कोविड-19: पृथ्वी के बाशिन्दों को 'नींद से जगा देने वाली अभूतपूर्व घंटी'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को ‘अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी मॉं दिवस’ (International Mother Earth Day) के अवसर पर ध्यान दिलाया है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 एक नींद से जगा देने वाली एक अभूतपूर्व घंटी है लेकिन इससे सबक़ लेते हुए ऐसे विकास की दिशा में संसाधन निवेश करने होंगे जिनसे जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में मदद मिले और टिकाऊ विकास का मार्ग प्रशस्त हो.
यूएन प्रमुख ने माना कि कोरोनावायरस का दुनिया पर भारी और भयावह असर हुआ है. उन्होंने कहा कि लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने, पीड़ा कम करने और आर्थिक व सामाजिक नतीजों के दंश को दूर करने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा.
उन्होंने कहा कि जलवायु व्यवधान उस पड़ाव पर पहुँच रहे हैं जहाँ से वापसी संभव नहीं होगी. विश्वव्यापी महामारी से पहले से ही दुनिया एक आपात स्थिति का सामना कर रही है.
Everything we do during and after the #COVID19 crisis should have a strong focus on building a more equal, inclusive & sustainable world.The #GlobalGoals are our roadmap to recovery: https://t.co/lYokgNDZm3 pic.twitter.com/t0x63ylGyc
antonioguterres
“ग्रीनहाउस गैसें वायरस की तरह राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करती. कोरोनावायरस और अस्तित्व पर जलवायु व्यवधान के ख़तरे - दोनों ही से, अपने ग्रह की रक्षा करने के लिए हमें निर्णायक कार्रवाई करनी होगी.”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की चुनौती से उबरने के लिए इसे एक ऐसे अवसर के रूप में देखने की ज़रूरत है जिससे भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है.
अर्थव्यवस्थाओं को फिर से स्फूर्ति प्रदान करने के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता है लेकिन उसका निवेश स्वच्छ और हरित विकास में करना होगा और उनसे रोज़गार के नए अवसर पैदा करने होंगे.
अगर व्यवसायों की मदद के लिए करदाताओं के धन का इस्तेमाल किया जाना है तो इसका इस्तेमाल हरित रोज़गारों और टिकाऊ विकास की शर्त के साथ होना चाहिए.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि समाजों की सहनशीलता बढ़ाने के लिए यह ज़रूरी है कि वित्तीय संसाधन कोयले से हरित अर्थव्यवस्था की ओर मोड़े जाएँ.
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधनों को दी जाने वाले अनुदान समाप्त करने होंगे, प्रदूषण फैलाने वालों को रक़म अदा करनी होगी और सार्वजनिक कोष का इस्तेमाल टिकाऊ विकास के सैक्टरों में करना होगा जिनसे पर्यावरण और जलवायु परियोजनाओं को आगे बढ़ाना संभव हो.
इसके अलावा वित्तीय प्रणालियों, नीति-निर्माण और बुनियादी ढाँचे को तैयार करते समय जलवायु संबंधी जोखिमों और अवसरों का ध्यान रखा जाना होगा.
ये भी पढ़ें: जयपुर साहित्य महोत्सव में जलवायु मुद्दा भी चर्चा में
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इन सब लक्ष्यों को पाने के लिए यह ज़रूरी है कि दुनिया एक अंतररष्ट्रीय समुदाय के रूप में साथ मिलकर काम करें.
“आइए, इस पृथ्वी दिवस पर, हम साथ मिलकर लोगों व ग्रह के लिए एक स्वस्थ और सहनशील भविष्य की मॉंग करें.”
यूएन महासभा के प्रमुख तिजानी मोहम्मद-बांडे ने इस दिवस पर अपने संदेश में प्रकृति के साथ तारतम्यता क़ायम करने पर ज़ोर दिया है ताकि एक न्यायसंगत, टिकाऊ और समृद्ध समाज का निर्माण हो सके.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण हर एक इंसान के जीवन पर भारी असर हुआ है, अभूतपूर्व चुनौती उत्पन्न हो गई है, और यह समझा जाने लगा है कि एकजुटता की भावना ही रक्षा का सर्वश्रेष्ठ उपाय है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि मानवता-केंद्रित समाज के बजाय पृथ्वी-केंद्रित वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्रों के निर्माण के ज़रिए ही मॉं पृथ्वी का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पृथ्वी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में शिक्षा का अहम योगदान है और कि सभी एक दूसरे को कुछ सिखा सकते हैं व ख़ुद सीख भी सकते हैं. दुनिया एकसाथ मिलकर टिकाऊ विकास की दिशा में प्रकृति के साथ समरसता क़ायम करते हुए आगे बढ़ सकती है.
यूएन महासभा प्रमुख ने सभी सदस्य देशों से मॉं पृथ्वी की रक्षा करने के लिए अपने संकल्पों को मज़बूत बनाने की पुकार लगाई है, विशेषकर टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा के लिए.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2009 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसके बाद हर साल 22 अप्रैल को यह दिवस मनाया जाता है.