कोविड-19: स्कूल फिर से खोलने के लिए नए दिशा-निर्देश

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र दुनिया के अनेक देशों में स्कूल बंद किए गए हैं जिससे बच्चों की शिक्षा, संरक्षण और स्वास्थ्य-कल्याण के लिए अभूतपूर्व जोखिम पैदा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने गुरुवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जो बताते हैं कि तालाबंदी से प्रभावित एक अरब से ज़्यादा बच्चों के लिए स्कूल फिर किस तरह खोले जा सकते हैं.
तालाबंदी व सख़्त पाबंदियों के कारण मौजूदा समय में 73 फ़ीसदी से ज़्यादा छात्रों यानी एक अरब 20 करोड़ से ज़्यादा बच्चों व युवाओं की पढ़ाई-लिखाई पर असर पड़ा है.
यूएन एजेंसियों ने सचेत किया है कि व्यापक स्तर पर शिक्षा केंद्रों के बंद होने से बच्चों की शिक्षा व उनके कल्याण के लिए अभूतपूर्व ख़तरा पैदा हुआ है, विशेषकर हाशिए पर रहे उन बच्चों के लिए जो अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा व पोषण के लिए स्कूलों में मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं.
Nearly 1.3 billion.That’s the number of children & youth out of school due to #COVID19 closures.With @UNICEF @WFP & @WorldBank we are scaling up efforts, providing new guidance on the safe reopening of schools.Full statement here: https://t.co/X2IdaRAGwm pic.twitter.com/iqZCuBjQzG
UNESCO
ताज़ा दिशा-निर्देश संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने विश्व बैंक के साथ मिलकर जारी किया है. ये संगठन ‘वैश्विक शिक्षा गठबंधन’ में शामिल हैं जो शिक्षा के लिए अवसरों को प्रोत्साहन देने के लिए मार्च 2020 में स्थापित किया गया था.
इन गाइडलाइन्स में राष्ट्रीय और स्थानीय प्रशासन के लिए ऐसे व्यावहारिक क़दमों का उल्लेख हैं जिनके ज़रिए स्कूलों में बच्चों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा सकती है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि जो बच्चे स्कूलों से वंचित रह जाते हैं उन्हें बढ़ती असमानता, ख़राब स्वास्थ्य, हिंसा, बाल श्रम, बाल विवाह जैसे ख़तरों का सामना करना पड़ता है.
“हम जानते हैं कि बच्चे जितना लंबे समय तक स्कूलों से बाहर रहते हैं, उनके वापस आने की संभावना उतनी ही कम होती है. अगर हमने स्कूल फिर से खोलने को प्राथमिकता नहीं बनाया – जब ऐसा करना सुरक्षित हो – तो शिक्षा में प्रगति की दिशा को भारी झटका लगने की संभावना है.”
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने इससे पहले सरकारों से ऐसे 37 करोड़ बच्चों की स्वास्थ्य व पोषण संबंधी ज़रूरतों का ध्यान रखे जाने की अपील की थी जिसके अभाव में उनके भविष्य पर हानिकारक असर होगा.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली के मुताबिक, “दुनिया भर में लाखों बच्चों के लिए स्कूलों में मिलने वाला आहार ही उनका दिन में एकमात्र भोजन है. इसके बिना वे भूखे रह जाएंगे, उनके बीमार पड़ने, स्कूलों से बाहर हो जाने और ग़रीबी से निकल पाने का एक अच्छा मौक़ा खो जाने का जोखिम है.”
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्कूल फिर से खोले जाते समय बेहतर तैयारी को ध्यान में रखा जाना होगा. इसके लिए पढ़ाई-लिखाई की बेहतर व्यवस्था होने, बच्चों के लिए व्यापक मदद उपलब्ध कराए जाने और उनके स्वास्थ्य, पोषण, मनोसामाजिक मदद, जल, साफ़-सफ़ाई की ज़रूरतों का ख़याल रखना अहम है.
एक नज़र दिशा-निर्देशों में उल्लेखित अहम बिंदुओं पर:
नीतिगत सुधार: इसके तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी के दौरान स्कूल खोलने और बंद करने के लिए स्पष्ट नीतियांँजारी करने, रिमोट लर्निंग (दूरस्थ शिक्षा) के लिए मानक स्थापित करने और उन्हें मज़बूत बनाने और वंचितों व स्कूलों से बाहर बच्चों के लिए सुलभ बनाने पर ज़ोर दिया गया है.
वित्तीय ज़रूरत: कोविड-19 के कारण शिक्षा पर पड़ने वाले असर को दूर किया जाए और शिक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने, सहनशीलता बढ़ाने और उसे पुनर्बहाल करने के इंतज़ाम हों.
सुरक्षित संचालन: बीमारी के फैलाव की रोकथाम सुनिश्चित की जाए, ज़रूरी सेवाओं और सामग्री की व्यवस्था सुरक्षित ढंग से और स्वस्थ आदतों (हाथ धोना, पीने के लिए स्वच्छ पानी, शारीरिक दूरी बरतना) को बढ़ावा दिया जाए.
क्षतिपूर्ति के लिए शिक्षा: ऐसे तरीक़े अपनाए जाएँ जिनसे शिक्षण समय के नुक़सान की भरपाई हो सके, साथ ही पढ़ाई-लिखाई के हाइब्रिड मॉडल का निर्माण हो ताकि दूरस्थ शिक्षा की भी व्यवस्था की जाए.
संरक्षण एवं कल्याण: बच्चों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्कूलों में भोजन-पोषण और स्वास्थ्य सुविधाएँ जैसी ज़रूरी सेवाएँ प्रदान की जाएँ.
वंचितों तक पहुँच: स्कूल खोलने की नीतियाँ तैयार करते समय हाशिए पर रहने वाले बच्चों व समुदायों का भी ख़याल किया जाए और महत्वपूर्ण जानकारी अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराई जाए.