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कोविड-19: ‘ग्रेट डिप्रेशन' के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का ख़तरा

न्यूयॉर्क के एस्टोरिया इलाक़े में एक फ़ार्मेसी में बचाव के लिए प्लास्टिक शीट को लगाया गया है.
UN Photo/Evan Schneider
न्यूयॉर्क के एस्टोरिया इलाक़े में एक फ़ार्मेसी में बचाव के लिए प्लास्टिक शीट को लगाया गया है.

कोविड-19: ‘ग्रेट डिप्रेशन' के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का ख़तरा

आर्थिक विकास

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया को 1930 के दशक की आर्थिक महामंदी (द ग्रेट डिप्रेशन) के बाद सबसे भीषण मंदी का सामना करना पड़ सकता है.  कोष ने मंगलवार को विश्व अर्थव्यवस्था के लिए अनुमान जारी करते हुए वैश्विक वृद्धि दर में नाटकीय गिरावट आने और उसके घटकर -3 होने की आशंका जताई है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शोध विभाग की निदेशक गीता गोपीनाथ ने अपने एक ब्लॉग में कहा है कि कोरोनावायरस के कारण हुई तालाबंदी से गतिविधियों में जिस तेज़ी और व्यापकता से गिरावट आई है उसका अनुभव हमने अपने जीवनकाल में अब तक नहीं किया है. 

कई देशों में स्वास्थ्य, वित्तीय संसाधनों और वस्तुओं की क़ीमतों में गिरावट सहित विविध प्रकार के संकट खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि ये सभी संकट जटिल ढंग से एक दूसरे से जुड़े हैं. 

आईएमएफ़ की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ के मुताबिक नीति-निर्माताओं ने घरों, कंपनियों, वित्त बाज़ारों को अभूतपूर्व मदद प्रदान करने की घोषणा की है, और अर्थव्यवस्था को फिर से मज़बूत बनाने के लिए यह ज़रूरी भी है.

लेकिन अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि तालाबंदी ख़त्म होने के बाद आर्थिक परिदृश्य किस तरह करवट लेगा. 

उन्होंने कहा कि अनुमानों के मुताबिक अधिकतर देशों में महामारी और उससे निपटने के लिए उठाए गए क़दमों की ज़रूरत साल की दूसरी तिमाही में सबसे ज़्यादा होगी जिसके बाद उसमें धीरे-धीरे गिरावट आएगी. 

“अप्रैल में विश्व आर्थिक परिदृश्य में हमारा अनुमान है कि वैश्विक वृद्धि दर 2020 में गिरकर -3 प्रतिशत हो जाएगी. जनवरी 2020 के अनुमान से यह 6.3 प्रतिशत अंकों की कमी है जो एक बेहद कम अवधि में बड़ा बदलाव है. यह बदलाव ग्रेट लॉकडाउन को ग्रेट डिप्रेशन के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी बनाता है और यह वैश्विक वित्तीय संकट से कहीं ज़्यादा ख़राब है.”

हालाँकि वर्ष 2021 के लिए आशाएँ बरक़रार हैं बशर्ते के कोविड-19 बीते समय की बात हो जाए और उससे निपटने के लिए गए नीतिगत उपायों से बड़े पैमाने पर दिवालिएपन, रोज़गार खोने और अन्य वित्तीय दबावों की रोकथाम हो सके.  

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ष 2021 में अर्थव्यवस्था में उछाल आने का अनुमान जताया है और कहा है कि इसमें 5.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है.

विश्वव्यापी महामारी के कारण वैश्विक जीडीपी को होने वाला संचयी नुक़सान (Cumulative loss) नौ ट्रिलियन डॉलर तक होने की आशंका है जो जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं को मिला देने से भी ज़्यादा है.  

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सोमवार को बताया कि अफ़्रीका, एशिया, मध्य पूर्व और कैरीबियाई क्षेत्र में 25 सबसे निर्धन और निर्बल देशों के लिए तत्काल क़र्ज़ राहत का प्रबंध किया जा रहा है.

इससे इन देशों को कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्थाओं को पंगु बना देने प्रभावों से निपटने में मदद मिल सकेगी. 

ये क़दम संगठन के 'Catastrophe Containment and Relief Trust' उपायों के तहत उठाया गया है जिससे आपात मदद की ज़रूरत वाले देशों को 50 करोड़ डॉलर तक की अनुदान आधारित धनराशि उपलब्ध कराई जा सकती है.  

इन 25 देशों में अफ़ग़ानिस्तान, बेनिन, बुरकिना फ़ासो, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, चाड, कोमोरोस, कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाउ, हेती, लाइबेरिया, सिएरा लिओन, यमन, नेपाल सहित अन्य देश शामिल हैं.