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निर्बलतम देशों की मदद के लिए सात अरब डॉलर की अपील

सीरिया में आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए ख़ैर अल शाम शिविर में एक बच्ची
© OCHA
सीरिया में आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए ख़ैर अल शाम शिविर में एक बच्ची

निर्बलतम देशों की मदद के लिए सात अरब डॉलर की अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने विश्व भर के 60 से ज़्यादा बेहद नाज़ुक देशों में कोविड-19 महामारी का फैलाव रोकने और करोड़ों लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने की मुहिम में लगभग 7 अरब डॉलर की रक़म जुटाने की अपील की है. वैश्विक मानवीय सहायता प्रतिक्रिया योजना गुरूवार को जारी की गई जिसमें समाजों के बेहद निर्बल और वंचित लोगों को सहायता व सुरक्षा मुहैया कराने को प्राथमिकता पर रखा गया है. इनमें वृद्ध लोग, विकलांग व्यक्ति, महिलाएँ और लड़कियाँ शामिल हैं. 

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के संयोजक मार्क लोकॉक ने अपील जारी करने के मौक़े पर आगाह करते हुए कहा कि अगर अभी ठोस ऐहतियाती उपाय नहीं किए गए तो लड़ाई-झगड़े, भुखमरी, ग़रीबी के हालात पैदा होने के साथ-साथ अकाल की स्थिति भी निकट हो सकती है.

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उन्होंने कहा, “यदि हम निर्धनतम लोगों की मदद नहीं करेंगे, ख़ासतौर पर महिलाओं और लड़कियों व अन्य निर्बल तबके की, तो अनेक वर्षों तक केवल प्रभावों से ही निपटते रहेंगे. याद रहे कि इन तबकों पर ही महामारी और वैश्विक आर्थिक मन्दी की सबसे ज़्यादा मार पड़ती है.”

उन्होंने कहा कि अभी ठोस उपाय करने के बजाय असर और नुक़सान हो जाने के बाद जो उपाय किए जाएंगे वो सभी के लिए ज़्यादा तकलीफ़देह और ज़्यादा ख़र्चीले होंगे. 

भुखमरी महामारी को टालना 

कोविड-19 महामारी अब विश्व के हर देश में लगभग हर कोने तक पहुँच गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग दुनिया भर में इस महामारी से 36 लाख लोगों के संक्रमित होने और ढाई लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाने की ख़बरें दी हैं.

अलबत्ता मानवीय सहायता एजेंसियों का मानना है कि निर्धन देशों मे इस महामारी का उच्चतम दौर अबी तीन से छह महीनों के भीतर आने की संभावना है.

महामारी का प्रभाव पहले इस रूप में नज़र आने लगा है कि लोगों की आमदनी कम हो गई और बहुत से लोगों के रोज़गार छिन गए हैं. इस बीच खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बाधित हो रही है क्योंकि खाने-पीने की चीज़ों के दाम आसमान छूने लगे हैं, करोड़ों बच्चों को नियमित टीके नहीं लगे हैं और उनके स्कूलों से बाहर रहने के कारण उन्हें स्कूली भोजन भी नहीं मिल पा रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम व अन्य यूएन एजेंसियाँ और उनके साझीदार संगठन भोजन संबंधी तत्काल ज़रूरतों के लिए हर दिन लगभग दस करोड़ लोगों तक मदद पहुँचाने में लगे हैं.

सीरिया में युद्ध के कारण विस्थापित एक व्यक्ति की स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करते हुए एक एक डॉक्टर.
© OCHA
सीरिया में युद्ध के कारण विस्थापित एक व्यक्ति की स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करते हुए एक एक डॉक्टर.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली का कहना है, “इस बारे में आसानी से कल्पना की जा सकती है कि अगर आर्थिक मन्दी जारी रही और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई तो क्या हालात होंगे. बिल्कुल तबाही मच जाएगी.”

ठोस व तीव्र कार्रवाई योजना

छह अरब 70 करोड़ डॉलर की इस मानवीय सहायता योजना में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वैश्विक महामारी के असर को टालने या कुछ कम कहने के लिए तीव्र और ठोस कार्रवाई करने का आहवान किया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वैसे तो इन देशों में कोविड-19 संक्रमण के अभी कम ही मामले हैं, मगर इन देशों में निगरानी, लैब टेस्ट और स्वास्था सेवाओं का ढाँचा बहुत कमज़ोर है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर माइकल रायन ने इस मौक़े पर कहा कि स्वास्थ्य संकट के दौरान बी अनेक बीमारियों से बचाने वाले टीकाकरण और अन्य ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ जारी रखना बेहद ज़रूरी है.

हम सभी पर है जोखिम

ये संशोधित योजना महासचिव एंतोनियो गुटेरेश द्वारा मार्च के अन्त में जारी की गई दो अरब डॉलर की अपील की नींव पर ही आधारित है. 

महासचिव ने दानदाताओं से तेज़ी दिखाने का आग्रह किया है ताकि नॉवल कोरोनावायरस पूरी दुनिया को बुरी तरह अपनी चपेट में ना ले ले. 

उन्होंने एक वीडियो सन्देश में कहा, “मानवीय सहायता केवल नैतिक ज़रूरत नहीं है; ये वायरस का मुक़ाबला करने के लिए एक व्यावहारिक अनिवार्यता है.”

“अगर निर्धनतम स्थानों पर कोविड-19 का क़हर टूट पड़ा तो, हम सभी ख़तरे में हैं.”