कोविड-19: रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में घनी आबादी है चिन्ता का सबब
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में घनी आबादी वाले रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में कोरोवनावायरस संक्रमण के फैलाव के पुष्ट मामलों की संख्या बढ़कर चार हो गई है जिससे चिन्ताएँ बढ़ गई हैं. यूएन एजेंसियों ने आठ लाख 60 हज़ार से ज़्यादा रोहिंज्या शरणार्थियों को पनाह देने वाले इन शिविरों में कोविड-19 से बचाव के लिए स्वास्थ्य तैयारियाँ और बचाव उपाय तेज़ कर दिए हैं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के एशिया-प्रशान्त क्षेत्रीय कार्यालय में कम्युनिकेशन्स अधिकारी कासिता रोशानाकोर्न ने यूएन न्यूज़ हिन्दी से एक ख़ास बातचीत में बताया कि शरणार्थी आबादी में कोरोनावायरस संक्रमण का पहला मामला पिछले हफ़्ते सामने आया था और रविवार, 17 मई, तक संक्रमण के चार मामलों की पुष्टि हो चुकी थी.
रोहिंज्या शिविरों में जनसंख्या का घनत्व न्यूयॉर्क सिटी से भी डेढ़ गुना ज़्यादा है इसलिए हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं और आने वाले दिनों में संक्रमितों की संख्या में और बढ़ोत्तरी होने की आशंका जताई गई है.
सन्दिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए ‘रैपिड इन्वेस्टीगेशन टीमें’ सक्रिय की गई हैं और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के दिशानिर्देशों के अनुसार संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाने और उन्हें अलग रखने के प्रयास किए जा रहे हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की कम्युनिकेशन्स अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष मार्च महीने से ही साझीदार संगठनों के साथ कोविड-19 के सम्भावित ख़तरे से निपटने की तैयारियाँ शुरू कर दी गई थीं.
इस क्रम में तीन हज़ार से ज़्यादा स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं (वॉलन्टियर्स) को कोविड-19 से बचाव उपायों और दैनिक जीवन में स्वच्छ आदतों को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर ट्रेनिंग दी गई.
रोहिंज्या आबादी तक ऐहतियाती उपायों, वायरस के फैलने के तरीक़ों, लक्षणों को पहचानने और मेडिकल सहायता हासिल करने के रास्तों के बारे में बताया गया.
यह जानकारी उन तक तीन भाषाओं – रोहिंज्या, बर्मी और बंगाली भाषा में पहुँचाई गई.
साथ ही साफ़-सफ़ाई को बढ़ावा देने और नियमित रूप से हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की भी व्यवस्था की गई है.
हाथ धोने और सामाजिक दूरी बरते जाने को सभी के लिए अनिवार्य बना दिया गया है.
स्वास्थ्य तैयारियों के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को निजी बचाव सामग्री व उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है.
यूएन एजेंसियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य कन्द्रों में ज़रूरी इन्तज़ाम किए हैं – मरीज़ों को अलग रखने के लिए आइसोलेशन वार्ड और उपचार केन्द्र बनाए गए हैं.
पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे निर्बल समुदाय पर मॉनसून के मौसम में यह बीमारी और ज़्यादा पीड़ा का सबब बन सकती है.
वर्ष 2019 में भीषण बारिश की वजह से 24 घंटों के भीतर 16 हज़ार लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे.
शरणार्थी एजेंसी ने बताया कि मॉनसून की वार्षिक तैयारियों के तहत बंगाल की खाड़ी में हालात पर नज़र रखी जा रही है और आपात राहत सामग्री का इन्तज़ाम किया जा रहा है.
आसपास के इलाक़ों में स्थानीय बांग्लादेशी समुदाय में भी कोरोनावायरस से बचाव उपायों के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है.