कोविड-19 'लॉकडाउन सबक़', युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए पहल

मादक पदार्थों और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने भारत में अपने ‘एजुकेशन फॉर जस्टिस इनीशिएटिव’ कार्यक्रम के तहत कोविड-19 और टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी), और शांति एवं क़ानून पर इसके प्रभाव को लेकर छात्रों और शिक्षकों के साथ ऑनलाइन संवादों की 'लॉकडाउन लरनर्स' श्रृंखला शुरू की है.
इस पहल का उद्देश्य छात्रों में निर्बल तबके की समस्याओं के प्रति समझ विकसित करने के साथ-साथ उन्हें साइबर अपराध, लिंग आधारित हिंसा, भेदभाव, और भ्रष्टाचार जैसे उभरते मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाना है.
शनिवार को शुरू हुई ‘लॉकडाउन लरनर्स’ श्रृंखला छात्रों के लिए गतिविधि-आधारित शिक्षा के ज़रिए सलाह और ज्ञान प्राप्त करने व अपनी प्रतिभा और कौशल से जागरूकता फैलाने का एक अवसर है. साथ ही यह श्रृंखला विचार और समाधान प्रस्तुत करके इनमें से कुछ समस्याओं को हल करने का मंच भी प्रदान करेगी.
दक्षिण एशिया के लिए यूएन कार्यालय के क्षेत्रीय प्रतिनिधि सर्गेई कपिनोस ने बताया, “UNODC का मानना है कि इस संकट को शिक्षा के बग़ैर दूर नहीं किया जा सकता, और यह समझ संयुक्त राष्ट्र के 'किसी को पीछे ना छूटने देने' और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के सिद्धांतों के अनुरूप है."
"इसलिए इसमें हर रोज़ सामने आ रहे कोविड-19 के प्रभावों, ख़ासतौर पर बच्चों और युवाओं से संबंधित मानवाधिकारों, स्वास्थ्य, शांति, सुरक्षा और क़ानून से जुड़े मुद्दों पर सबसे ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा.”
UNODC की इस पहल की विशेषता यह है कि इसमें बच्चों की सोचने की शक्ति बढ़ाने और उनमें विशेष कौशल का निर्माण करने पर ज़ोर दिया गया है.
इन उत्पादों में निशुल्क इस्तेमाल के लिए शैक्षणिक सामग्री, कॉमिक्स, बोर्ड और ऑनलाइन गेम्स, द ज़ॉरब्स कार्टून श्रृंखला और दूसरे अनेक विकल्प और वीडियो शामिल हैं जिनका उपयोग शिक्षक और छात्र, शांति और क़ानून के नियम समझने के लिए घर बैठकर ही कर सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 पर अपनी रिपोर्ट 'साझा जिम्मेदारी, वैश्विक एकजुटता' जारी करते हुए कहा है कि लगभग 165 देशों में स्कूल और विश्वविद्यालय बंद हैं जिसके कारण दुनिया के 87 प्रतिशत स्कूलों और विश्वविद्यालयों के 1 अरब 52 करोड़ से अधिक बच्चे और युवा छात्र प्रभावित हैं,
वे फिलहाल स्कूल या विश्वविद्यालय नहीं जा पा रहे हैं. इसके अलावा, लगभग 6 करोड़ 2 लाख शिक्षक अपनी कक्षाओं से दूर हैं. दुनिया ने पहले कभी एक साथ इतने ज़्यादा बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान को नहीं देखा.
इस तरह की तालाबंदी होने और स्कूल बंद होने से बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. साथ ही लड़कों और लड़कियों के लिए शोषण और दुरुपयोग का जोखिम भी पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है.
इसी वजह से फ़िलहाल भेदभाव, लिंग आधारित हिंसा, ग़लत सूचना और साइबर अपराध जैसे जो मुद्दे उभर रहे हैं, उन पर बच्चों को जागरूक बनाने की आवश्यकता है.
यूएन एजेंसी का मानना है कि किसी भी युवा केंद्रित रणनीति का मूल तत्व तथ्य-आधारित और संतुलित कार्रवाई के साथ मानवाधिकारों का सम्मान और क़ानून होना चाहिए.
ऐसे में आशा जताई गई है कि नई पहल से अगली पीढ़ी को बेहतर ढंग से समझने और उन समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी जो क़ानून लागू करने के रास्ते में आड़े आ सकती हैं.
इससे छात्रों को अपने समुदायों से सक्रिय रूप से जुड़ने का प्रोत्साहन भी मिलेगा.