कोविड-19 की आड़ में प्रैस की आज़ादी पर पाबंदियों से उपजी चिंता
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने चिंता जताई है कि कोरोनावायरस महामारी से उपजे हालात में अनेक देशों में प्रैस की आज़ादी के लिए नए ख़तरे पैदा हो गए हैं. शुक्रवार को उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में भरोसेमंद व सटीक रिपोर्टिंग हम सभी के लिए जीवन-रेखा के समान है.
हाल के समय में कई देशों में स्वतंत्र मीडिया पर अनेक पाबंदियाँ लगाई गई हैं, पत्रकारों को डराया धमकाया गया है और गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं.
इस पृष्ठभूमि में यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने सूचना के निर्बाध प्रवाह पर रोक लगाने की कोशिशों पर चिंता ज़ाहिर की है.
उन्होंने कहा कि सूचना की आसान उपलब्धता कोविड-19 पर क़ाबू पाने के लिए बेहद अहम है.
UN Human Rights Chief is alarmed at the hostile environment some political leaders have created towards the media: free flow of information about #COVID19 is vital."Credible, accurate reporting is a lifeline for us all" – @mbachelet.👉 https://t.co/KJ46am1lpl pic.twitter.com/W2lxIFUhpn
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“कुछ देशों ने इस महामारी का इस्तेमाल सूचना पर पाबंदी लगाने और आलोचना को कुचलने के लिए किया है. आज़ाद मीडिया की हमेशा ज़रूरत है लेकिन इस महामारी के समय जैसी ज़रूरत पहले कभी नहीं रही, जब इतने लोग अलग-थलग हैं और अपने स्वास्थ व आजीविका के कारण डरे हुए हैं.”
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि कुछ राजनैतिक नेताओं ने एक दुश्मनी भरा माहौल बना दिया है जिससे पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की सुरक्षा और काम करने की क्षमता प्रभावित होती है.
“यह संदेशवाहकों पर दोषारोपण का समय नहीं है. पत्रकारों को धमकी देने या आलोचना कुचलने के बजाय, देशों को महामारी और उसके नतीजों पर स्वस्थ बहस को प्रोत्साहित करना होगा.”
‘इंटरनेशनल प्रैस इंस्टीट्यूट’ के मुताबिक कोविड-19 महामारी की शुरुआत से अब तक कथित तौर पर प्रैस आज़ादी के 130 मामले सामने आए हैं. इनमें 50 से ज़्यादा ऐसे मामले हैं जिनमें सूचना पाने पर पाबंदियों के अलावा सेंसरशिप या सख़्त नियम लागू किए गए.
आलोचना पर अंकुश के प्रयास
एशिया-प्रशांत, अमेरिका, योरोप, मध्यपूर्ण और अफ़्रीका में अब तक लगभग 40 पत्रकार गिरफ़्तार किए जा चुके हैं जिनकी वजह महामारी से निपटने में सरकार की आलोचना करने या फिर कोविड-19 के मामलों व मृतकों की संख्या पर सवाल उठाने वाली पत्रकारिता बताई गई है.
प्रैस इंस्टीट्यूट ने आशंका जताई है कि मीडिया अधिकारों के हनन और गिरफ़्तारियों के मामलों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है.
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मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा, “लोगों के पास उनका जीवन प्रभावित करने वाली निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में हिस्सा लेने का अधिकार है और स्वतंत्र मीडिया इसका एक अहम माध्यम है.”
उन्होंने कहा कि पारदर्शिता बरते जाने और प्रभावित होने वाले समुदायों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने से सार्वजनिक स्तर पर भरोसा क़ायम होता है और स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले निर्णयों में जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा सकती है.
स्वतंत्र मीडिया चिकित्साकर्मियों और विशेषज्ञों के लिए एक मंच प्रदान करता है ताकि वो परस्पर और जनता के साथ सूचना बाँट सकें.
महासचिव गुटेरेश की चिंताओं से सहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि ग़लत सूचनाएँ फैलने की बीमारी भी ख़तरनाक ढंग से फैल रही है.
इससे भ्रम और स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है इसलिए तथ्यों को परखने वाले और सत्य व स्पष्टता प्रदान करने वाले मीडियाकर्मियों की भूमिका और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है.