कोविड-19: सख़्त पाबंदियों से निर्बल समुदायों पर सबसे अधिक असर

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा है कि अनेक देशों से व्यथित करने वाली ऐसी जानकारी मिल रही हैं जो दर्शाती हैं कि तालाबंदी की सख़्त पाबंदियों से ज़हरीला माहौल पनप रहा है और जिससे समाज के सबसे निर्बल वर्ग पर भारी असर पड़ रहा है. ग़ौरतलब है कि पिछले हफ़्ते ही यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया था कि कोविड-19 संकट के बहाने दमनकारी क़दम उठाए जाने से बचाना होगा क्योंकि ख़तरा वायरस से है, लोगों से नहीं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सोमवार को जिनीवा में कहा कि आपात शक्तियों को ऐसे हथियार नहीं बनने देना होगा जिन्हें लहराकर सरकारें असहमतियों को कुचलने, जनता पर नियंत्रण करने और अपनी सत्ता को आगे बढ़ाने का काम करने लगें.
अपने एक बयान में उन्होंने कहा, “गोली चलाना, हिरासत में लेना या करफ़्यू तोड़ने के लिए किसी के साथ इसलिए दुर्व्यवहार किया जाना क्योंकि वे हताशा में भोजन की तलाश कर रहे हैं, अस्वीकार्य है और ग़ैरक़ानूनी रवैया है.”
“Emergency powers should not be a weapon governments can wield to quash dissent or control the population” – @mbachelet calls on Governments to ensure #HumanRights are not violated under the guise of exceptional or emergency measures for #COVID19.ℹ️ https://t.co/2NUHpBGXoU pic.twitter.com/qwH5UokJSg
UNHumanRights
“यही बात प्रसव के दौरान महिलाओं का अस्पताल पहुँचना मुश्किल या ख़तरनाक बनाने पर भी लागू होती है. कुछ मामलों में, लोगों की मौत हो रही है क्योंकि ऐसे अनुपयुक्त ढंग से उपाय लागू किए जा रहे हैं जो असल में लोगों की रक्षा के लिए उठाए गए हैं.”
लोगों के अधिकारों के लिए सम्मान में उनकी बुनियादी आज़ादियों – आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक व राजनैतिक – सभी का ख़याल रखा जाना चाहिए.
यूएन उच्चायुक्त ने बताया कि इन अधिकारों की रक्षा किया जाना सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई और विश्वव्यापी महामारी से उबरने के मूल में है.
अपने वक्तव्य में मानवाधिकार कार्यालय ने अफ़्रीका, एशिया और अमेरिका क्षेत्र तक मानवाधिकारों के हनन के उन आरोपों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है जिनसे बुनियादी आज़ादी ख़तरे में पड़ी है.
कार्यालय में फ़ील्ड अभियानों की निदेशक जॉर्जेट गैगनन ने एक ऑनलाइन प्रैस वार्ता में बताया कि कई देशों ने वायरस से निपटने के लिए भारी-भरकम बल का इस्तेमाल करते हुए सैन्य बलों से मदद हासिल करने का रास्ता अपनाया है.
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इसके अलावा हाल के दिनों में ऐसी भी रिपोर्टें सामने आई हैं जिनके मुताबिक अमेरिका सहित कुछ अन्य देश कथित रूप से कोरोनावायरस के फैलाव के रोकथाम के आधार पर प्रवासियों को शरण देने से इनकार कर रहे हैं.
यूएन कार्यालय ने योरोपीय संघ में भी इन्हीं चिंताओं की ओर ध्यान खींचा है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक सभी देशों को स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि लोगों को ज़बरदस्ती बिना उनकी मर्ज़ी के इस समय घर वापिस नहीं भेजा जाना चाहिए.
अब तक 80 से ज़्यादा देशों ने वायरस के फैलाव के कारण आपात हालात की घोषणा कर दी है जबकि अन्य देशों ने अभूतपूर्व क़दम उठाए हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने सोमवार को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिनमें स्पष्ट किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत देशों के पास सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अधिकारों पर कुछ पाबंदियॉं लगाने का अधिकार है.
एमरजेंसी घोषित किए जाने के बाद कुछ अतिरिक्त शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
लेकिन यूएन कार्यालय के मुताबिक ये पाबंदियॉं आवश्यक, ज़रूरत के अनुरूप और बिना किसी भेदभाव के अमल में लाई जानी चाहिए और उनका इस्तेमाल अस्थाई रूप से ही होना चाहिए.