कोविड-19 व जलवायु चुनौतियाँ: निडर और दूरगामी नेतृत्व की पुकार

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 और मानवता के अस्तित्व पर मंडराते जलवायु संकट से निपटने का एकमात्र विश्वसनीय रास्ता बहुपक्षवाद पर आधारित निडर, दूरगामी और सहयोगपूर्ण नेतृत्व में निहित है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय चर्चा में यह बात कही है. यूएन प्रमुख ने ज़िंदगियों पर मंडराते ख़तरों, पंगु हो रहे व्यवसायों और क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं की पृष्ठभूमि में सचेत किया है कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए भी जोखिम पैदा हो गया है.
बर्लिन में मंगलवार को पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद (Petersberg Climate Dialogue) को संबोधित करते हुए सहनक्षमता मज़बूत बनाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती की तत्काल आवश्यकता को दोहराया गया ताकि औद्योगिक काल से पहले के समय की तुलना में तापमान में मौजूदा बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सके.
Addressing the climate crisis and #COVID19 simultaneously requires a response stronger than any seen before to safeguard the the planet and protect people everywhere. My piece in the @nytimes.https://t.co/D6bN0rKQJu
antonioguterres
“सबसे बड़ी क़ीमत कुछ भी ना करने की क़ीमत है.”
उन्होंने कहा कि तकनीक की मदद से और जनमानस की इच्छाओं के अनुरूप बहुत से शहर और व्यवसाय इस दिशा में कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन ज़रूरी राजनैतिक इच्छाशक्ति का अब भी अभाव है.
यूएन महासचिव ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती, अनुकूलन प्रयासों व वित्तीय संसाधनों का इंतज़ाम करने के लिए महत्वाकांक्षा बढ़ाने की पैरवी की है.
ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के उपायों के तहत सभी देशों को वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी (नैट कार्बन उत्सर्जन की मात्रा शून्य) हासिल करनी होगी. विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम ज़िम्मेदार हैं लेकिन उसका सबसे अधिक असर उन्हीं पर दिखाई दे रहा है.
ऐसे देशों की सहन-क्षमता बढ़ाने के लिए मदद की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है जिसके अंतर्गत हर साल कार्बन कटौती व अनुकूल प्रयासों के लिए 100 अरब डॉलर की व्यवस्था करनी होगी.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से उबरने व हालात बहाल किए जाने की प्रक्रिया को एक अवसर के रूप में देखा जाना होगा ताकि दुनिया को एक ऐसे रास्ते पर ले जाया जा सके जहॉं जलवायु परिवर्तन से निपटना, पर्यावरण की रक्षा करना, जैवविविधता को संरक्षित रखना और दीर्घकाल के लिए मानवता का स्वास्थ्य व सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव हो.
“कम कार्बन आधारित और जलवायु-सहनशील आर्थिक वृधि के ज़रिए हम एक ऐसी दुनिया सृजित कर सकते हैं जो स्वच्छ, हरित, सुरक्षित, न्यायोचित और सभी के लिए समृद्ध हो.”
इस क्रम में उन्होंने जलवायु संबंधी छह उपाय पेश किए हैं जिन्हें अपनाकर देश हालात बहाली की दिशा में बढ़ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस की तरह ग्रीनहाउस गैसें भी सीमाओं को नहीं पहचानतीं और अलग-थलग रहना एक ऐसा जाल है जिसमें किसी भी देश को अपने दम पर सफलता नहीं मिल सकती.
“हमारे पास पहले से ही कार्रवाई के लिए एक साझा फ़्रेमवर्क है – टिकाऊ विकास का 2030 एजेंटा और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता.”
जलवायु अनुकूल ढंग से उबरने के छह उपाय:
दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ एक साथ मिलकर कुल वैश्विक उत्सर्जन में 80 फ़ीसदी उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार हैं.
महासचिव ने कहा कि इन सभी देशों को वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का संकल्प लेना होगा.
यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु संकट से निपटने की कुंजी बड़े उत्सर्जक देशों के पास है और उनकी पहल के अभाव में सभी प्रयास व्यर्थ साबित होने का जोखिम है.