वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

संघर्षों व हिंसा के कारण विस्थापित बच्चों की रिकॉर्ड संख्या

दक्षिणी यमन के अदन में विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए एक शिविर में एक बच्चा खेलते हुए, जब उसकी माँ पानी लेने के लिए लाइन में लगने गई हुई है.
© UNICEF/Moohialdin Fuad
दक्षिणी यमन के अदन में विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए एक शिविर में एक बच्चा खेलते हुए, जब उसकी माँ पानी लेने के लिए लाइन में लगने गई हुई है.

संघर्षों व हिंसा के कारण विस्थापित बच्चों की रिकॉर्ड संख्या

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक ताज़ा रिपोर्ट में पाया गया है कि वर्ष 2019 में लड़ाई-झगड़ों और हिंसा के कारण लगभग एक करोड़ 90 लाख बच्चों को अपने ही देशों में विस्थापित होना पड़ा, जोकि किसी भी अन्य साल से ज़्यादा है. इस कारण बच्चे वैश्विक महामारी कोविड-19 के वैश्विक फैलाव के लिए सबसे कमज़ोर तबका बन गए हैं. 

यूनीसेफ़ की – “Lost at Home” नामक ये रिपोर्ट मंगलवार को प्रकाशित की गई है जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2019 में नए विस्थापित बच्चों की संख्या लगभग एक करोड़ 20 लाख थी:  इनमें से क़रीब 38 लाख बच्चों को संघर्षों व हिंसा के कारण विस्थापित होना पड़ा, और लगभग 82 लाख बच्चे मुख्यतः मौसम संबंधी घटनाओं से उत्पन्न विपदाओं के कारण विस्थापित हुए. 

कोरोनावायरस से बढ़ी मुसीबतें 

यूएन बाल एजेंसी का कहना है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने स्थिति को और ज़्यादा ख़तरनाक बना दिया है. शिविर या अनौपचारिक बस्तियों में ज़रूरत से ज़्यादा लोग पहुँच गए हैं, और वहाँ समुचित स्वच्छता व स्वास्थ्य सेवाएँ मौजूद नहीं हैं.

वहाँ रहने वालों के बीच उपयुक्त फ़ासला बनाए रखना अक्सर संभव नहीं है, जिसके कारण ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं जो महामारी के फैलाव के लिए बहुत अनुकूल हो सकते हैं. 

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर का कहना है, “जब कोविड-19 जैसा कोई नया संकट पैदा होता है तो, ऐसे बच्चों के लिए हालात बेहद नाज़ुक हो जाते हैं.

ये बहुत ज़रूरी है कि देशों की सरकारें और मानवीय सहायता वाले साझीदार संगठन इन बच्चों को सुरक्षित, स्वस्थ व संरक्षित रखने के लिए साथ मिलकर काम करें जिससे उनकी पढ़ने की प्रक्रिया भी जारी रहे.”

रिपोर्ट देशों के भीतर ही विस्थापित होने वाले बच्चों के लिए दरपेश ख़तरों पर भी नज़र डालती है जिनमें बाल श्रम, बाल विवाह और उनकी तस्करी होने के जोखिम शामिल हैं इसलिए ऐसे हालात में बच्चों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई किया जाना बहुत ज़रूरी है.

रिपोर्ट में रणनैतिक निवेश करने और बच्चों को विस्थापन के लिए ज़िम्मेदार विशिष्ट कारकों पर ध्यान देने के लिए सरकारों, सिविल सोसायटी, कंपनियों, मानवीय सहायता एजेंसियों व ख़ुद बच्चों को एकजुट प्रयास करने होंगे, इन कारकों में ख़ासतौर पर हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार प्रमुख हैं.

सरकारी निवेश है कुंजी 

रिपोर्ट में तमाम देशों की सरकारों का आहवान किया गया है कि वो यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश द्वारा स्थापित आन्तरिक विस्थापन पर उच्च स्तरीय पैनल के तहत सटीक क़दम उठाने में धन निवेश करें जिससे आन्तरिक रूप से विस्थापित बच्चों और उनके परिवारों को संरक्षा व तमाम सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित हो.

रिपोर्ट के अनुसार इस एजेंडा पर काम करके बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए बेहतर, समय पर और आसान उपलब्धता वाले आँकड़े भी बहुत महत्वपूर्ण हैं जिनमें उम्र और लैंगिक पक्ष भी शामिल किए गए हों. 

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है, “आन्तरिक रूप से विस्थापित बच्चों और युवाओं को व्यवस्था में निर्णायक स्थान मिलना चाहिए.”