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कोविड-19: अफ़ग़ानिस्तान में संक्रमण की ऊँची दर पर चिंता

बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों की वतन वापसी और देश में कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली होने के कारण चिंता व्याप्त है.
UNOCHA/Shahrokh Pazhman
बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिकों की वतन वापसी और देश में कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली होने के कारण चिंता व्याप्त है.

कोविड-19: अफ़ग़ानिस्तान में संक्रमण की ऊँची दर पर चिंता

प्रवासी और शरणार्थी

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने अफ़ग़ानिस्तान में कोविड-19 महामारी के संक्रमण के मामलों की ऊँची दर पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि तत्काल असरदार क़दमों के अभाव में कुल आबादी का 80 फ़ीसदी हिस्सा कोरोनावायरस के संक्रमण का शिकार हो सकता है. यूएन एजेंसी के मुताबिक ऐसे माहौल में इस साल जनवरी के बाद से अब तक पड़ोसी देशों, ईरान और पाकिस्तान से लौटने वाले दो लाख 70 हज़ार से ज़्यादा लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए भी ख़तरा है. 

अफ़ग़ानिस्तान में 5 मई तक संक्रमण के दो हज़ार 900 मामलों की पुष्टि हुई है और 90 लोगों की मौत हुई है लेकिन अधिकारियों ने आशंका जताई है कि अगर तात्कालिक उपाय नहीं किए गए तो देश की कुल आबादी यानि क़रीब साढ़े तीन करोड़ में से 80 फ़ीसदी हिस्से के संक्रमित होने की आशंका है. 

देश में अब तक संक्रमणों के कुल मामलों से संकेत मिलता हैं कि इस मामले में अफ़ग़ानिस्तान दुनिया में सबसे ज़्यादा दर वाले देशों में शामिल हो सकता है. 

50 से 70 लाख की आबादी वाले शहर काबुल में हाल के दिनों में 500 लोगों के आकस्मिक नमूने (Randomized samples) एकत्र किए गए. नतीजे दर्शाते हैं कि संक्रमण की दर 50 फ़ीसदी है जो एक गंभीर चेतावनी का सबब है.  

महामारी से मज़बूती से निपटने के प्रयासों में सबसे बड़ा अवरोध देश में टेस्ट की कमज़ोर क्षमता का होना है. जनवरी 2020 से अब तक परीक्षणों के लिए आठ केंद्र बनाए गए हैं लेकिन इन केंद्रों पर हर दिन महज़ 100-150 टेस्ट करने की क्षमता ही है. 

टेस्ट क्षमता व किटों के अलावा प्रशिक्षित लैब कर्मचारियों और टैक्नीशियन्स की भी कमी बताई गई है. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान में गंभीर मरीज़ों के इलाज के लिए लिए सीमित ढाँचागत सुविधाएँ ही उपलब्ध हैं.  

महिलाओं व पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) 50 फ़ीसदी है और आबादी का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही टीबी, एचआईवी-एड्स, कुपोषण, कैंसर, ह्रदय व फेफडों की बीमारियों से पीड़ित है.

प्रदूषण के कारण भी लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव हो रहा है. 

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अफ़ग़ानिस्तान कार्यालय में आपात कार्रवाई अधिकारी निकोलस बिशप ने बताया, “देश में आवाजाही और एकातंवात में रखे जाने की पाबंदियाँ लागू हैं लेकिन उनका सीमित असर ही हुआ है."

"देश की सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के कारण परिवार नियमित आमदनी के बिना कुछ दिनों से ज़्यादा गुज़र-बसर नहीं कर सकते हैं.”

विकट हालात

उन्होंने कहा कि लोग कठिन हालात में भी अपने परिवार के लिए रोज़ी-रोटी कमाने के लिए विवश हैं. अफ़ग़ानिस्तान में एक परिवार में औसतन सात सदस्य होते हैं और अधिकतर लोग छोटे, सीमित जगह वाले और घुटन भरे मकानों में को लिए मजबूर हैं. 

“ग्रामीण इलाक़ों में जागरूकता का बड़ा अभाव है. ग़ैर-सरकारी संगठनों के समूह ने हाल ही में एक सामुदायिक धारणा सर्वे कराया जो दर्शाता है कि 60 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों को कोविड-19 के बारे में जानकारी नहीं है.” 

कोविड-19 की चुनौती से मुक़ाबला करने में एक बड़ी बाधा पिछले तीन महीनों में हिंसा का दायरा व्यापक होना भी है.

सरकार के नियंत्रण से बाहर वाले इलाक़ों में जाना संभव नहीं है यानि देश के 30 फ़ीसदी हिस्से में कोरोनावायरस मामलों की जॉंच के लिए परीक्षण ही नहीं कराए जा सकते हैं.

“हम इन क्षेत्रों में इस बीमारी के गहरे असर से अनजान हैं जहाँ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्वास्थ्य देखभाल के लिए कई निवेदन किए जा चुके हैं.”  

यूएन एजेंसी इन हालात के बावजूद अफ़ग़ानिस्तान के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर काम कर रही है. इन प्रयासों के तहत 100 से ज़्यादा स्वास्थ्य कर्मचारी सीमा पर निगरानी, स्वास्थ्य केंद्रों पर मदद और मोबाइल टीमों के साथ तैनात किए गए हैं. 

अगर लक्षण निगरानी केंद्रों पर किसी व्यक्ति के संक्रमित होने संदिग्ध मामला सामने आता है तो उसे यूएन एजेंसी की एम्बुलेंस सेवा के ज़रिए नज़दीकी एकांतवास केंद्र भेज दिया जाता है. 

अफग़ानिस्तान में यूएन एजेंसी के मिशन प्रमुख स्टुअर्ट सिंपसन ने बताया कि स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ट्रेनिंग, निजी बचाव उपकरण और अन्य ज़रूरी मेडिकल सामग्री मुहैया कराया जा रही है और 25 प्रांतों के दस हज़ार समुदायों में जोखिम संचार व सामुदायिक संपर्क के काम में मदद की जा रही है. 

अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन हर साल अफ़ग़ानिस्तान में बिना दस्तावेज़ों के ईरान से लौटने वाले हज़ारों अफ़ग़ान लोगों को मानवीय राहत उपलब्ध कराता है. इस वर्ष अब तक सीमा चौकियों के नेटवर्क के ज़रिए 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की सहायता की जा चुकी है.

अफ़ग़ानिस्तान में कोविड-19 की जवाबी कार्रवाई के लिए यूएन एजेंसी ने दानदाताओं से अतिरिक्त 50 लाख डॉलर की मदद मांगी है ताकि जीवनरक्षक सेवाओं का दायरा बढ़ाया जा सके.