कोविड-19: ‘लंबे समय तक वायरस की चपेट में रहेगी दुनिया’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी भरे अंदाज़ में कहा है कि जानलेवा कोरोनावायरस से दुनिया की अधिकांश आबादी के संक्रमित होने का ख़तरा अब भी बरक़रार है और सामान्य जीवन को पटरी पर लौटने में अभी एक लंबा समय लगेगा. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस के मुताबिक पश्चिमी योरोप में संक्रमण के फैलाव की रफ़्तार स्थिर हुई है लेकिन अफ़्रीका और लातिन अमेरिका में इसके मामलों का बढ़ना चिंता का कारण है.
दुनिया भर में कोविड-19 के संक्रमण के अब तक 25 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और एक लाख 60 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
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WHO
यूएन एजेंसी के महानिदेशक घेबरेयेसस ने स्पष्ट किया कि अधिकांश देशों में यह महामारी अपने शुरुआती चरण में है.
इसलिए यह भूलने की ग़लती नहीं की जा सकती कि हमें एक लंबा रास्ता तय करना है. दुनिया इस वायरस की चपेट में लंबे समय तक रहेगी.
पश्चिमी योरोप में महामारी के मामलों में या तो कमी देखी गई है या फिर उसके फैलाव की दर स्थिर हुई है. लेकिन अफ़्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका और पूर्वी योरोप में संक्रमितों की संख्या कम होने के बावजूद चिंता व्याप्त है क्योंकि यह संख्या लगातार बढ़ रही है.
जिन देशों में तालाबंदी या अन्य सख़्त पाबंदियाँ लागू हैं वहाँ लोग घरों तक सीमित हो जाने के कारण हताश हैं और अपनी पहले जैसी ज़िंदगी फिर शुरू करना चाहते हैं. उनके जीवन और आजीविका दोनों पर जोखिम भी है.
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि दुनिया पहले जैसे माहौल में नहीं लौट सकती है - इस समय सबसे बड़ा ख़तरा केवल संतुष्ट होकर बैठ जाना है.
“घर में रहने और शारीरिक दूरी बरते जाने के उपायों से कई देशों में संक्रमण का फैलाव दबाने में मदद मिली है, लेकिन यह वायरस अब भी बेहद ख़तरनाक है.”
उन्होंने कहा कि हर तथ्य दर्शाता है कि दुनिया की अधिकांश आबादी इससे संक्रमित हो सकती है, यानि महामारी फिर से बेक़ाबू हो सकती है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने दोहराया कि महामारी के शुरुआती दौर से संगठन जो क़दम उठाने की पैरवी करता रहा है वही सभी देशों में कार्रवाई की रीढ़ हैं:
- हर मामले को ढूंढा जाए
- हर मामले को अलग किया जाए
- हर केस का परीक्षण किया जाए
- हर संक्रमित की देखभाल की जाए
- संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाया जाए और उन्हें अलग किया जाए
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि जो देश इन छह प्रमुख बिंदुओं पर अमल नहीं करते, उन्हें संक्रमण के ज़्यादा मामलों का सामना करना पड़ेगा और ज़्यादा संख्या में लोगों की मौत होगी.
इसके समानांतर लोगों से संपर्क क़ायम कर उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाना होगा क्योंकि इस लड़ाई को तब तक असरदार ढंग से नहीं लड़ा जा सकता जब तक उसमें लोगों की पूर्ण भागीदारी ना हो.
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यूएन एजेंसी ने हाल ही में कहा था कि तालाबंदी और अन्य सख़्त पाबंदियाँ चरणबद्ध ढंग से उठाए जाने की ज़रूरत होगी और अगर ऐसा नहीं किया गया तो वायरस के नए सिरे से तेज़ी से फैलने का ख़तरा है.
कोविड-19 से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है जिससे निपटने के लिए यूएन एजेंसी दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रही है.
इन प्रयासों के तहत बेहद दबाव भरी परिस्थितियों में काम कर रहे व्यक्तियों व स्वास्थ्यकर्मियों के लिए तकनीकी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
साथ ही कोविड-19 के बारे में बच्चों के लिए एक निशुल्क पुस्तिका तैयार की गई है जिसे यूएन बाल कोष, यूएन शरणार्थी एजेंसी और अन्य साझीदार संगठनों के साथ मिलकर तैयार किया गया है.
दो सप्ताह के भीतर इस पुस्तिका को 100 से ज़्यादा भाषाओं में अनुवाद करने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं और अब इसे कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या बच्चों, सीरिया, यमन, इराक़ और नाइजीरिया सहित अन्य देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है.