सीरिया: 'भरोसे और विश्वास की पुनर्बहाली व सहयोग खोल सकते हैं प्रगति का रास्ता'

सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूत गियर ओ पैडरसन ने कहा है कि नए भरोसे, विश्वास और अन्तरराष्ट्रीय पक्षों व सीरियाई लोगों के बीच सहयोग से आख़िरकार प्रगति का रास्ता खोला जा सकता है जिससे देश एक टिकाऊ शान्ति की तरफ़ जाने वाले रास्ते पर अग्रसर हो सकता है. विशेष दूत ने सोमवार को एक खुली वीडियो कॉन्फ्रेन्सिन्ग के ज़रिए सुरक्षा परिषद के सामने ये बात रखी.
उन्होंने कहा कि बीते दशक के दौरान हालात को बदलने के लिए बहुत से मौक़े गँवाए गए हैं, और उनके बाद हिंसा का नया दौर शुरू हुआ जिसके बाद क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय पक्षों का रुख़ और ज़्यादा कड़ा होता चला गया.
.@GeirOPedersen to @UN Security Council: Deep anxiety in #Syria over fact that violence, which has somewhat abated, could escalate at any moment. "We must at all costs avoid reversion to the all-out fighting and abuses and violations we have seen before." https://t.co/xO4zlgGRPC pic.twitter.com/7m1HQmjoB3
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उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हम फिर से ऐसा नहीं होने दे सकते.”
यूएन के विशेष दूत ने सीरियाई पक्षों में मौजूद आम राय का ज़िक्र करते हुए कहा कि “अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के बजाय प्रतिस्पर्धा ज़्यादा नज़र आती है”.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि एक राजनैतिक समाधान निकालने के लिए रचनात्मक कूटनीति का सहारा लेना होगा.
उन्होंने कहा, “ये कठिन है, मगर असम्भव नहीं है, और हमें प्रयास तो करना ही होगा.”
विशेष दूत ने सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में तुर्की और रूस के बीच जारी सहयोग में प्रगति का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये शान्तिपूर्ण स्थिति हिंसक घटनाओं और दोनों तरफ़ से सीमा पार हमलों से बाधित होती रही है. इन घटनाओं में आक्रमण व प्रति-आक्रमण शामिल हें जिनमें अनजान सा अतिवादी गुट – ‘व हारिद अल मौमिनीन ऑपरेशन रूम’ और सरकारी बल भी सक्रिय रहे.
इससे भी ज़्यादा – आफ़रीन और पूर्वोत्तर इलाक़े में दोनों तरफ़ से गोलाबारी और बम हमले होते रहे हैं; दक्षिण-पश्चिमी इलाक़े में लक्षित हत्याएँ हुई हैं; दियर-एज़-ज़ोर और अलेप्पो में इसराइली हवाई हमले हुए हैं; साथ ही पूर्वी रेगिस्तानी इलाक़े में ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनसे आइसिल के आतंकवादी लड़ाकों के फिर से सक्रिय होने का संकेत मिलता है.
गियर ओ पैडरसन का कहना था, “हिंसा जारी है जिसके और ज़्यादा भड़कने का अन्देशा है, अगर ऐसा हुआ तो तमाम मौजूदा इन्तज़ाम व्यर्थ हो जाएँगे.”
“हमें हर क़ीमत पर पूर्ण युद्ध, स्थिति का दुरुपयोग व उल्लंघनों की स्थिति फिर से पैदा हो जाने से बचना है, जैसी स्थितियाँ हमने अब से पहले देखी हैं.”
सीरिया के लिए दूत ने यूएन महासचिव के उस वैश्विक आहवान का भी ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने सीरिया पर लगे प्रतिबन्ध हटाने का आग्रह किया था जिनके कारण देशों को कोविड-19 से निपटने में मुश्किलें आ रही हैं या उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है.
इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि प्रासंगिक देशों ने ये आश्वासन दिया है कि उनके प्रतिबन्धों के कारण ना तो मानवीय सहायता आपूर्ति में कोई बाधा पैदा हो रही है, और ना ही औषधि और चिकित्सा उपकरणों पर कोई असर पड़ा है.
विशेष दूत ने कहा, “मानवीय छूट तेज़ी से लागू करने और उनके संकल्पों पर पूरी तरह से अमल किए जाने का मैं स्वागत करता हूँ.”
गियर ओ पैडरसन ने हिंसा फिर से तेज़ होने, बन्दियों, अपहृत व लापता व्यक्तियों की हालत और राजनैतिक प्रक्रिया में निराशा पर सीरियाई लोगों की चिन्ताओं की ओर ध्यान दिलाया.
उन्होंने कहा, “हमें ये भी याद रखना होगा कि सीरिया में मौजूद अस्थिरता का असर अन्य स्थानों पर भी होता है – इनमें लीबिया जैसे देश भी शामिल हैं, ऐसी ख़बरें हैं कि सीरिया में बड़ी संख्या में लड़ाके भर्ती किए जा रहे हैं और उनका इस्तेमाल वहाँ दोनों तरफ़ से लड़ाई में किया जाता है.”
यूएन विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद को ये भी सूचित किया कि कोविड-19 ने अभी सीरिया में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है मगर इस बारे में बड़े पैमाने पर डर व्याप्त है.
सुरक्षा परिषद ने 2015 में प्रस्ताव संख्या 2254 को सर्वसम्मति से स्वीकृत किया था जिसमें सीरिया में एक शान्ति रोडमैप को मन्ज़ूर किया गया था. इसमें सरकारी और विपक्षी सदस्यों के बीच यूएन द्वारा प्रबन्धित व संचालित बातचीत कराए जाने की रूपरेखा भी शामिल की गई थी.
गियर ओ पैडरसन ने अपनी ताज़ा जानकारी में सहयोगात्मक रुख़ अपनाए जाने की ज़रूरत भी दोहराई, “जिसमें आतंकवादी गुटों का मुक़ाबला करने में स्थिरता, आम आबादी की सुरक्षा और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का पूर्ण पालन सुनिश्चित हो.”
उन्होंने सुरक्षा परिषद का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि प्रमुख हस्तियों और पक्षों को मिलजुलकर काम करना होगा – और मैं उसमे सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार हूँ – ताकि अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शान्ति बहाल की जा सके, जिसे व्यापक बनाते हुए राष्ट्रीय युद्धविराम में तब्दील किया जा सके, जैसाकि प्रस्ताव संख्या 2254 में आग्रह किया गया है.