कोविड-19: 'यह समय WHO के संसाधनों में कटौती करने का नहीं'
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की चुनौती को पीछे धकेलने की लड़ाई में यह समय वैश्विक स्तर पर एकजुट होने का है, ना कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संसाधनों में कटौती करने का. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा है कि वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई को असरदार ढंग से आगे बढ़ाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को समर्थन दिया जाना ज़रूरी है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ओर से यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की उस घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने मंगलवार शाम को यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को दी जाने वाली धनराशि तब तक रोके जाने की बात कही है जब तक महामारी फैलने के शुरुआती चरण में एजेंसी द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती.
Science, solidarity and smart policies.These are the key elements of the @UN global response to the #COVID19 pandemic.https://t.co/Bk32sCFvB1
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने कहा, “जैसाकि मैंने 8 अप्रैल को कहा था, कोविड-19 महामारी दुनिया की एक ऐसा बेहद ख़तनाक़ ख़तरनाक चुनौती है जिसका सामना हम अपने जीवनकाल में पहली बार कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि यह एक मानवीय संकट है जिससे गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक नतीजे जुड़े हैं.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा है कि यह समय यूएन स्वास्थ्य एजेंसी या कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटी अन्य किसी मानवीय राहत एजेंसी के संसाधनों में कटौती करने का नही है.
उन्होंने कहा कि यह समय एकजुटता दिखाने का है ताकि वायरस और उसके विनाशकारी नतीजों को रोका जा सके.
“यह मेरा विश्वास है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को समर्थन दिया जाना होगा क्योंकि कोविड़-19 के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई में इसकी भूमिका बेहद अहम है.”
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि हज़ारों की संख्या में यूएन एजेंसी के कर्मचारी वास्तविक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, अग्रिम मोर्चों पर वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटे हैं, सदस्य देशों को समर्थन दे रहे हैं और बेहद नाज़ुक हालात में रहने के लिए मजबूर लोगों की सेवा कर रहे हैं.
उन्हें इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए यूएन एजेंसी से दिशानिर्देश, ट्रेनिंग, उपकरण और ठोस जीवन-रक्षक सहायता मिल रहे हैं.
पिछले सप्ताह जारी अपने बयान में कही गई बातों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हमारे जीवनकाल में यह वायरस अभूतपूर्व है और इससे निपटने के लिए अभूतपूर्व कार्रवाई की ज़रूरत है.”
उन्होंने कहा कि एक जैसे तथ्यों से अलग-अलग संस्थाओं द्वारा अलग-अलग निष्कर्ष निकाला जाना संभव है.
यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि जब दुनिया इस महामारी को क़ाबू में कर लेगी तो वह समय भी आएगा जब यह पता लगाया जा सकेगा कि किस तरह यह बीमारी उभरी और दुनिया भर में इससे इतनी जल्दी तबाही कैसे फैल गई, और जो पक्ष इससे निपटने की कार्रवाई में शामिल थे उन्होंने किस तरह से क़दम उठाए.
“जो सबक़ सीखे जाएंगे वो ऐसी ही अन्य चुनौतियों से असरदार ढंग से निपटने के लिए ज़रूरी होंगे, जो भविष्य में उभर सकती हैं.”
उन्होंने कहा कि लेकिन फ़िलहाल यह वो समय नहीं है.
संसाधनों की उपलब्धता बेहद ज़रूरी
तब तक, "वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन या किसी अन्य मानवीय सहायता संगठन के अभियानों के संसाधनों में कमी करने का भी सही समय नहीं है."
एंतोनियो गुटेरेश ने स्पष्ट करते हुए कहा कि एकता रहना ज़रूरी है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर काम कर सके, "इस वायरस और इसके भयावह परिणामों को रोकने में एकजुटता के साथ."
जब से चीन के वूहान प्रान्त में ये बीमारी उभरी है, और किसी अज्ञात कारण से हुए न्यूमोनिया के पहले मामले की ख़बर पिछले वर्ष 31 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन की दो गई थी, तब से यूएन स्वास्थ्य एजेंसी आँकड़ों का विश्लेषण करने, परामर्श देने, साझीदारों के साथ तालमेल बिठाने, और तैयारी में देशों की मदद करने में रात दिन अधक काम कर रही है.
उसके लगभग एक महीने बाद इस बीमारी को अंतरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर दिया गया था.
अब तक इस वायरस से संक्रमण के 18 लाख से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं और एक लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.