कोविड-19: एचआईवी के ख़िलाफ़ लड़ाई के कमज़ोर पड़ने की आशंका
कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं में आने वाले व्यवधान को अगर दूर नहीं किया गया तो एचआईवी से निपटने में अब तक हुई प्रगति जोखिम में पड़ जाएगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और एड्स मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UNAIDS) के ताज़ा अनुमान के मुताबिक ज़रूरी इलाज के अभाव में एड्स-सम्बन्धी बीमारियों से लाखों की संख्या में अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं.
सब-सहारा अफ़्रीका में लगभग ढाई करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण के साथ जीवन जी रहे हैं. वर्ष 2018 में डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोगों का एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं से उपचार किया जा रहा था और उन लोगों के इलाज में व्यवधान आने का जोखिम है क्योंकि एचआईवी सेवाएँ बन्द हैं या फिर ज़रूरी एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “अफ़्रीका में एड्स-सम्बन्धी बीमारियों से पाँच लाख अतिरिक्त लोगों की मौत होने की भयावह आशंका इतिहास में वापिस लौटने जैसी बात है.”
“हमें इसे नींद से जगाने वाली एक घंटी के रूप में समझकर सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ बरक़रार रखने के रास्तों की तलाश करनी होगी.”
वर्ष 2018 में इस क्षेत्र में टीबी (तपेदिक) सहित एड्स सम्बन्धी बीमारियों से लगभग चार लाख 70 हज़ार लोगों की मौत हुई थी.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने आगाह किया है कि माँ से बच्चों को होने वाले एचआईवी संक्रमण की रोकथाम में अब तक हुई प्रगति के लिए भी संकट खड़ा हो रहा है क्योंकि बच्चों के संक्रमित होने की दर में 104 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.
स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान आने के सम्भावित कारणों के मद्देनज़र समुदायों व साझीदार संगठनों से तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया गया है ताकि उसकाअसर कम से कम किया जा सके.
एजेंसियों ने आशंका जताई है कि अगर समुचित प्रयास नहीं किए गए तो एड्स-सम्बन्धी बीमारियों के मामले में क्षेत्र वर्ष 2008 के हालात में पहुँच सकता है जब साढ़े नौ लाख से ज़्यादा लोगों की मौतें हुई थीं.
अनुमान के मुताबिक बहुत सारे मरीज़ों का इलाज प्रभावित होने की वजह से अगले पॉंच सालों तक लोगों की मौतें जारी रह सकती हैं, यानि हर साल औसतन 40 फ़ीसदी ज़्यादा मौतें. इसके अलावा एचआईवी का मुक़ाबल करने की सेवाओं के बाधित होने का असर अगले साल एचआईवी के मामलों पर पड़ने की भी आशंका है.
उन्होंने कहा कि कुछ देश सुनिश्चित कर रहे हैं कि मरीज़ इलाज के लिए चिकित्सा सामग्री को थोक में ख़रीद सकें जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम होगा. साथ ही परीक्षणों और उपचारों की वैश्विक आपूर्ति ज़रूरतमंद देशों तक जारी रखनी होगी.
कोविड-19 फैलने से उत्पन्न चुनौती
आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने और कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी बोझ है जिसके कारण एक नई चुनौती पैदा हो रही है.
यूएनएड्स की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयिमा ने बताया, “कोविड-19 महामारी के बहाने एचआईवी में निवेश का रुख़ बदलने से बचना होगा. एड्स के ख़िलाफ़ मेहनत से हासिल हुई प्रगति के कोविड-19 की भेंट चढ़ने का जोखिम है लेकिन स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है किसी एक बीमारी को दूसरे की क़ीमत पर नहीं लड़ा जाना चाहिए.”
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का इलाज सुचारू रूप से किये जाने से एचआईईवी वायरस की मात्रा गिरकर नगण्य हो जाती है जिससे मरीज़ स्वस्थ महसूस करते हैं और अन्य किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के ख़तरे की भी रोकथाम होती है.
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रीसर्च में कोविड-19 के कारण एचआईवी परीक्षण, रोकथाम और उपचार सेवाओं में आए व्यवधान और उसके संभावित नतीजों का विश्लेषण गणितीय मॉडलों के सहारे किया गया है.
इन मॉडलों के तहत इलाज में तीन से छह महीने के व्यवधान से होने वाले असर को आँकने का प्रयास किया गया ताकि यह पता चल सके कि एड्स मृत्यु दर और संक्रमण के मामले सब-सहारा अफ़्रीका में किस तरह प्रभावित होंगे.
रीसर्च दर्शाती है कि एचआईवी की रोकथाम और उपचार सेवाएँ निरन्तर जारी रखनी होंगी और कोविड-19 महामारी के दौरान भी एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी लाने के प्रयास करते रहने होंगे.
बताया गया है कि देशों को आपूर्ति श्रृंखला मज़बूत बनाने को प्राथमिकता देने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित करना होगा कि उपचार करा रहे लोगों के इलाज में रुकावट ना आए.
इसके लिए एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी के लिए कई महीनों की दवा आपूर्ति एक साथ करने की नीतियाँ लागू करनी है ताकि मरीज़ों को बार-बार स्वास्थ्य केन्द्र पर ना आना पड़े और चिकित्सा सेवाओं पर भी बोझ कम हो.