्व के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष शान्ति दूत निकोलाय म्लादेनॉफ़ ने पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों को इसराइल द्वारा फिर से छीने जाने की कार्रवाई सहित किसी भी प्रकार की एकतरफ़ा कार्रवाई के ख़िलाफ़ बुधवार को कड़ी चेतावनी जारी की है. उन्होंने सुरक्षा परिषद को जानकारी देते बताया कि ऐसी किसी भी कार्रवाई से फ़लस्तीन और इसराइल को वार्ता की मेज़ पर वापिस लाने के कूटनैतिक प्रयास कमज़ोर होंगे.
शान्ति प्रक्रिया के लिए विशेष समन्वयक ने बताया कि आने वाले हफ़्तों और महीनों में हर पक्ष को दो-राष्ट्र समाधान की सम्भावनाएँ सुरक्षित बनाए रखने के लिए अपनी भूमिका निभानी होगी. और ऐसा पहले से तय अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों, प्रस्तावों और मानकों के अनुरूप किया जाना होगा.
“ये प्रयास तत्काल शुरू करने होंगे. खोने के लिए ज़रा भी समय नहीं है.”
"Whatever our individual assessments of the Palestinian reaction to the Israeli threat of annexation may be, it is certainly one thing – it is a desperate cry for help," @nmladenov said in a @UN Security Council briefing on the #MiddleEast today.https://t.co/fleU5LZxUz pic.twitter.com/52jFKDJVa3
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“फ़लस्तीनी और इसराइली जनता का भाग्य किसी भी तरह से क्षति पहुँचाने वाली एकतरफ़ा कार्रवाई से तय नहीं होना चाहिए जिससे विभाजन मज़बूत हो और शान्ति हमारे जीवनकाल में हमारी पहुँच से दूर हो जाए.”
फ़लस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास से वीडियो कॉन्फ्रेन्सिन्ग के ज़रिए मुलाक़ात के कुछ ही घण्टे बाद विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद को हालात से अवगत कराया. ग़ौरतलब है कि महमूद अब्बास ने इसराइल और अमेरिका के साथ सभी समझौते ख़त्म करने की घोषणा की है.
पश्चिमी तट के कुछ हिस्सों पर इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा जमाए जाने की योजनाओं के सामने आने के बाद उन्होंने यह घोषणा की है. उनका बयान इसराइल में नई गठबन्धन सरकार के शपथ लेने के तीन दिन बाद आया है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार प्रधानमन्त्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़ों में बसाई गईं यहूदी बस्तियों में इसराइली सम्प्रभुता की घोषणा के लिए संकल्प दिखाया है.
प्रधानमन्त्री नेतान्याहू की यह कार्रवाई क्षेत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के नए ब्लूप्रिंट के अनुरूप है जो उन्होंने जनवरी 2020 में पेश की थी लेकिन फ़लस्तीनी पक्ष ने इसे नकार कर दिया है.
यूएन विशेष दूत ने 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद को बताया कि इसराइल द्वारा क़ब्ज़े की कार्रवाई अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का एक गम्भीर उल्लंघन और दो राष्ट्र के समाधान को झटका होगी. इससे वार्ता और अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय शान्ति के प्रयासों के दरवाज़े भी बन्द हो जाएँगे.
उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनी पक्ष की प्रतिक्रिया मदद की हताश पुकार है. यह उस पीढ़ी के नेताओं ने लगाई है जो वॉशिंगटन में ओस्लो समझौते से पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की प्रतीक्षा करते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी पक्ष धमकी नहीं दे रहा है बल्कि शान्ति बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की पुकार लगा रहा है.
विशेष प्रतिनिधि म्लादेनॉफ़ ने सुरक्षा परिषद से यूएन महासचिव की उस पुकार का समर्थन करने का आग्रह किया है जिसमें उन्होंने एकतरफ़ा कार्रवाई को आगे ना बढ़ाने की बात कही है.
इसराइल में हाल में कराए गए सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसराइली जनता क़ब्ज़े के सवाल पर एकमत नहीं है.
साथ ही उन्होंने मध्य पूर्व चौकड़ी (रूस, अमेरिका, योरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र) से आग्रह किया है कि जल्द ही एक ऐसा प्रस्ताव लाना होगा जिससे चौकड़ी, मध्यस्थता की अपनी भूमिका निभाने में सक्षम हो सके और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ मिलकर शान्ति प्रयासों को आगे बढ़ा सके.
हर एक की भूमिका
विशेष समन्वयक म्लादेनॉफ़ ने कहा कि इसराइल को आधिपत्य जमा लेने की धमकियाँ देनी छोड़नी होंगी और फ़लस्तीनी नेतृत्व को भी चौकड़ी के सभी सदस्यों के साथ संवाद पर लौटना होगा. हर किसी को इसमें अपनी भूमिका निभानी होगी.
बताया गया है कि क्षेत्र में मौजूदा समय में वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण चिन्ता का माहौल है. बढ़ते राजनैतिक तनाव के बावजूद फ़लस्तीनी और इसराइली प्रशासन बीमारी के फैलाव को सीमित रखने के लिए अपने प्रयासों में समन्वय जारी रखे हुए हैं और आर्थिक जीवन को फिर से शुरू करने की सतर्क कोशिशें हो रही हैं.
फ़लस्तीनियों को भी बाक़ी दुनिया की तरह इस झटके और अनिश्चितता से गुज़रने का अनुभव करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह अन्य सम्प्रभु और स्वतन्त्र देश महामारी के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं, वैसे प्रयास फ़लस्तीनी प्रशासन के लिए सम्भव नहीं हैं.