कोविड-19: साइबर जगत में बच्चों की सुरक्षा का ख़याल ज़रूरी
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया के अनेक देशों में तालाबंदी होने और लोगों के घरों तक सीमित हो जाने से अधिकतर बच्चे अब पढ़ाई-लिखाई और मनोरंजन के लिए ऑनलाइन माध्यमों पर समय बिता रहे हैं. लेकिन इस नई वास्तविकता से रूबरू बच्चों व युवाओं के लिए साइबर प्लैटफ़ॉर्म पर सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ भी उभरी हैं जिनसे निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
विश्व भर में डेढ़ अरब से ज़्यादा बच्चे और युवा स्कूलों के बंद होने प्रभावित हुए हैं और बहुत से बच्चे ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिए पढ़ाई कर रहे हैं और इन्हीं माध्यमों के ज़रिए अपने दोस्तों से संपर्क बनाए हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने बताया कि कोविड-19 की छाया गहराने से लाखों-करोड़ों बच्चों की ज़िंदगी अस्थाई रूप से घरों और स्क्रीनों तक सीमित हो गई है.
School closures due to #COVID19 have resulted in millions of children spending more time online, leaving them vulnerable to sexual exploitation.@UNICEF has steps governments, parents & the tech industry can take to keep children safe online. https://t.co/GbZWlazTgh
UN
उनका कहना है कि वर्चुअल माध्यमों पर ज़्यादा समय बिताने से बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि कोविड-19 के दौरान कुछ लोग इसका नाजायज़ फ़ायदा भी उठा सकते हैं.
“इस नई वास्तविकता का सामना करने में हमें उनकी मदद करनी होगी.”
बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा का अंत करने के लिए ‘ग्लोबल पार्टनरशिप’ यूएन एजेंसियों, सरकारों, उद्योग जगत, क्षेत्रीय अंगों, नागरिक समाज और अन्य पक्षकारों के बीच सार्वजनिक-निजी सहयोग का एक उदाहरण है.
‘ग्लोबल पार्टनरशिप’ के कार्यकारी निदेशक हॉवर्ड टेलर ने बताया, “स्कूलो के बंद होने और सख़्त पाबंदियां लागू होने से ज़्यादातर रिवारों को टैक्नॉलॉजी और डिजिटल समाधानों पर निर्भर होना पड़ रहा है ताकि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और मनोरंजन के अलावा वे बाहरी दुनिया से भी जुड़े रह सकें.”
उन्होंने आगाह किया कि लेकिन हर बच्चे के पास ऑनलाइन माध्यमों पर ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी ज्ञान, कौशल और संसाधन नहीं है.
बच्चों की सुरक्षा
यूएन एजेंसी के मुताबिक मित्रों या संगी-साथी से निजी संपर्क में कमी आने और सामाजिक दूरी बरते जाने के कारण लोगों के जोखिम भरे क़दम उठाने की आशंका बढ़ जाती है – जैसे कामुक तस्वीरें ऑनलाइन भेजा जाना.
तालाबंदी के दौरान बच्चे ऑनलाइन माध्यमों पर ज़्यादा समय बिता रहे हैं और ऐसे में उनके नुक़सानदेह सामग्री के संपर्क में आने और साइबर बुलीइंग (डराए-धमकाए जाने) का ख़तरा बढ़ जाता है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने सरकारों और उद्योग जगत के साथ मिलकर बच्चों और युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया है.
इसके लिए बचाव एवं सुरक्षा उपाय अपनाने और नए ऑनलाइन साधनों के ज़रिए अभिभावकों और शिक्षकों को यह बताना होगा कि बच्चे इंटरनेट का सुरक्षित इस्तेमाल किस तरह कर सकते हैं.
शुरुआती सिफ़ारिशें
यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठनों – ग्लोबल पार्टनरशिप, अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU), यूएन शैक्षिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन जोखिमों को कम करने क लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
सरकारों से महामारी के दौरान भी बाल संरक्षण सेवाओं को खुला और सक्रिय रखने का आग्रह किया गया है.
साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवा में कार्यरत कर्मचारियों को कोविड-19 के प्रभावों के बारे में प्रशिक्षित किया जाना होगा.
इस क्रम में जागरूकता का प्रसार करने, साइबर सुरक्षा के प्रति शिक्षाप्रद पहलों को बढ़ावा देने और स्थानीय हैल्पलाइन व हॉटलाइन की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया है.
इस बीच सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी और सोशल मीडिया कंपनियों से ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षा उपायों, ख़ासतौर पर ‘वर्चुअल लर्निंग टूल्स’ को मज़बूत बनाने का अनुरोध किया गया है.
उन्हें बाल सुरक्षा सेवाएँ मुहैया कराने वाली सेवाओं और हेल्पलाइन को बढ़ावा देने, उनकी उपलब्धता संभव बनाने के लिए कहा गया है और इन सेवाओ से जोड़ते समय निम्न आय वाले घरों में रह रहे बच्चों की इंटरनेट कनेक्टिविटी को भी ध्यान रखना होगा.
स्कूलों से कहा गया है कि बच्चे अब घर पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और इसलिए इन नई वास्तविकताओं को सुरक्षा नीतियों में परिलक्षित करते हुए उनमें ज़रूरी बदलाव करने होंगे. साथ ही स्कूल-आधारित परामर्श सेवा की सुलभता भी बरक़रार रखनी होगी.
अभिभावकों पर यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी है कि उनके बच्चों के फ़ोन व कंप्यूटर में नवीनतम सॉफ्टवेयर और एंटी-वायरस अपडेट हो.
उन्हें अपने बच्चों के साथ बातचीत करके इंटरनेट के इस्तेमाल के नियम बनाने और यह जानने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है कि बच्चे ऑनलाइन माध्यमों पर किन से संपर्क में हैं.