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नगरीय ग़रीबों को भोजन की उपलब्धता बेहद ज़रूरी नहीं तो...

कोविड-19 महामारी के दौरान चिली में एक थोक बाज़ार में विक्रेतागण
© FAO/Max Valencia
कोविड-19 महामारी के दौरान चिली में एक थोक बाज़ार में विक्रेतागण

नगरीय ग़रीबों को भोजन की उपलब्धता बेहद ज़रूरी नहीं तो...

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी – खाद्य और कृषि संगठन ने आगाह करते हुए कहा है कि अगर शहरी इलाक़ों में ग़रीबों और कमज़ोर हालात में जीने वाले लोगों के लिए भोजन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समय पर ठोस क़दम नहीं उठाए गए तो उन इलाक़ों में भुखमरी और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. लैटिन अमेरिका में मौजूदा तालाबन्दी और आपूर्ति वग़ैरा पर लगे प्रतिबन्धों के बावजूद बहुत से शहर ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति व उपलब्धता जारी रखने के लिए अनेक उपाय कर रहे हैं.

लैटिन अमेरिका के अनेक देशों में छोटे नगरों की नगरपालिकाएँ तालाबन्दी के परिणाम गंभीर होने से बचने के लिए अनेक क़दम उठा रहे हैं. जैसे-जैसे कामकाज के क्षेत्र में मन्दी होती जा रही है, ये एजेंसियाँ ये सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं कि बुनियादी ढाँचा सुचारू रूप से काम करता रहे. 

उदाहरण के लिए इक्वेडोर के क्विटो में अधिकारियों ने नगरपालिका की बसों को सचल भोजन हब में तब्दील कर दिया है. उन्होंने चीन के वूहान शहर से सबक़ सीखते हुए ये क़दम उठाया. ध्यान रहे कि अभी यही समझा जा रहा है कि कोरोनावायरस का संक्रमण चीन के वूहान शहर से ही शुरू हुआ था. 

लीमा में यूएन शरणार्थी एजेंसी से सहायता हासिल करते हुए एक माँ और बच्चा. ये दोनों ही वेनेज़ुएला के नागरिक हैं.
UNHCR Peru
लीमा में यूएन शरणार्थी एजेंसी से सहायता हासिल करते हुए एक माँ और बच्चा. ये दोनों ही वेनेज़ुएला के नागरिक हैं.

क्विटो के स्थानीय प्रशासन ने फूड बैंकों के साथ साझीदारी की है जिससे ज़रूरतमन्द इलाक़ों की शिनाख़्त की गई है ताकि भोजन सामग्री असरदार तरीक़े से वितरित की जा सकें.

पेरू की राजधानी लीमा में कोविड-19 के कारण नगर प्रबन्धकों व ग्रीमाण समुदायों के नेताओं ने स्थानीय स्तर पर किसानों के आवागमन पर प्रतिबन्ध लगा दिया है जिससे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बाधित हुई है.

ऐसी आशंकाएँ व्यक्त की गई हैं कि अगर इसी तरह के प्रतिबन्ध जारी रहे तो शहर में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बुरी तरह बाधित हो सकती है. फिलहाल तो बाज़ारों में ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतें स्थिर रही हैं, लेकिन कालाबाज़ारी बढ़ने की आशंका के बीच क़ीमतों पर लगातार नज़र रखी जा रही है. एक सचल (मोबाइल) बाज़ार शहर के अनेक इलाक़ों में खाद्य पदार्थ वितरित कर रहा है. 

उरुग्वे के माँटेवीडियो में स्थानीयता को मंत्र बना लिया गया है जिसमें नागरिक व संगठन फल, सब्ज़ियों व अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए परंपरागत तरीक़े की तरफ़ लौट रहे हैं जिसमें इन चीज़ों को ग्राहकों के घर-घर तक पहुँचाया जाता था, कुछ मामलों में तो सीधे उत्पादकों से. कमज़ोर हालात वाले लोगों की ज़रूरतों का ख़ास ध्यान रखा जा रहा है.

व्यवस्था को क़ायम रखना

ये क़दम खाद्य और कृषि संगठन की उन विभिन्न चेतावनियों व पहलों को भी दर्शाते हैं जिसमें संगठन ने कहा है कि महामारी के दौरान शहरी इलाक़ों में रहने वाले बहुत से लोगों के लिए जोखिम बहुत ज़्यादा है, ख़ासतौर से, उन लगभग अरब 20 करोड़ लोगों के लिए जो झुग्गी-झोंपड़ियों और अन्य अनौपचारिक बस्तियों में रहते हैं.

महामारी से निपटने के लिए दुनिया भर में नगर अधिकारियों ने बाज़ारों व छोटी दुकानों को बन्द करने जैसे क़दम भी उठाए हैं – जिससे ग़रीबी लोगों के लिए बहुत सी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं क्योंकि वो सुपर मार्केट के दामों पर चीज़ें नहीं ख़रीद सकते और ना ही घर पर आपूर्ति की महंगी सेवाओं का विकल्प चुन सकते हैं. साथ ही खाद्य पदार्थों से संबंधित उद्योगों में काम करते हैं, उनके लिए भी रोज़ी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है.

चिली में कोविड-19 महामारी के दौर में एक मुख्य थोक बाज़ार का दृश्य
© FAO/Max Valencia
चिली में कोविड-19 महामारी के दौर में एक मुख्य थोक बाज़ार का दृश्य

खाद्य व कृषि संगठन का कहना है कि खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में उछाल आ सकता है जिससे समुदायों व समाजों में अशांति भी फैल सकती है, जैसाकि 2007-2008 के खाद्य संकट के दौरान अनेक अफ्रीकी देशों के नगरों में देखी गई थी.

मदद बढ़ानी होगी

संगठन ने तालाबंदी और अन्य प्रतिबन्धों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए ऐसी योजनाओ को सहायता व समर्थन बढ़ाने की सिफ़ारिश की है जिनके ज़रिए निर्बल और वंचित हालात में जीने वाले लोगों को भोजन सामग्री वितरित की जाती है. 

साथ ही सभी लोगों के लिए पोषक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए; और लोगों को इस बारे में जागरूक बनाने के लिए अभियान चलाए जाएँ कि वो भोजन की बर्बादी ना करें और भोजन सामग्री ख़रीदने में भी ज़िम्मेदारी दिखाएँ.

खाद्य एजेंसी ने तात्कालिक अवधि के लिए खाद्य सामान की आपूर्ति बेहतर बनाए रखने के लिए भी कुछ सिफ़ारिशें की हैं. मसलन, नगरों को निर्बल लोगों और उनके लिए खाद्य पदार्थों की उपल्धता के बारे में सटीक जानकारी हासिल करने के लिए टैक्नॉलॉजी का प्रयोग करना चाहिए. इससे ज़्यादा असरदार कार्यक्रम व योजनाएँ बनाने में मदद मिलेगी.

वैसे तो खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों को आवश्यक सेवाओं में गिना जाता है, लेकिन बाज़ारों को खुले रहने के लिए उपयुक्त रणनीति लागू की जानी चाहिए; खाद्य सामान बेचने वाली श्रृंखलाओं को भी आवश्यक सेवाएँ घोषित किया जाना चाहिए ताकि कामगारों और उत्पादकों का आवागमन स्वास्थ्य नियमों का पालन करते हुए जारी रह सके.

अहम सवालों के जवाब?

एक यह भी अहम मुद्दा है कि जब कोविड-19 महामारी का भीषण रूप समाप्त हो जाएगा तो उससे क्या सबक़ सीखे जाएँगे? खाद्य व कृषि संगठन का कहना है कि महामारी ने नगरीय क्षेत्रों में मौजूद बहुत गहरी ख़ामियों को उजागर किया है. इसलिए ताज़ा रिपोर्ट में कुछ ऐसे उपाय सुझाए गए हैं जिन्हें अपनाकर अगले स्वास्थ्य संकट का सामना करने के ले नगरीय इलाक़ों को तैयार किया जा सकता है.

उरुग्वे में एक फ़सल का नज़ारा
FAO/Sandro Cespoli
उरुग्वे में एक फ़सल का नज़ारा

एक उदाहरण स्थानीय खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा देने का है जोकि पर्यावरणवादियों की चिन्ताओं के दायरे में भी फ़िट होता है. महामारी ने अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से खाद्य सामग्री हासिल करना ज़्यादा मुश्किल बना दिया है, जिसके कारण स्थानीय उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए बेहतर अवसर पैदा हुए हैं, वो खाद्य वितरण में मौजूद खाई को पाटने और नगरों को ज़्यादा सहनशील बनाने में तालमेल बिठा सकते हैं.

कुछ अन्य सिफ़ारिशों में ऐसे खाद्य हब बनाने और क़ायम रखने की बात की गई है, इससे कार्बन उत्सर्जन व भीड़-भाड़ को कम करने में भी मदद मिल सकती है.

और ऐसी ई-कॉमर्स बढ़ाने की भी बात कही गई है जिनके ज़रिए सभी लोगों को खाद्य सामग्री आसानी से उपलब्ध कराने में मददगार साबित हो.

खाद्य व कृषि संगठन ने उम्मीद जताई है कि उन उपायों के ज़रिए कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयास एक सकारात्मक बदलाव का साधन भी बन सकते हैं जिससे नगरीय इलाक़ों में खाद्य व्यवस्था का प्रबंधन बेहतर तरीक़े से किया जा सकेगा.