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कोविड-19: चुनौतियों से निपटने में युवाओं की व्यापक भागीदारी की पुकार 

जिनीवा में एक कार्यक्रम के दौरान युवा कार्यकर्ता व प्रतिभागी यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के सामने अपने सवाल और विचार रखते हुए (फ़ाइल फ़ोटो)
UN Photo/Jean-Marc Ferré
जिनीवा में एक कार्यक्रम के दौरान युवा कार्यकर्ता व प्रतिभागी यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के सामने अपने सवाल और विचार रखते हुए (फ़ाइल फ़ोटो)

कोविड-19: चुनौतियों से निपटने में युवाओं की व्यापक भागीदारी की पुकार 

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि देशों को विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की मौजूदा चुनौती से निपटने के प्रयासों के तहत युवाओं की प्रतिभाओं का उपयोग करने के लिए ज़्यादा प्रयास करने होंगे. यूएन सुरक्षा परिषद ने पाँच वर्ष पहले युवा, शांति व सुरक्षा पर एक प्रस्ताव पारित किया था जिसकी समीक्षा के लिए सोमवार को हुई बैठक के दौरान महासचिव गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए यह जानकारी दी है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2016 में कोलंबिया में शांति प्रक्रिया और फिर दो साल बाद ग्लोबल कॉम्पैक्ट ऑन रैफ़्यूजीज़ पर युवाओं ने अहम योगदान दिया लेकिन बीते वर्षों में युवाओं के साथ संपर्क व संवाद करने के प्रयासों के बावजूद उन्हें योगदान देने के पर्याप्त अवसर नहीं मिले हैं. 

उन्होंने कहा कि दुनिया युवाओं की एक पीढ़ी के खो जाने, कोविड-19 के कारण उनकी ज़िंदगी को धक्का पहुँचने और भागीदारी के अभाव में उनकी आवाज़ अनसुनी होने का ख़तरा मोल नहीं ले सकती.

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“आइए, महामारी से मुक़ाबला करते समय हम उनकी प्रतिभाओं का उपयोग करने के लिए ज़्यादा प्रयास करें और इस ढंग से उबरें कि सभी के लिए पहले से कहीं ज़्यादा शांतिपूर्ण, टिकाऊ और न्यायोचित भविष्य का निर्माण हो.”

यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2250 पर अपनी पहली रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि कोविड-19 से दुनिया भर में युवाओं पर किस तरह असर पड़ा है.

ग़ौरतलब है कि तालाबंदी और अन्य पाबंदियों के कारण डेढ़ अरब से ज़्यादा बच्चे और युवा स्कूली कक्षाओं से बाहर हैं.  

विश्वव्यापी महामारी से पहले ही युवाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था.

हिंसक संघर्ष और अशांति के कारण युवाओं की शिक्षा प्रभावित हो रही थी और मानवाधिकारों व शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करने कार्य में लगे कार्यकर्ताओं को धमकियॉं मिल रही थी. 

इन बाधाओं के बावजूद दुनिया भर में युवा कोरानावायरस रूपी साझा दुश्मन के ख़िलाफ़ लड़ाई का हिस्सा बने हैं और वे अग्रिम मोर्चे पर डटे स्वास्थ्यकर्मियों और ज़रूरतमंदों को समर्थन दे रहे हैं. साथ ही वे बदलाव लाने का भी प्रयास कर रहे हैं. 

कार्रवाई का आहवान

यूएन में युवा मामलों की दूत जयाथमा विक्रमानायके ने युवाओं और उन नागरिक समाज संगठनों और सरकारी संस्थाओं में अर्थपूर्ण साझीदारी की आवश्यकता पर बल दिया जो युवाओं, शांति और सुरक्षा से संबंधित एजेंडा पर कार्य करते हैं. 

“अब तक युवा, शांति व सुरक्षा पर कोई राष्ट्रीय कार्ययोजना नहीं है लेकिन मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई कि कुछ देशों में इन्हें विकसित करने पर काम चल रहा है.”

“एक राष्ट्रीय रोडमैप को सफल बनाने के लिए भागीदारी-सुलभ, पारदर्शी और युवाओं के नेतृत्व में पर्याप्त संसाधनों के साथ प्रक्रिया की ज़रूरत है.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सुरक्षा परिषद के लिए एक कार्ययोजना जारी की है. उन्होंने सदस्य देशों से कहा है कि युवा जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उन्हें दूर करने के लिए और ज़्यादा प्रयासों की आवश्यकता है. 

उन्होंने युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निवेश करने की पुकार लगाई और संगठनों व कार्यक्रमों को सहारा देने की बात कही.

“हमें मानवाधिकार संरक्षण को और ज़्यादा मज़बूत बनाना होगा और नागरिक समाज के लिए जगह की रक्षा करनी होगी – इसी पर युवाओं की भागीदारी निर्भर करती है.”

उन्होंने कहा कि हमें कोविड-19 संकट से पहले से बेहतर हालात में उबर आने के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा. इसलिए टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करते समय युवाओं की क्षमताओं में निवेश व्यापक रूप से बढ़ाने की ज़रूरत है. 

17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा एक बेहतर दुनिया व पृथ्वी के निर्माण के लिए ब्लूप्रिंट है जिसे वर्ष 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.