कोविड-19 पर कार्रवाई में मानवाधिकारों की महती भूमिका

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने नीतिगत उपायों के लिए गुरुवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसमें विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए मानवाधिकारों पर आधारित एक प्रभावी व समावेशी कार्रवाई पर ज़ोर दिया गया है. महासचिव गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी सिर्फ़ एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा नहीं है बल्कि एक मानवीय, आर्थिक और सामाजिक संकट है और यह तेज़ी से मानवाधिकारों का संकट भी बनता जा रहा है.
यूएन प्रमुख ने फ़रवरी 2020 में जारी कार्रवाई की अपनी पुकार का ध्यान दिलाते हुए कहा कि उसमें संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के केंद्र में मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को रखने का आहवान किया था.
इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कोविड-19 के ख़िलाफ़ कार्रवाई और हालात की पुनर्बहाली में मानवाधिकारों की भूमिका को रेखांकित किया गया है.
People — and their rights — must be front and centre in #COVID19 response and recovery efforts, says @antonioguterres in new report. https://t.co/hJyVGaI9DU #StandUp4HumanRights pic.twitter.com/AZTatC9eAK
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“संदेश स्पष्ट है: लोग – और उनके अधिकार – सर्वोपरि होने चाहिएँ. मानवाधिकारों के चश्मे में सभी नज़र आने चाहिए और सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी पीछे ना छूटने पाए.”
“यह एक आर्थिक संकट है. एक सामाजिक संकट. और मानवता के लिए एक संकट जो तेज़ी से मानवाधिकारों का संकट भी बनता जा रहा है.”
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों पर आधारित कार्रवाई का केंद्र बिंदु सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल है और इससे विश्वव्यापी महामारी को हराया जा सकता है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक वायरस अपना संक्रमण फैलाने में लोगों में भेदभाव नहीं करता लेकिन उसका असर सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में समाई गहरी कमज़ोरियों और ढांचागत असमानताओं को स्पष्टता से दर्शाता है. इसलिए ये ख़ामियाँ समुचित कार्रवाई के ज़रिए दूर करनी होंगी.
“हम कुछ समुदायों पर इसका असंगत प्रभाव देखते हैं, नफ़रत भरे संदेशों का उभरना, निर्बल समूहों को निशाना बनाया जाना, और भारी-भरकम सुरक्षा बंदोबस्त में निहित जोखिम स्वास्थ्य कार्रवाई को कमज़ोर बनाते हैं.”
उन्होंने कहा कि कुछ देशों में राष्ट्रवाद, लोकलुभावनवाद, निरंकुशता का उभार हुआ है और मानवाधिकारों को कमज़ोर करने का प्रयास हो रहा है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. यूएन प्रमुख ने सरकारों को पारदर्शी और जवाबदेह होने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा अहम बताया है.
उन्होंने कहा कि यह हमेशा ध्यान में रखना होगा कि ख़तरा वायरस से है, लोगों से नहीं.
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कोविड-19 के ख़िलाफ़ समावेशी और असरदार कार्रवाई के लिए मानवाधिकारों की भूमिका को अहम बताया गया है जिससे लोगों के लिए बेहतर नतीजे हासिल करने में मदद मिलेगी. इस रिपोर्ट में निम्न प्रमुख बिंदु रेखांकित किए गए हैं:
-लोगों के जीवन की रक्षा करना प्राथमिकता है. आजीविका के साधनों की रक्षा करके इस कार्य में मदद मिल सकती है. सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई के समानांतर हमें महामारी के आर्थिक व सामाजिक प्रभावों से निपटना होगा.
-वायरस भेदभाव नहीं करता लेकिन इसके प्रभाव करते हैं. वैश्विक ख़तरे से निपटने के लिए समावेशी, न्यायोचित और सार्वभौमिक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि किसी को भी पीछे ना छूटने दिया जाए.
-हर एक व्यक्ति को कार्रवाई में शामिल करना होगा. खुली, पारदर्शी और जवाबदेह कार्रवाई के लिए लोगों को जानकारी मुहैया कराना और निर्णय-प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना अहम है.
-वायरस से ख़तरा है, लोगों से नहीं. तात्कालिक और सुरक्षा उपाय अस्थाई हों, हालात के हिसाब से और लोगों की रक्षा करने के इरादे से लिए जाने चाहिए.
-इस वायरस को कोई भी देश अकेले नहीं हरा सकता. वैश्विक ख़तरे से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई की दरकार है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता महत्वपूर्ण है.
-हालात फिर से सामान्य होने के बाद हमें पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर होना होगा. इस संकट से जो ख़ामियाँ उजागर हुई हैं उन्हें मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित करके दूर किया जा सकता है.