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कोविड-19: तालाबन्दी ढिलाई में सतर्कता बनाए रखना अहम

चीन के वूहान में एक मेडिकल स्टोर के बाहर 8 अप्रैल को एक व्यक्ति अपना वज़न तौलता हुआ. उस दिन वहाँ 76 दिनों के बाद तालाबन्दी ख़त्म हुई थी. चीन में मेडिकल स्टोर्स के बाहर वज़न तौलने वाली मशीन होना एक आम बात है.
Wang Zheng
चीन के वूहान में एक मेडिकल स्टोर के बाहर 8 अप्रैल को एक व्यक्ति अपना वज़न तौलता हुआ. उस दिन वहाँ 76 दिनों के बाद तालाबन्दी ख़त्म हुई थी. चीन में मेडिकल स्टोर्स के बाहर वज़न तौलने वाली मशीन होना एक आम बात है.

कोविड-19: तालाबन्दी ढिलाई में सतर्कता बनाए रखना अहम

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण के फैलाव की रफ़्तार सख़्त उपायों की मदद से घटाने और लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने में काफ़ी हद तक सफलता मिली है लेकिन इसकी एक बड़ी क़ीमत भी चुकानी पड़ी है. तालाबन्दी से सामाजिक व आर्थिक जीवन व्यापक पैमाने पर प्रभावित हुआ है. यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा है कि जीवन को फिर से पटरी पर लाते समय सावधानी बरतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को सक्षम बनाए रखना अहम होगा.  

दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या 40 लाख से भी ज़्यादा हो गई है और दो लाख 75 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. 

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अनेक देशों ने कोरोनावायरस संक्रमण की तेज़ रफ़्तार को कम करने के इरादे से लागू की गई तालाबन्दी और अन्य पाबन्दियों में  हाल के दिनों में चरणबद्ध रूप में ढील देना शुरू किया है. 

कुछ देशों ने इस समय का इस्तेमाल स्वास्थ्य तैयारियों को पुख़्ता बनाने और संदिग्ध मरीज़ों का परीक्षण करने, संक्रमितों की देखभाल करने और उनके सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए क्षमता को मज़बूत बनाने में किया है.

यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि इन प्रयासों के फलस्वरूप वायरस के फैलने की गति कम करने और ज़िन्दगियों की रक्षा करने में काफ़ी सफलता मिली है, लेकिन इन उपायों ने लोगों के जीवन पर नकारात्मक असर डाला है.

“ज़िन्दगियों और आजीविका की रक्षा करने के लिए धीमी व स्थिर गति से तालाबन्दी हटाना अर्थव्यवस्थाओं में स्फूर्ति लाने और वायरस के प्रति सतर्क बने रहने के नज़रिये से अहम है, ताकि मामले तेज़ी से बढ़ने की स्थिति में क़ाबू करने के ये उपाय फिर से लागू किये जा सकें.” 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में देशों के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनके आधार पर तालाबन्दी हटाने के सम्बन्ध में फैसला लिया जा सकता है.

इसके तहत तीन सवालों के जवाब ढूंढना अहम होगा: 

- क्या महामारी पर क़ाबू पा लिया गया है?

- ढील देने की स्थिति में संक्रमण के मामलों के फिर उभरने पर क्या स्वास्थ्य प्रणाली हालात का सामना करने के लिए तैयार है?

- क्या सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली मामलों का पता लगाने, संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों को ढूंढने और वायरस के फैलाव की निगरानी के लिए तैयार है? 

रास्ते की चुनौतियाँ

लेकिन उन्होंने आगाह किया है कि इन तीनों सवालों के जवाब सकारात्मक होने के बावजूद तालाबन्दी व पाबन्दियों को हटाना जटिल और मुश्किल होगा क्योंकि आगामी चुनौतियाँ भी नज़र आने लगी हैं. 

कोरिया गणराज्य में एक मामले की पुष्टि होने के बाद बार और क्लब बन्द कर दिए गए हैं और संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आए लोगों का पता लगाया जा रहा है.

चीन के वूहान शहर में तालाबन्दी हटाए जाने के बाद नए मामलों का पता चला है और जर्मनी में भी ढील दिए  जाने के बाद मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 

शुरुआती विश्लेषण दर्शाता है कि आबादी के एक छोटे हिस्से में ही कोविड-19 के ख़िलाफ़ ‘एंटी-बॉडीज़’ पाई गई हैं यानि संक्रमित व्यक्तियों की संख्या कम है और जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अब भी वायरस से संक्रमित होने के नज़रिये से संवेदनशील है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि संक्रमण के फिर उभरने की चुनौती से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय क़ायम रखे जा सकें.

एक असरदार वैक्सीन के विकसित होने तक इन्हीं व्यापक उपायों के सहारे वायरस का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है. 

इसी सिलसिले में स्कूल और कार्यस्थल फिर से खोलने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किये जा चुका है जिनके तहत सुरक्षा के लिए ऐहतियाती उपाय सुनिश्चित किये जाने होंगे.