बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थी शिविर में कोरोनावायरस की दस्तक

बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों वाले इलाक़ों में वैश्विक महामारी कोविड-19 के मामले की पुष्टि होने के बाद संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसियों ने राहत और ऐहतियात के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की है. साथ ही बीमारी के व्यापक फैलाव को रोकने के लिए 32 करोड़ डॉलर की धनराशि की अपील की है.
जिनीवा में यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता आंद्रेज माहेचिच ने सरकार से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि एक रोहिंज्या शरणार्थी के कोरोनावायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है.
UNHCR + partners intensifying #COVID19 response in the Rohingya refugee camps in the Cox’s Bazar area of Bangladesh, following the first confirmed case of coronavirus among the refugee population. https://t.co/PYjAb3tN4N
Refugees
यह मामला कॉक्सेस बाज़ार में कुटापलोन्ग शिविर से है जबकि स्थानीय बांग्लादेशी समुदाय में भी एक व्यक्ति के संक्रमित होने का मामला सामने आया है.
उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए जानकारी देते हुए बताया, “घनी आबादी वाले शरणार्थी स्थलों में वायरस का सम्भावित गम्भीर असर होने पर गहरी चिन्ता है, जहाँ लगभग आठ लाख 60 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थियों ने शरण ली हुई है.”
“आसपास के इलाक़ों में स्थानीय मेज़बान समुदायों में लगभग चार लाख बांग्लादेशी रहते हैं. वैश्विक स्तर पर इस महामारी में ये समुदाय सबसे ज़्यादा जोखिम वाले जनसमूहों में है.”
हालात की गम्भीरता के मद्देनज़र अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) सहित अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कॉक्सेस बाज़ार में समन्वित रूप से आपात उपायों पर अमल करना शुरू कर दिया है.
इन प्रयासों के अन्तर्गत 35 प्राथमिक स्वास्थ्य कन्द्रों में ज़रूरी इन्तज़ाम किए गए हैं – मरीज़ों को अलग रखने के लिए तीन आइसोलेशन वार्ड और उपचार केन्द्र बनाए गए हैं.
इसके अलावा एक क्वारन्टीन यानि एकान्तवास केन्द्र का निर्माण भी पूरा होने वाला है जिसमें 465 लोग रखे जा सकते हैं और साँस लेने में मुश्किलों का सामना करने वाले मरीज़ों के लिए 250 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है.
रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों पर वैश्विक महामारी के दस्तक देने की आशंका काफ़ी समय से जताई जाती रही है लेकिन पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे निर्बल समुदाय पर मॉनसून के मौसम में यह बीमारी और ज़्यादा पीड़ा का सबब बन सकती है.
वर्ष 2019 में भीषण बारिश की वजह से 24 घंटों के भीतर 16 हज़ार लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे.
अगस्त महीने में रोहिंज्या समुदाय के म्याँमार में हिंसा और यातना से भागकर बांग्लादेश में शरण लेने के भी तीन साल पूरे हो रहे हैं.
प्रभावित समुदायों की मदद के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम नालियों की साफ़-सफ़ाई और ढलानों को मज़बूत बनाने के काम में जुटा है जो अक्सर भारी बारिश में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.
यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि बांग्लादेश में पिछले 50 सालों में विकास पथ पर हुई प्रगति कोविड़-19 के फैलाव से संकट में पड़ सकती है.
सबसे निर्बलों की मदद के लिए 32 करोड़ डॉलर की धनराशि की अपील की गई है.
इसमें 20 करोड़ डॉलर स्थानीय बांग्लादेशी समुदाय के लिए और 12 करोड़ डॉलर रोहिंज्या समुदाय के लिए निर्धारित किए गए हैं ताकि अगले छह महीनों मे राहत पहुँचाई जा सके.
विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रवक्ता एलिज़ाबेथ बायर्स ने कहा, “तालाबंदी और आवाजाही पर पाबन्दियों से बांग्लादेश में लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है, ख़ासतौर पर दैनिक कमाई करने वाले रिक्शा चालक और दिहाड़ी मज़दूर अब अपनी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं.”
यूएन एजेसीं की योजना के तहत प्रस्तावित धनराशि से ग्रामीण इलाक़ों, शहरी झुग्गियों में रहने वाले लोगों और मज़दूरों के परिवारों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाएगी.
इस बीच सरकार के प्रयासों के समानान्तर यूएन एजेंसियों ने पोषक चावलों, नक़दी हस्तान्तरण और पोषण कार्यक्रमों जारी रखे हैं.
साथ ही कोविड-19 की जवाबी कार्रवाई के तहत भोजन और अन्य राहत सामग्री के रख-रखाव के लिए भंडारण की सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं.