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कोविड-19 संकट से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए समर्थन बढ़ा

यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे जनरल डिबेट का समापन करते हुए.
UN Photo/Cia Pak
यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे जनरल डिबेट का समापन करते हुए.

कोविड-19 संकट से अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए समर्थन बढ़ा

यूएन मामले

180 से ज़्यादा देशों से मिले ऑंकड़े दर्शाते हैं कि आम जनता में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भारी समर्थन है – विश्व भर में कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से इस समर्थन में और ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई है. लोगों की राय उनके साथ संवाद व ऑनलाइन सर्वेक्षण के ज़रिए एकत्र की गई है जो संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर शुरू की गई मुहिम (यूएन-75) का हिस्सा है.

'यूएन-75' मुहिम जनवरी 2020 में शुरू हुई थी जिसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों के समाधान की तलाश करने की दिशा में आम जनता की राय और सुझाव एकत्र करना है.

नतीजों के मुताबिक सर्वे में हिस्सा लेने वाले 95 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों ने वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए मिलजुलकर काम करने पर सहमति जताई है.

फ़रवरी 2020 महीने के अंत के बाद से वैश्विक सहयोग के लिए समर्थन में और मज़बूती देखने को मिली है. 

यही वो अवधि है जिसमें कोविड-19 महामारी से विश्व भर में स्वास्थ्य प्रणालियों, अर्थव्यवस्थाओं और सामाजिक मानकों के लिए नई चुनौती खड़ी हुई.

सर्वे दर्शाता है कि लोगों के लिए स्वास्थ्य के प्रति पनपता जोखिम उनकी सबसे बड़ी चिंताओं में शामिल है और इस वर्ष मार्च महीने की शुरुआत से यह चिंता और ज़्यादा गहरी हुई है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आशा जताई है कि यूएन की स्थापना के 75 साल पूरे करने का यह पड़ाव बहुपक्षीय सहयोग पर चिंतन-मनन का एक अवसर है.

उन्होंने कहा कि हमारे सामने विश्वव्यापी महामारी की चुनौती से तत्काल निपटने और यूएन की स्थापना के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पाने में दुनिया को इस समय इसी की ज़रूरत है.

इस सर्वे में तीन प्रमुख अहम नतीजें निकल कर सामने आए हैं:

- सर्वे में शामिल 95 फ़ीसदी लोगों ने रज़ामंदी जताई है कि वैश्विक चुनौतियों को संभालने के लिए देशों को साथ मिलकर काम करना होगा.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत बनाने पर सुझावों में नागरिक समाज व निजी क्षेत्र के साथ असरदार साझीदारियां क़ायम करने, और महिलाओं, युवाओं, आदिवासी समुदायों व निर्बल समूहों की आवाज़ों को नीति-निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना है.  

- मानवता के भविष्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों की सूची में जलवायु और पर्यावरण सर्वोपरि हैं.

इसके बाद हिंसक संघर्ष और अशान्ति का स्थान है जबकि स्वास्थ्य के लिए बढ़ते जोखिम तीसरे नंबर पर हैं, और इसमें इस साल मार्च महीने के बाद तेज़ बढ़ोत्तरी देखी गई है. 

- भविष्य के लिए ये पॉंच प्रमुख प्राथमिकताएं उभरी हैं: पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकारों की रक्षा, हिंसक संघर्षों में कमी, बुनियादी सेवाओं तक समानता आधारित पहुँच, और शून्य भेदभाव यानी भेदभाव का अंत.

यूएन के लिए अकादमिक सलाहकार और 'यूएन-75' मुहिम के लिए रिपोर्ट तैयार कर रही टीम में शामिल सिसिलिया कैनन ने यूएन न्यूज़ को बताया कि कोविड-19 हमें दुनिया के साथ मिल कर काम करने की ज़रूरत की तरफ़ ध्यान दिलाता है.

उनके मुताबिक यह एक झलक भी है कि अगर हमने बेहतर ढंग से मिलकर काम नहीं किया तो हम किस विनाशकारी रास्ते पर जा रहे हैं.

क्या है 'यूएन-75'?

'यूएन-75' के तहत शुरू किए गए संवाद का उद्देश्य यह जानना है कि सभी के लिए बेहतर दुनिया के निर्माण में संगठन किस तरह और ज़्यादा काम कर सकता है.

इस प्रक्रिया में विविध पृष्ठभूमि और देशों से आने वाले लोगों की राय व सुझाव शामिल किए जा रहे हैं.

कोविड-19 के कारण निजी तौर पर संवाद स्थापित करने के कार्य में कुछ मुश्किल हुई है लेकिन इस समस्या पर पार पाने के लिए डिजिटल संवादों के साथ-साथ टैक्स्ट व संदेशों, फ़ोन पर बातचीत का सहारा लिया जा रहा है, विशेषकर उन इलाक़ों में जहां इंटरनेट अच्छी हालत में उपलब्ध नहीं है. 

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इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग में मज़बूती लाने वाले सुझाव सामने लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. 

'इस पहल को वैश्विक स्तर पर वास्तविकता को जानने-समझने (Global reality check) का एक अवसर बताया गया है जिसमें एक बेहतर भविष्य के निर्माण से संबंधित बातचीत को बढ़ावा दिया जाएगा और समाधान सुने जाएंगे.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश इस प्रक्रिया से जुटाए गए राय-मशविरों को विश्व नेताओं और यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष सितंबर 2020 में होने वाले एक उच्च-स्तरीय आयोजन के दौरान पेश करेंगे.

यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा.