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बांग्लादेश: लॉकडाउन में यूएन और सरकार प्रभावितों की मदद के लिए सक्रिय

बांग्लादेश में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिए यूएनडीपी ने यूके एड के सहयोग से शहरी इलााकों में लगभग 50 हज़ार ग़रीब परिवारों की मदद के लिए सहायता सामग्री मुहैया कराई है.
UNDP Bangladesh/Fahad Kaizer
बांग्लादेश में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिए यूएनडीपी ने यूके एड के सहयोग से शहरी इलााकों में लगभग 50 हज़ार ग़रीब परिवारों की मदद के लिए सहायता सामग्री मुहैया कराई है.

बांग्लादेश: लॉकडाउन में यूएन और सरकार प्रभावितों की मदद के लिए सक्रिय

स्वास्थ्य

बांग्लादेश जब वैश्विक महामारी कोविड-19 का मुक़ाबला करने की तैयारी में जुटा है तो संयुक्त राष्ट्र देश में सरकार, सिविल सोसायटी और निजी क्षेत्र के साथ घनिष्टता से काम कर रहा है. बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र की शीर्षतम अधिकारी – रेज़िडेंट कॉर्डिनेटर मिया सेप्पो का ब्लॉग...

बांग्लादेश की राजधानी ढाका, जहाँ में पिछले तीन वर्षों से रहकर काम कर रही हूँ, आमतौर पर चकाचौंध से भरा, तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी वाला शहर है जिसकी आबादी लगभग एक करोड़ 80 लाख है.

रंग-बिरंगी रौशनी से सराबोर ये शहर लज़ीज़ भोजन परोसने वाले बहुत से रैस्तराँ, महंगी कारें और रिक्शाओं की क़तारें, संस्कृति, फ़ैशन, झुग्गी-झोपड़ियाँ और लाउडस्पीकरों पर अज़ान की बुलन्द आवाज़ों से भरपूर वैरायटी देखने को मिलती है.

लेकिन ये ब्लॉग लिखते समय, ढाका के गर्मजोश मेहमान नवाज़ लोग अपने घरों में बन्द हैं, सड़कें सूनी हैं और शहर ख़ामोश है. मैं जहाँ रहती हूँ उसके पास वाली सड़क पर एक भिखारी की आवाज़ मेरे कानों तक ज़रूर पहुँचती है जिसमें कुछ धन की इल्तिज़ा शामिल है.

ढाका में मेरे वक़्त के दौरान मेरा ये पहला अनुभव है.

बांग्लादेश में यूएन रेज़िडेंट कॉर्डिनेटर मिया सैप्पो (केंद्र में) 2019 में देश के पश्चिमी हिस्से में शरणार्थियों से मुलाक़ात के दौरान.
UN Bangladesh
बांग्लादेश में यूएन रेज़िडेंट कॉर्डिनेटर मिया सैप्पो (केंद्र में) 2019 में देश के पश्चिमी हिस्से में शरणार्थियों से मुलाक़ात के दौरान.

दुनिया के बहुत घनी आबादी वाले देशों में शुमार बांग्लादेश कोविड-19 का मुक़ाबला करने की तैयारी में जुटा है. एक ऐसा वायरस जिसने दुनिया भर में तबाही और मौत का तांडव मचा दिया है.

दुनिया भर की लगभग आधी आबादी लॉकडाउन यानी तालाबन्दी में रहने को मजबूर है, ये वायरस कारगर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले विकसित देशों से उन घनी आबादी वाले देशों में दाख़िल हो रहा है जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं के ढाँचे भी बहुत कमज़ोर हैं.

अनेक नज़रियों से, बांग्लादेश एक ऐसा ही देश है जिसके बारे में चिन्तित होना स्वभाविक है, लेकिन ऐसे में धैर्य और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत है, घबराहट और दहशत से चुनौतियाँ और ज़्यादा जटिल ही होंगी. 

संसाधनों का सदुपयोग

हम सभी ने एक नई ज़ुबान सीख ली है; आयातित मामले, मामलों के क्लस्टर, सामुदायिक संक्रमण वग़ैरा.

बांग्लादेश सामुदायिक संक्रमण की शुरुआती अवस्था में है, जहाँ ये वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैल रहा है.

सरकार द्वारा मौजूदा लॉकडाउन और लोगों के बीच दूरी बनाए रखने के उपाय स्वास्थ्य सेवाओं को चुनौती का सामना करने के लिए मज़बूत करने का एक मौक़ा मुहैया कराते हैं. 

संयुक्त राष्ट्र ने मौक़े की नज़ाकत को देखते हुए इस वैश्विक महामारी का मुक़ाबला करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर संसाधनों को गति देने के काम में हाथ बँटाना शुरू कर दिया है.

इन प्रयासों में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ऐहतियाती उपकरणों (पीपीई) की ख़रीद, स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देना, परीक्षणों की रफ़्तार बढ़ाना, संभावित संक्रमितों का पता लगाकर उन्हें अलगाव में रखना और लॉकडाउन के दौरान खाद्य सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल हैं.

बांग्लादेश में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों के तहत राजधानी ढाका में नगरपालिका का एक ट्रक इलाक़ों को रसायनों से कीटाणु/विषाणु मुक्त करते हुए.
Saikat Mojumder
बांग्लादेश में कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों के तहत राजधानी ढाका में नगरपालिका का एक ट्रक इलाक़ों को रसायनों से कीटाणु/विषाणु मुक्त करते हुए.

लोगों और तमाम परिवारों तक कोविड-19 के बारे में सटीक और संभवतः जीवनदायी जानकारी पहुँचाने के सरकार के संचार प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र अहम भूमिका निभा रहा है. कोविड-19 के बारे में यहाँ भी कुछ झूठी व आधारहीन जानकारियाँ फैली हैं जिनके कारण ज़िन्दगियों के लिए ख़तरा पैदा हो गया है.

इस संकट का सामना उच्च आमदनी वाले और निम्न आय वाले देश समान रूप से कर रहे हैं, जिसके कारण आधुनिक समय में एक असाधारण स्थिति उत्पन्न हो गई है. चूँकि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है,

तमाम देश एक जैसे सामान की आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं, ख़ासतौर से चिकित्सा उपकरणों की क़िल्लत और आपूर्ति की स्थिति बहुत ख़राब हो गई है. ऐसे हालात में नवीकरण और स्थानीय समाधानों के लिए, जहाँ तक संभव हो, रचनात्मकता की ज़रूरत है.

बांग्लादेश इस मामले में काफ़ी सकारात्मक स्थिति में नज़र आता है कि यहाँ मज़बूत निर्माण व निजी क्षेत्र मौजूद है जिसे ज़रूरत पड़ने पर ज़रूरी सामान की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सक्रिय किया जा सकता है.

सिविल सोसायटी ने बहुत तेज़ी से विभिन नैटवर्क सक्रिय कर दिए हैं और बहुत से समूहों ने प्रभावित व निर्बल तबक़ों की मदद करने के काम में बहुत तेज़ी दिखाई है. 

यहाँ बात केवल BRAC की नहीं हो रही है जोकि बांग्लादेश में स्थित एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय विकास संगठन है, बल्कि उन अनगिनत ग़ैरसरकारी संगठनों का ज़िक्र है जो ज़मीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और ज़रूरतमन्दों तक भोजन सामग्री पहुँचाने के काम में लगे हैं.

इन प्रयासों में बहुत अहम ये भी है कि कोविड-19 महामारी के साथ कलंक की मानसिकता व भेदभाव की तरफ़ भी ध्यान खींचा जा रहा है, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए. हमेशा की तरह, ग़ैरसरकारी संगठन और सिविल सोसायटी इस महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में बहुत अहम साझीदार साबित हो रहे हैं. 

सुरक्षा नैटवर्क और...

बांग्लादेश में काफ़ी समृद्ध निजी क्षेत्र है, आगे बढ़ता मध्य वर्ग, और ये एक ऐसा देश है जो विकास संबंधी नवाचार के लिए जाना जाता है, लेकिन इस महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में अगर लोगों को अपने घरों तक सीमित रहने को कहा गया है तो ये एक ऐसा विकल्प है जो बहुत से लोगों के लिए दूर की कौड़ी के समान है.

बांग्लादेश में कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौरान लैंगिक हिंसा की रोकथाम व मदद करने के प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र प्राथमिकता दे रहा है.
Saikat Mojumder
बांग्लादेश में कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के दौरान लैंगिक हिंसा की रोकथाम व मदद करने के प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र प्राथमिकता दे रहा है.

इसलिए सरकार ने बहुत जल्द ही उन लोगों के लिए खाद्य सामग्री मुहैया कराने के अलावा भी कुछ अन्य सहायता उपाय घोषित किए जिन्हें लॉकडाउन के दौरान सामान्य जीवन जीने में मुश्किलें हो रही थीं.  

तात्कालिक रूप में तो संयुक्त राष्ट्र बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर ये सुनिश्चित करने पर काम कर रहा है कि दिहाड़ी आमदनी पर जीने वाले लोगों को लॉकडाउन की इस अनिश्चित अवधि के दौरान भोजन सामग्री की क़िल्लत ना हो.

दीर्घकालिक रूप में यूएन सरकारी समकक्षों के साथ मिलकर सामाजिक और आर्थिक स्तर पर जल्दी उबरने के लक्ष्य पर काम कर रहा है ताकि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके और लोगों की आजीविका बचाई जा सके.

बांग्लादेश से निर्यात होने वाले कुल सामान में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा तैयार कपड़ों यानी रेडिमेड गार्मेंट सैक्टर का है. इस औपचारिक सैक्टर में करोड़ों महिलाएँ भी काम करके नियमित व निर्धारित आजाविका अर्जित करती हैं मगर लॉकडाउन से ये सैक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

अलबत्ता, ये केवल आर्थिक पहलू की बात नहीं है. जो महिलाओं के पारिवारिक संबंधन अच्छे नहीं, उन्हें अपने घरों में सीमित रहना और भी ज़्यादा परेशानी की बात है और घरेलू हिंसा के कारण उनकी चिन्ता और अनिश्चितता में और ज़्यादा बढ़ोत्तरी हो जाती है.

कोविड-19 से प्रभावित समुदायों में हम लैंगिक हिंसा के मामलों में सेवाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं और साथ ही लैंगिक हिंसा के मामलों को रोकने और प्रभावित लोगों की मदद के लिए सेवाओं का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है.

ज़्यादा आश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं, सलाह-मश्विरे के लिए समर्पित हॉटलाइन्स बनाई गई हैं, और मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया कराई जा रही है.

ऐसे स्थिति में उन लोगों के हालात और ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं जिनकी परिस्थितियाँ पहले से ही नाज़ुक होती हैं और इस तरह की चुनौतियाँ का सामना करने में ये सुनिश्चित करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत होती है कि कोई भी पीछे ना छूट जाए.

ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि संकट से उबरने के उपायों और प्रयासों में महिलाओं और अनौपचारिक सैक्टर में काम करने वाले लोगों की ज़रूरतों पर उपयक्त ध्यान दिया जाए.

दयालुता, करुणा और निडरता

किसी को भी ये मालूम नहीं कि वैश्विक स्तर पर या फिर उन देशों में जहाँ हम रहते और कामकाज करते है, वहाँ आने वाले चन्द महीनों में क्या हालत होगी.

लेकिन जो हमें ये ज़रूर मालूम है कि इस महामारी से निटपने में सबसे ज़्यादा मज़बूत या कमज़ोर एक ही चीज़ है और वो है स्वास्थ्य प्रणाली.

ये बेहद ज़रूरी है कि स्थानीय और वैश्विक स्तर पर सभी समुदायों को करुणा और दयालुता में एक ही मंच पर आना होगा और एकजुट होना होगा, ताकि इस संकट का मुक़ाबला एक साथ कर सकें.

हो सकता है कि इस संकट से उबरने के प्रयासों में हम सभी को कुछ ख़रोचें आ जाएँ, मगर मुझे उम्मीद है कि हम सभी एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं.  

अन्त में बांग्ला साहित्यकार और नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर के शब्दों का संदर्भ प्रासंगिक होगा; “हम ख़तरों से पनाह माँगने के लिए प्रार्थना ना करें, बल्कि ख़तरों का सामना करते समय निडर होने की प्रार्थना करें.” इसलिए हम सभी को निडर व दृढ़ संकल्पित होना होगा.

यूएन रेज़िटेंड कॉर्डिनेटर

यूएन कॉर्डिनेटर, जिन्हें अक्सर आरसी भी कहा जाता है, किसी भी देश में संयुक्त राष्ट्र विकास व्यवस्था के सर्वोच्च अधिकारी होते हैं.