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कोविड-19: नफ़रत भरी भाषा की 'सूनामी' को रोकना होगा

मध्य अफ़्रीका गणराज्य में एक युवा लड़की स्थानीय भाषा में 'सभी मानव समान हैं' का संदेश दे रही है.
OCHA/Yaye Nabo Séne
मध्य अफ़्रीका गणराज्य में एक युवा लड़की स्थानीय भाषा में 'सभी मानव समान हैं' का संदेश दे रही है.

कोविड-19: नफ़रत भरी भाषा की 'सूनामी' को रोकना होगा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के साथ नफ़रत भरे संदेशों की ‘सूनामी’ भी तेज़ी से उभरी है जिसे रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता है. उन्होंने चिंता जताई कि विदेशियों के प्रति डर व नापसंदगी और नस्लवाद बढ़ रहा है, साथ ही लोगों व समुदायों को बलि का बकरा बनाकर डर फैलाया जा रहा है. 

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि कोविड-19 वायरस ये परवाह नहीं करता कि हम कौन हैं, हम कहाँ रहते हैं, हमारी आस्थाएँ क्या हैं या किसी अन्य प्रकार की भिन्नताएँ.”

उन्होंने कहा कि इस सूनामी से एक साथ मिलकर निपटने के लिए हरसंभव एकजुटता की ज़रूरत है.  

यूएन प्रमुख ने नफ़रत भरे ऐसे संदेशों के उदाहरण  दिए हैं जो वैश्विक महामारी के दौरान उभर कर आए हैं – इनमें विदेशियों के ख़िलाफ़ भावनाएँ, यहूदीवाद-विरोधी साज़िशें और मुसलमानों पर हमलों के अलावा अन्य मामलों का ज़िक्र किया गया. 

प्रवासियों और शरणार्थियों को वायरस का स्रोत बताकर तिरस्कृत किया गया है और उन्हें उपचार से वंचित रखा गया है.

इसके अलावा इंटरनेट पर ऐसे संदेश फैलाए जा रहे हैं जिनके मुताबिक इस संकट के दौरान वृद्धजनों की जान बचाने के लिए ज़्यादा कोशिश की ज़रूरत नहीं है. 

पत्रकारों, स्वास्थ्यकर्मियों, राहतकर्मियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को महज़ अपने काम की ज़िम्मेदारी निभाने के लिए ही निशाना बनाया गया है. 

“हमें बिल्कुल अभी कार्रवाई करनी होगी ताकि समाजों की प्रतिरोधी क्षमता को नफ़रत के वायरस के विरुद्ध मज़बूत बनाया जा सके.”

इसी सिलसिले में उन्होंने वैश्विक स्तर पर नफ़रत भरे संदेशों पर लगाम कसने के लिए अपील जारी की है.

महासचिव गुटेरेश ने राजनैतिक नेताओं से सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देकर उसे और ज़्यादा मज़बूती प्रदान करने का आग्रह किया है.

साथ ही शैक्षिक संस्थानों को डिजिटल साक्षरता पर प्रयास केंद्रित करने होंगे क्योंकि अरबों युवा ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं, और वहाँ वे अतिवादियों या चरमपंथियों का शिकार बन सकते हैं. 

उन्होंने कहा कि मीडिया, विशेषकर सोशल मीडिया कंपनियों को नस्लवादी, महिला-विरोधी और अन्य हानिकारक वेब सामग्री के बारे में चेतावनी देने के लिए और ज़्यादा प्रयास करने होंगे. 

“मैं नागरिक समाज से निर्बलों तक पहुँचने के प्रयास ज़्यादा मज़बूत बनाने और धार्मिक नेताओं से पारस्परिक सम्मान के मानक के रूप में काम करने की पुकार लगाता हूंँ”

“मैं हर किसी से हर जगह नफ़रत के ख़िलाफ़ खड़ा होने, एक दूसरे के साथ गरिमामय बर्ताव करने और दयालुता फैलाने के हर अवसर का लाभ उठाने के लिए कहता हूँ.”

संयुक्त राष्ट्र ने हाल के समय में विदेशियों के प्रति डर व नापसंदगी, नस्लवाद और असहिष्णुता जैसी समस्याओं के उभार पर गहरी चिंता जताते हुए असरदार कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया है. 

यूएन प्रमुख ने इन्हीं प्रयासों के तहत पिछले वर्ष नफ़रत भरे संदेशों व भाषणों को टक्कर देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की रणनीति व कार्ययोजना पेश की थी. 

इस कार्ययोजना के ज़रिए ‘हेट स्पीच’ की चुनौती से निपटने में देशों को ज़रूरी नीतियॉं विकसित करने में समर्थन दिया जाएगा.