परिवहन सैक्टर को हरित बनाने से सम्भव है डेढ़ करोड़ रोज़गारों का सृजन

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 संकट से उबरने की प्रक्रिया में अगर परिवहन सैक्टर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में धन निवेश किया गया तो डेढ़ करोड़ से ज़्यादा नए रोज़गार सृजित किए जा सकते हैं. साथ ही इससे देशों को हरित व स्वस्थ अर्थव्यवस्थाओं के पथ पर अग्रसर होने में भी मदद मिलेगी. यूएन योरोपीय आर्थिक आयोग की ताज़ा रिपोर्ट स्पष्टता से कहती है कि कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद पहले जैसी व्यवस्था में वापिस नहीं लौटा जा सकता.
परिवहन वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है. सतह आधारित ट्राँसपोर्ट से दुनिया भर में छह करोड़ से ज़्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार मिलता है और यह विश्व भर में कुल रोज़गारों का 2 फ़ीसदी है.
रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ हरित अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण को वास्तविक बनाने के लिए परिवहन सैक्टर में ढाँचागत बदलाव लाने की ज़रूरत होगी.
यूएन विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से उबरने की प्रक्रिया टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में क़दम बढ़ाने का एक अवसर होनी चाहिए.
Greening the #transport sector in the post-#COVID19 recovery could create up to 15 million jobs worldwide, according to a new @UNECE/@ilo study👉https://t.co/zhERKKEuSi #BuildBackBetter #ClimateAction #GlobalGoals #2030Agenda pic.twitter.com/za03XhCJZ4
UNECE
‘Jobs in green and healthy transport: Making the green shift’ नामक ये रिपोर्ट अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और योरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग ने मिलकर तैयार की है.
यूएन श्रम एजेंसी में टीम लीडर कैथरीन सैगेट ने बताया, “पर्यावरणीय टिकाऊ और समावेशी समाज के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों में अर्थव्यवस्था में ढाँचागत बदलाव की ज़रूरत होती है – उपलब्ध उत्पादों व सेवाओं और उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव.”
“इस ढाँचागत कायापलट से अच्छे व उपयुक्त रोज़गारों के सृजन और कामगारों व उनके परिवारों की सुरक्षा की सम्भावना है बशर्ते कि सही नीतियों पर अमल किया जाए, और इसमें ट्राँसपोर्ट सैक्टर भी है.”
इस रिपोर्ट में उत्तर अमेरिका, योरोप, कॉकसेस और मध्य एशिया क्षेत्र के 56 देशों में हरित परिवहन और उससे रोज़गार पर पड़ने वाले असर के चार परिदृश्यों का अध्ययन किया गया है.
इस क्षेत्र में स्थित देश संयुक्त राष्ट्र योरोपीय आर्थिक आयोग के अन्तर्गत आते हैं.
इन परिदृश्यों में सार्वजनिक परिवहन का त्वरित गति से विस्तार किए जाने और निजी यात्रियों व माल ढुलाई के लिए परिवहन के विद्युतीकरण से होने वाले प्रभाव को टटोला गया है.
वर्ष 2030 तक यथा स्थिति जारी रहने की तुलना इन परिदृश्यों में अनुमानों से की गई है.
रिपोर्ट बताती है कि अगर निर्मित वाहनों की कुल संख्या में 50 फ़ीसदी को इलैक्ट्रिक किया जाता है तो दुनिया भर में एक करोड़ से ज़्यादा अतिरिक्त रोज़गार पैदा किए जा सकते हैं, ख़ासतौर पर अगर बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाए.
साथ ही यूएन योरोपीय आयोग के देशों द्वारा सार्वजनिक परिवहन में निवेश दोगुना किए जाने की स्थिति में विश्व भर में 50 लाख नए रोज़गार सृजित किए जा सकते हैं.
इन उपायों से परिवहन सैक्टर के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, तेल पर ख़र्च घटने से अन्य सामानों व सेवाओं पर ख़र्च में बढ़ोत्तरी होगी और विद्युतीकरण से नवीकरणीय ऊर्जा सैक्टर में नए रोज़गार पैदा होंगे.
इसके अलावा परिवहन प्रणाली को पर्यावरण के अनुकूल बनाए जाने से ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा घटाने, वायु और ध्वनि प्रदूषण कम करने और ट्रैफ़िक जाम को कम करने में भी मदद मिलेगी जिससे सड़क दुर्घटनाएँ कम की जा सकती हैं.