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कोविड-19: कामगारों की आधी आबादी पर आजीविका का संकट

घाना के आकरा की एक फ़ैक्ट्री में युवा श्रमिक परिधान तैयार कर रहे हैं.
World Bank/Dominic Chavez
घाना के आकरा की एक फ़ैक्ट्री में युवा श्रमिक परिधान तैयार कर रहे हैं.

कोविड-19: कामगारों की आधी आबादी पर आजीविका का संकट

आर्थिक विकास

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट मे कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 का दुनिया भर में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में करोड़ों श्रमिकों और उद्यमों पर तबाही लाने वाला असर पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की वजह से कामकाजी घंटों में भारी गिरावट जारी है. अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले लगभग एक अरब 60 करोड़ कामकाजी लोगों की क़रीब आधी संख्या में लोग अपनी आजीविका खोने के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

यूएन एजेंसी की ताज़ा जानकारी 'ILO Monitor Third Edition: COVID-19 and the World of Work'  के मुताबिक वर्ष 2020 की मौजूदा (दूसरी) तिमाही में कामकाजी घंटों में गिरावट पहले के अनुमानों से भी कहीं ज़्यादा हो सकती है. 

श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने बताया कि जैसे-जैसे महामारी और रोज़गार के संकट की तस्वीर स्पष्ट हो रही है, सबसे निर्बलों को मदद करने की ज़रूरत और ज़्यादा तात्कालिक होती जा रही है.  

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“लाखों श्रमिकों के पास भोजन के लिए आय, सुरक्षा और भविष्य में गुज़र-बसर करने का कोई ज़रिया नहीं है. दुनिया भर में लाखों व्यवसाय मुश्किल से सॉंस ले पा रहे हैं. उनके पास बचत या उधार के साधन सुलभ नहीं है. कामकाजी दुनिया के यही वास्तविक चेहरे हैं. अगर हमने मदद नहीं की तो ये बर्बाद हो जाएंगे.”

इस संकट से पहले वर्ष 2019 की चौथी तिमाही के स्तर की तुलना में अब 10.5 फ़ीसदी की गिरावट आने की आशंका है जो 30 करोड़ से ज़्यादा पूर्णकालिक रोज़गारों के समान है. इस अनुमान के लिए एक सप्ताह में 48 कामकाजी घंटों को पैमाना माना गया है. 

इससे पहले यह अनुमान 6.7 फ़ीसदी की गिरावट का का लगाया गया था जिसमें 19 करोड़ से ज़्यादा पूर्णकार्लिक कर्मचारियों के रोज़गार खो जाने के समान था. इसकी वजह तालाबंदी व अन्य सख़्त पाबंदियों का जारी रहना बताया गया है. 

भौगोलिक दृष्टि से सभी बड़े क्षेत्रों में हालात ख़राब हुए हैं. अनुमानों के मुताबिक वर्ष की दूसरी तिमाही में अमेरिका क्षेत्र में कामकाजी घंटों में संकट से पहले की तुलना में 12.4 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

योरोप और मध्य एशिया के लिए यह आँकड़ा 11.8 प्रतिशत है जबकि अन्य क्षेत्रों के लिए यह 9.5 फ़ीसदी से ज़्यादा बताया गया है. 

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर असर 

वैश्विक कार्यबल  की संख्या तीन अरब 30 करोड़ बताई गई है जिनमें से दो अरब से ज़्यादा लोग अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं.

ये भी पढ़ें: कोविड-19: विश्व में कामकाजी घंटों और रोज़गार में भारी नुक़सान की आशंका

विश्वव्यापी महामारी के कारण एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे एक अरब 60 करोड़ श्रमिकों की रोज़ी-रोटी कमाने पर असर पड़ा है. 

स्वास्थ्य संकट शुरू होने के बाद के पहले महीने में वैश्विक स्तर पर अनौपचारिक श्रमिकों की आय में गिरावट 60 फ़ीसदी आँकी गई है.

अफ़्रीका और अमेरिका क्षेत्र में यह गिरावट 81 फ़ीसदी, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 21.6 फ़ीसदी और योरोप व मध्य एशिया में 70 प्रतिशत होने का अनुमान है.

आजीविका के वैकल्पिक साधनों के अभाव में प्रभावित श्रमिकों व उनके परिवार के लिए जीवन-यापन बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. 

हालत में बेहतरी के लिए यूएन एजेंसी ने तत्काल लक्षित व लचीले उपाय अपनाने की पुकार लगाई है ताकि श्रमिकों व व्यवसायों को सहारा दिया जा सके, विशेषकर उन छोटे उद्यमों के लिए जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा है या फिर नाज़ुक हालात का सामना कर रहे हैं.  

आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए रोज़गार पर केंद्रित रणनीति को अहम बताया गया है जिसके लिए मज़बूत रोज़गार नीतियाँ व संस्थाएँ, सुसंपन्न और व्यापक सामाजिक संरक्षण प्रणालियों को ज़रूरी बताया गया है.

साथ ही अंतरराष्ट्रीय समन्वय और स्फूर्ति प्रदान करने वाले पैकेज व क़र्ज़माफ़ी के उपायों से पुनर्बहाली प्रक्रिया को टिकाऊ व प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी. 

इसे संभव बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के तहत एक फ़्रेमवर्क तैयार किया जा सकता है.