कोविड-19 से लड़ने की धुन में टीकाकरण ना छूट जाए
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि साल 2019 में दुनिया भर में लगभग एक करोड़ 30 लाख बच्चों को अनेक तरह की बीमारियों से बचाने वाले टीके नहीं लगवाए गए थे. इसलिए संगठन ने तमाम देशों की सरकारों से टीकाकरण सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुए कहा है कि ख़ासतौर से कोविड-19 महामारी के माहौल में टीकाकरण में किसी भी तरह की बाधा बहुत से बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकती है.
यूनीसेफ़ ने वर्ष 2020 के विश्व टीकाकरण सप्ताह के अवसर पर कहा है कि दुनिया भर में करोड़ों बच्चों को ख़सरा, डिप्थीरिया और पोलियो जैसी ख़तरनाक बीमारियों से बचाने वाले टीके नहीं लग पाते हैं जिसके कारण उनके जीवन पर इन बीमारियों का ख़तरा मंडराता रहता है.
Last year, over 13 million children didn’t receive any vaccines. Now, #COVID19 is leaving even more of the world’s most marginalised children without access to immunization.We face an essential challenge: to make up lost ground and reach every last child.#VaccinesWork pic.twitter.com/i7cmbv6QsJ
UNICEF
चूँकि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित हो गया है इसलिए इन बीमारियों से बचाने वाले टीके लगाने का काम में कुछ बाधाएँ आई हैं.
यूनीसेफ़ का कहना है कि कोविड-19 फैलने से पहले भी दुनिया भरम एक साल से कम उम्र क लगभग दो करोड़ बच्चों को ख़सरा, पोलियो और अन्य बीमारियों से बचाने वाले टीके नहीं लग बाते थे.
यूनीसेफ़ ने चेतावनी के अंदाज़ में ध्यान दिलाया है कि अगर बच्चों के टीकाकरण में मौजूदा कोताही जारी रही तो वर्ष 2020 और उससे भी आगे जानलेवा बीमारियाँ फैल सकती हैं.
यूनीसेफ़ में टीकाकरण अभियानों वाले विभाग के प्रधान सलाहकार और प्रमुख रॉबिन नैन्डी का कहना है, “ये दौर बेहद चिन्ताजनक और ख़तरनाक है. कोविड-19 जैसे-जैसे दुनिया भर में फैल रहा है, बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने वाले टीके लगाने का हमारा काम और भी ज़्यादा अहम हो गया है.”
रॉबिन नैन्डी ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी से टीकाकरण में पैदा हुए व्यवधान के कारण करोड़ों बच्चों के जीवन पर जोखिम मंडरा रहा है.
यूनीसेफ़ का अनुमान है कि वर्ष 2010 से 2018 के बीच दुनिया भर में लगभग 18 करोड़ 20 लाख बच्चों को ख़सरा के टीके की पहली ख़ुराक नहीं दी जा सकी थी. ये संख्या औसतन दो करोड़ 3 लाख प्रतिवर्ष बैठती है.
इसका कारण ये है कि दुनिया भर में ख़सरा के टीके की पहली ख़ुराक की दर केवल 86 प्रतिशत है, बल्कि ख़सरा की बीमारी होने से रोकने के लिए 95 फ़ीसदी की दर हासिल करने की ज़रूरत है.
बच्चों को ख़सरा से बचाने वाला टीका समय पर नहीं लगने के कारण 2019 में कुछ स्थानों पर ये बीमारी फिर से शुरू हो गई थी जोकि बेहद चिन्ता की बात है.
इन में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे उच्च आय वाले देश भी शामिल थे. इस बीच निम्न आय वाले देशों में तो कोविड-19 शुरू होने से पहले भी बच्चों को ख़सरा से बचाने के लिए टीकाकरण में भारी अंतर गहरी चिन्ता का सबब रहा है.
यूनीसेफ़ द्वारा एकत्र क्षेत्रीय स्तर के आँकड़ों की बात करें तो ख़सरा के अलावा अन्य बीमारियों से बचाने वाले टीके लगवाने में मौजूद भारी अन्तर के कारण हालात पहले ही बेहद ख़तरनाक हैं.
टीकाकरण जारी रखना होगा
यूनीसेफ़ बीमारियों वाले क्षेत्रों में बच्चों के टीकाकरण के लिए ज़रूरी वैक्सीन भेज रहा है, साथ ही जहाँ भंडार कम हो गया है, वहाँ भी समुचित तादाद में वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है.
मसलन, यूनीसेफ़ काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के उत्तरी कीवू प्रान्त में टीकाकरण गतिविधियाँ जारी रखने के लिए वैक्सीन आपूर्ति व ऐहतियाती उपकरणों की उपलब्धता में सरकार की मदद कर रह है. उस इलाक़े में 1 जनवरी 2020 से ख़सरा के तीन हज़ार मामले दर्ज किए गए थे.
ऐसे में जबकि पूरी दुनिया कोविड-19 पर काबू पाने वाली वैक्सीन बनाने के लिए जुटी हुई है, यूनीसेफ़ और एमआरआई और गावी (वैक्सीन गठबंधन) में उसके साझीदार संगठनों ने तमाम सरकारों और दानदाताओं से ये क़दम उठाने का आहवान किया है:
• स्वास्थ्य कर्मियों और समुदायों को स्वस्थ व सुरक्षित रखते हुए टीकाकरण सेवाएँ टिकाऊ तरीक़े से जारी रखी जाएँ;
• महामारी ख़त्म होने के बाद टीकाकरण से छूटे सभी बच्चों को टीका लगाने की योजना बनाई जाए;
• गावी वैक्सीन का समुचित भंडार हो क्योंकि ये गठबंधन भविष्य में टीकाकरण के कार्यक्रमों में मदद करता है; और
• कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध होने पर ये सुनिश्चित किया जाए कि ये ज़रूरतमन्दों तक ज़रूर पहुँच सके.
गावी द वैक्सीन अलायंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर सैथ बर्कले का कहना है, “जो लोग इस समय टीकाकरण से वंचित रह गए हैं, वो अपनी पूरी उम्र बीमारियों से सुरक्षा के बिना नहीं रहने चाहिए.”
“कोविड-19 की विरासत इस रूप में नहीं रह सकती कि विश्व भर में ख़सरा और पोलियो जैसी जानलेवा बीमारियाँ फिर से अपना सिर उठा लें.”