कोविड-19: 'इम्यूनिटी पासपोर्ट' की धारणा अभी सबूत आधारित नहीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन चेतावनी देते हुए कहा है कि इन धारणाओं के सही साबित होने के कोई सबूत नहीं हैं कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से उबर गए हैं और जिनके शरीर में इस वायरस की प्रतिरोधी क्षमता यानी एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं, वो इस वायरस के फिर से संक्रमण होने से महफ़ूज़ हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने शुक्रवार को एक वैज्ञानिक संदेश जारी करके कहा कि ऐसे कोई सबूत नहीं है कि किसी व्यक्ति को एक बार इस वायरस का संक्रमण होने के बाद उसके अंदर इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है.
Earlier today we tweeted about a new WHO scientific brief on "immunity passports". The thread caused some concern & we would like to clarify:We expect that most people who are infected with #COVID19 will develop an antibody response that will provide some level of protection. pic.twitter.com/AmxvQQLTjM
WHO
स्वास्थ्य एजेंसी के बुलेटिन में कहा गया है, “किसी इंसान में कोविड-19 का संक्रमण फैलाने वाले वायरस सार्स-CoV-2 का पता लगाने वाले लैब परीक्षणों की सटीकता और विश्वसनीयता पुख़्ता करने के लिए अभी और ज़्यादा वैधता साबित करने की ज़रूरत है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कुछ देशों की सरकारों ने कहा है कि जिन लोगों में कोविड-19 के संक्रमण की वजह बनने वाले वायरस से मुक़ाबला करने वाले एंटीबॉडीज़ का पता लगने के बाद उन्हें ‘ख़तरे से मुक्त होने का प्रमाण-पत्र’ दिया जा सकता है यानि उन्हें ‘इन्यूनिटी पासपोर्ट’ दिया जा सकता है.
इस तरह की पुष्टि होने के बाद ऐसे व्यक्ति ये मानकर यात्रा करने व कामकाज के स्थानों पर जाने के योग्य होंगे कि उन्हें कोविड-19 का संक्रमण फिर से नहीं होगा.
संगठन का कहना है, “ऐसे कोई सबूत नहीं है कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से एक बार स्वस्थ हो गए हैं, उन्हें ये संक्रमण फिर से नहीं होगा.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों में समायोजन करने के दिशा-निर्देशों के तहत ज़ोर देकर कहा है कि वायरस के संक्रमण के जवाब में बनने वाली रोग प्रतिरोधी क्षमता के सबूतों के बारे में लगातार समीक्षा की जा रही है.
संगठन के नए दिशा-निर्देश उन मीडिया रिपोर्टों के मद्देनज़र आई हैं जिनमें कुछ देशों ने अपनी ये मंशा ज़ाहिर की है कि वो एक बार इस संक्रमण से उबरन वाले लोगों को इम्यूनिटी कार्ड जारी कर सकते हैं जिनके बल पर वो यात्रा कर सकते हैं.
इस मंशा के पीछे ये धारणा बताई जाती है कि एक बार इस संक्रमण के पीड़ित मरीज़ को स्वस्थ होने के बाद फिर से ये संक्रमण नहीं होगा.
निसंदेह बहुत से संबंधित अध्ययन दिखाते हैं कि जो लोग कोविड-19 के संक्रमण से उबर गए हैं उनके भीतर इस वायरस का मुक़ाबला करने वाले एंटीबॉडीज़ यानी रोग प्रतिरोधी क्षमता मौजूद है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 तक ऐसा कोई प्रयोग या अध्ययन नहीं हुआ है जिसमें ये साबित हो सका हो कि SARS-CoV-2 वायरस के एंटीबॉडीज़ वाले लोगों को फिर से ये संक्रमण नहीं होगा.”
संगठन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि “वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में एंटी बॉडीज़ से उत्पन्न रोग प्रतिरोधी क्षमता के प्रभावशाली होने के बारे में अभी ऐसे कोई पुख़्ता सबूत नहीं है जिसके आधार पर ‘इम्यूनिटी पासपोर्ट’ या ‘जोखिम मुक्त सर्टिफ़िकेट’ जारी कर दिया जाए.”
WHO का कहना, “जो लोग ये मान लेंगे कि उन्हें एक बार इस वायरस का संक्रमण होने के बाद फिर से ये संक्रमण नहीं होगा, वो दोबारा ये संक्रमण होने पर लापरवाही बरत सकते हैं और स्वास्थ्य चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं. इसलिए ‘जोखिम मुक्त सर्टिफ़िकेट’ के कारण संक्रमण फैलने का ख़तर बरक़रार रह सकता है.”
स्वास्थ्य एजेंसी ने बाद में अपने एक ट्विवटर संदेश में स्पष किया कि कोविड-19 के संक्रमण से स्वस्थ होकर जीवित बचने वाले ज़्यादातर लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधि क्षमता यानी एंटीबॉडीज़ बन जाएंगे जिनसे एक एक सुरक्षा कवच बन जाएगा.
“हम अभी ये नहीं जानते कि इस सुरक्षा कवच का स्तर क्या होगा और ये कितने समय तक प्रभावशाली रहेगा. हम इस बारे में बेहतर समझ विकसित करने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि किसी व्यक्ति में मौजूद एंटीबॉडीज़ कोविड-19 के संक्रमण के बारे में कैसा बर्ताव करेंगे.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के ये नए दिशा-निर्देश ऐसे समय मे आए जब शुक्रवार को ही दुनिया भर के अनेक नेता, वैज्ञानिक, मानवतावादी और निजी सैक्टर के साझीदार कोविड-19 का इलाज करने के लिए नई दवा और चिकित्सा औज़ार विकसित करने की रफ़्तार बढ़ाने पर सहमत हुए हैं.
ये चिकित्सा सामग्री तैयार होने पर दुनिया भर में सभी लोगों के लिए जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.