'यमन दो मोर्चों पर युद्ध नहीं लड़ सकता'

यमन में वैश्विक महामारी कोविड-19 के और ज़्यादा गंभीर होते जाने के कारण अब बिल्कुल सही वक़्त है कि युद्धरत पक्ष अपनी अदावत ख़त्म करके लड़ाई बन्द कर दें. यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने गुरूवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुरक्षा परिषद की एक अनौपचारिक बैठक में कही.
उन्होंने कहा, “यमन एक साथ दो मोर्चों का सामना नहीं कर सकता: युद्ध और एक वैश्विक महामारी. और वायरस का मुक़ाबला करने में यमन के सामने अब जो नया युद्ध दरपेश है, उसी में उसकी सारी ताक़त लग जाएगी."
इस युद्ध को तत्काल रोके जाने और सारे संसाधन इस नई मुसीबत का मुक़ाबला करने में लगा देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.”
ध्यान रहे कि यमन में अनेक वर्षों से सरकार समर्थित सेनाओं और हूती विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है.
सरकारी पक्ष को गठबंधन का समर्थन हासिल है जबकि हूती विद्रोहियों को अंसार अल्लाह आंदोलन भी कहा जाता है.
ये दोनों पक्ष ख़स्ता हालत में पहुँच चुके देश पर क़ब्ज़ा करने के लिए पाँच साल से भीषण युद्ध लड़ रहे हैं जहाँ विश्व का भीषणतम मानवीय संकट पैदा हो गया है.
यमन की लगभग 80 फ़ीसदी आबादी बाहरी व मानवीय सहायता पर निर्भर हो चुकी है.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि कि यमन में कोविड-19 महामारी के आने से वहाँ के लोगों की तकलीफ़ें और भी ज़्यादा दर्दनाक बनने का ख़तरा पैदा हो गया है.
“इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता जब युद्धरत पक्षों को अपनी बन्दूकें ख़ामोश कर देनी होंगी व संघर्ष समाप्त करके एक शान्तिपूर्ण और राजनैतिक समाधान की तलाश करनी होगी.”
यमन सरकार की सेनाओं को सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन का समर्थन हासिल है. इस गठबंधन ने यूएन महासचिव की अपील पर ध्यान देते हुए 8 अप्रैल को आरंभिक रूप में एक पखवाड़े के लिए इकतरफ़ा युद्धविराम की घोषणा की थी.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कुछ ही दिन पहले दिए अपने सन्देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी को देखते हुए वैश्विक युद्धविराम की अपील की थी.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स यमन में एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम के प्रस्तावों पर दोनों युद्धरत पक्षों के बीच बातचीत कराने के लिए सक्रिय रहे हैं.
इनमें क़ैदियों कि रिहाई, सिविल सेवा के कर्मचारियों की वेतन अदायगी और मानवीय सहायता कार्यों के लिए रास्तों का खोला जाना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा शामिल है.
उनका कहना था, “मैं पुरउम्मीद हूँ, और मेरा विश्वास है कि – जो प्रस्ताव मैंने रखे हैं, हम उन पर आम सहमति की तरफ़ बढ़ रहे हैं, ख़ासतौर से, एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम के सिद्धांत पर, जिसे दोनों ही पक्षों का समर्थन हासिल है.”
विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को ये भी बताया कि इन घटनाक्रमों के बावजूद, अदावत अब भी जारी है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के लिए शीर्ष अधिकारी मार्क लोकॉक ने भी इस मौक़े पर बताया कि यमन में जनवरी के बाद से आम लोगों के हताहत होने की संख्या हर महीने बढ़ती ही रही है. इस अवधि के दौरान 500 लोग हताहत हुए हैं, उनमें से लगभग एक तिहाई बच्चे थे.
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कोविड-19 यमन में ऐसे समय पहुँचा है जब देश में पाँच साल की लड़ाई के कारण स्वास्थ्य ढाँचा बुरी तरह चरमरा गया है, लोगों की रोग प्रतिरोधी क्षमता बहुत कमज़ोर हो चुकी है और उनके अन्दर बीमारियों के लिए बहुत अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा हो गई हैं.
मानवीय सहायता कार्यों के संयोजक मार्क लोकॉक ने कहा, “परिणामस्वरूप स्वास्थ्य वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कोविड-19 यमन में बहुत तेज़ी से फैल सकता है, ज़्यादा व्यापक दायरे में और अनेक अन्य देशों की तुलना में जानलेवा नतीजों के साथ.”
वैसे तो कोविड-19 महामारी को कम करने के लिए किए जा रहे ऐहतियाती उपायों के कारण सहायता अभियानों की रफ़्तार पर कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन रास्तों को रोके जाने, असुरक्षा और स्टाफ़ और सामान ले जाने पर लगी प्रशासनिक पाबंदियों के कारण बाधित ज़रूर हो रहे हैं.
धन की कमी एक अन्य समस्या है, क्योंकि यमन में सहायता के लिए चलाए जा रहे 41 प्रमुख कार्यक्रमों और अभियानों में से 31 आने वाले कुछ सप्ताहों में बन्द हो जाएंगे, बशर्ते कि उन्हें सहारा नहीं दिया गया तो.
मार्क लोकॉक ने अतीत में बीमारियों को क़ाबू करने में सक्रिय रहे स्वास्थ्य दलों को खो देने का डर जताते हुए कहा, “हमें इन चिकित्सा दलों की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है – ना केवल कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिए, बल्कि बारिश का मौसम नज़दीक होने के कारण हैज़ा फिर से अपना सिर उठा सकता है.”