कोविड-19: ‘टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर तत्काल कार्रवाई’ और भी ज़्यादा ज़रूरी

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया भर में भारी उथलपुथल का माहौल है और लोगों का जीवन व आजीविका बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की जिसमें महामारी के असर को कम करने के लिए बहुपक्षीय समाधानों और 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने के रास्तों की तलाश करने पर चर्चा हुई.
“Joining Forces: Effective Policy Solutions for Covid-19 Response” विषय पर चर्चा के दौरान आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) की प्रमुख मोना जूल ने कहा, “टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने का हमारा संकल्प नहीं बदला है, लेकिन कार्रवाई की तात्कालिकता बदली है.”
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संकट के समाधान की तलाश में वैक्सीन सहित अन्य उपायों पर काम हो रहा है लेकिन इससे उपजे आर्थिक व सामाजिक संकट की व्यापकता का भी एहसास हो रहा है.
LIVE @UNECOSOC briefing now on policy solutions that countries can use to combat #COVID19 & to advance towards implementing the #GlobalGoals – 10 a.m. EDT | 4 p.m. CET https://t.co/ob3gOoomSA
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वैश्विक कार्यबल की क़रीब आधी आबादी पर आजीविका खोने का जोखिम मंडरा रहा है जबकि अन्य टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति की दिशा पलटने का ख़तरा है.
वर्ष 1998 के बाद पहली बार वैश्विक ग़रीबी में बढोत्तरी होने की आशंका है और अनेक क्षेत्रों में हालात 30 साल पहले के स्तर को छू सकते हैं.
मलेरिया से होने वाली मौतों का आँकड़ा 20 वर्ष पहले होने वाली मौतों के स्तर तक पहुँच सकता है जबकि महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा के मामलों में भी महामारी के दौरान बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है.
“ये मेहनत से हासिल की गई प्रगति को लगे झटके हैं जो समझ से परे हैं.”
उन्होंने कहा कि इस वायरस ने समाजों में व्याप्त असमानताएँ उजागर कर दी हैं और जवाबी कार्रवाई के केंद्र में मानवाधिकारों और देश के विशिष्ट हालात को ध्यान में रखा जाना होगा. “ये विसगंतियॉं हमारे लिए उत्प्रेरक होनी चाहिएँ और बेहतर पुनर्निर्माण की हमारी पुकार.”
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की प्रमुख ने कहा कि वैश्विक महामारी ने बहुपक्षीय सहयोग, शासन, और वैश्विक एकजुटता को मज़बूत बनाने की अहमियत को रेखांकित किया है और यह समय किसी को भी पीछे ना छूटने देने के संकल्प को सुनिश्चित करना है.
यूएन की उपमहासचिव अमीना जे. मोहम्मद ने बैठक में कहा कि सरकारें अभूतपूर्व स्वास्थ्य, मानवीय और सामाजिक-आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं.
उनके मुताबिक टिकाऊ विकास का 2030 एजेंडा, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता और विकास के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने पर ‘अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा’ स्पष्टता से इस लड़ाई में आगे का रास्ता दिखा सकते हैं.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि इस लड़ाई मे सभी एक साथ हैं लेकिन निर्बल और हाशिएकरण का शिकार समुदायों व देशों की मदद करना तात्कालिक प्राथमिकता है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि संसाधनों के वितरण में लड़ाई-झगड़ों, हिंसाग्रस्त व आपदा प्रभावित देशों, सबसे कम विकसित देशों, भूमिबद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों की ज़रूरतों का ख़याल रखा जाना होगा.
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक विभाग (UNDESA) के प्रमुख लियु झेनमिन ने कहा कि कोविड-19 ऐतिहासिक मानवीय संकट है जिससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि अस्थिर हुई है और विश्व आर्थिक मंदी की दिशा में जा रहा है. इससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की सफलता के लिए ख़तरा पैदा हो गया है.
उन्होंने कहा कि डगमगाते घरेलू वित्तीय संसाधनों, क़र्ज़ के ऊँचे स्तर और कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ शिक्षा, मानवाधिकारों, खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ विकास और शरणार्थियों व प्रवासियों के प्रति रवैये पर भी लम्बे समय तक रहने वाला असर होगा.
आर्थिक एवं सामाजिक विभाग प्रमुख ने इस संकट से सीखे गए सबक़ का उपयोग 'कार्रवाई के दशक' मुहिम की रफ़्तार तेज़ करने और असमानता दूर करने के लिए कहा है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के निदेशक गाय राइडर ने कहा कि कोविड-19 की मानवीय क़ीमत चुकानी पड़ी है और जवाबी कार्रवाई में सबसे निर्बलों की रक्षा की जानी होगी.
साथ ही वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता है और असरदार स्वास्थ्य, सामाजिक व आर्थिक नीतियों के लिए अन्तरराष्ट्रीय समन्वय ही कुँजी है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट (OHCHR) ने कहा कि कोविड-19 संकट काल में मानवाधिकारों की रक्षा किया जाना बेहत अहम है और किसी को भी पीछे ना छूटने देने के लिए बुलन्द आवाज़ में इन प्रयासों को समर्थन दिया जाना होगा.
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के प्रमुख क्यू डोन्गयु ने महामारी के खाद्य सुरक्षा एवं पोषण पर पड़ने वाले असर पर चिन्ता जताई है और असरदार नीतिगत समाधानों की पैरवी की है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि महामारी के बाद अब पहले जैसे तौर-तरीक़ों में लौटना संभव नहीं है.