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कोविड-19: इन पॉंच मायनों में अहम है WHO की भूमिका

काँगो गणराज्य में माया माया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों की जाँच करते हुए स्वास्थ्यकर्मी - स्वयंसेवक
WHO/D. Elombat
काँगो गणराज्य में माया माया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों की जाँच करते हुए स्वास्थ्यकर्मी - स्वयंसेवक

कोविड-19: इन पॉंच मायनों में अहम है WHO की भूमिका

स्वास्थ्य

कोविड-19 के संक्रमण का पहला मामला चीन के वूहान शहर में दिसंबर 2019 में सामने आने के बाद संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्वव्यापी महामारी  से निपटने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान उन पॉंच महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी दी जिनके तहत यूएन एजेंसी कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व कर रही है.

पुख़्ता तैयारी व कार्रवाई में देशों की मदद करना

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के लिए रणनीतिक तैयारी और कार्रवाई योजना (Strategic Prearedness and Response Plan) जारी किया है जिसके तहत उन प्रमुख उपायों और संसाधनों की शिनाख़्त की गई है जिनकी ज़रूरत कोविड-19 से निपटने की कार्रवाई के लिए होगी. 

ताज़ा उपलब्ध जानकारी और आंकड़ों के अनुरूप इस वायरस के प्रति समझ विकसित हो रही है और उसके अनुरूप ही योजना में बदलाव किए जा रहे हैं. ॉ

देशों में हालात के अनुरूप विशिष्ट उपाय करने की रणनीति इसके अनुरूप ही तैयार की जाती है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के अलावा विभिन्न देशों में 150 से ज़्यादा कार्यालय हैं.

इनमें तैनात कर्मचारी दुनिया भर में सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और कोविड-19 के प्रकोप से दुनिया को बचाने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को पुख़्ता बनाने के लिए प्रयासरत हैं.

 न्यूयॉर्क में माउंट साइनाइ अस्पताल में स्टाफ़ कोरोनावायरस के परीक्षण का इंतज़ार करते हुए.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने साझीदार संगठनों के साथ कोविड-10 से निपटने के लिए ‘एकजुटता कार्रवाई कोष’ (Solidarity Response Fund) बनाया है ताकि मरीज़ों के लिए समुचित देखभाल  व अग्रिम मोर्चे पर जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए ज़रूरी बचाव सामग्री और जानकारी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. 

इसके अलावा इस कोष के ज़रिए कोविड-19 पर शोध की गति को बढ़ाने, वैक्सीन विकसित करने और ज़रूरतमंदों के लिए उपचार की भी व्यवस्था की जा रही है. 

सरकारों, निजी सैक्टर और व्यक्तियों से मिले सहयोग से अब तक 80 करोड़ डॉलर की धनराशि का इंतज़ाम हुआ है या इतनी रक़म अदा करने के संकल्प लिए जा चुके हैं. 

सटीक जानकारी प्रदान करना, ख़तरनाक मिथक दूर करना 

विश्वव्यापी महामारी से जुड़ी हर तरह की जानकारी इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है. इसमें से कुछ जानकारी उपयोगी है लेकिन अक्सर बहुत सी ग़लत जानकारियाँ और भ्रान्तियाँ भी फैल रही हैं.

ग़लत सूचना के प्रकोप (Infodemic) से बचाने के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी सटीक और उपयोगी जानकारी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयासों में जुटी है ताकि लोगों की ज़िंदगियाँ  बचाई जा सकें. 

इनके तहत आमजन, स्वास्थ्यकर्मियों और देशों को तकनीकी सलाह उपलब्ध कराने के साथ-साथ तथ्यों पर आधारित दिशानिर्देश भी उपलब्ध कराए गए हैं ताकि भ्रांतियाँ दूर की जा सकें. 

इस कार्य में स्वास्थ्यकर्मियों और विशेषज्ञों के एक वैश्विक नेटवर्क से भी मदद मिल रही है ताकि जवाबी कार्रवाई को व्यापक और पुख़्ता बनाया जा सके. 

जानकारी की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए यूएन एजेंसी ने एक टीम का गठन किया है ताकि हर एक को सामयिक, सटीक और सरल भाषा में समझने लायक परामर्श विश्वसनीय स्रोतों से हासिल हो सके. 

इसके अलावा नियमित रूप से हालात की जानकारी देने वाली रिपोर्टें प्रकाशित की जा रही हैं और नियमित प्रैस वार्ता भी की जा रही हैं जिसमें ताज़ा आंकड़े, सूचना और तथ्य बताए जा रहे हैं.

सोशल मीडिया और टैक्नॉलॉजी जगत की अनेक कंपनियाँ भरोसेमंद जानकारी का प्रवाह सुलभ बनाने के लिए यूएन एजेंसी के साथ मिलकर काम कर रही हैं. इनमें इंस्टैग्राम, लिंक्डइन और टिकटॉक जैसी कंपनियां शामिल हैं जबकि चैट-बॉट्स के ज़रिए व्हॉट्सएप और वाइबर प्लेटफ़ॉर्म की मदद से समय पर अपडेट भेजे जा रहे हैं.

अहम निजी बचाव सामग्री को स्वास्थ्यकर्मियों तक पहुंचाना

मरीज़ों की देखभाल में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरत निजी बचाव सामग्री का उपलब्ध होना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक 20 लाख से ज़्यादा निजी बचाव सामग्री व उपकरणों (पीपीई) की इकाइयाँ 133 देशों में भेजी हैं. 

चीन में ज़रूरी मेडिकल सामग्री को भेजने की तैयारी में जुटे राहतकर्मी.

आने वाले दिनों में 20 लाख इकाइयाँ और भेजे जाने की तैयारी की जा रही है. अब तक 10 लाख से ज़्यादा डायग्नोस्टिक टैस्ट इकाइयाँ 126 देशों में भेजी जा चुकी हैं और अन्य का इंतज़ाम किया जा रहा है. 

लेकिन यूएन एजेंसी के मुताबिक अभी और ज़्यादा सामग्री जुटाए जाने की आवश्यकता है. इस दिशा में एजेंसी इंटरनेशनल चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स, विश्व आर्थिक मंच और निजी क्षेत्र के अन्य साझीदारों के साथ मिलकर प्रयास कर रही है ताकि ज़रूरी मेडिकल सामान की आपूर्ति व उत्पादन बढ़ाए जा सकें. 

8 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘UN COVID-19 Supply Chain Task Force’ यानि आपूर्ति श्रंखला कार्यबल शुरू किया है जिसका उद्देश्य ज़रूरी निजी बचाव सामग्री की उपलब्धता को तात्कालिक रूप से बढ़ाना है. 

स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित व संगठित करना 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का लक्ष्य लाखों की संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों को OpenWHO प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिए प्रशिक्षित करना है.

इस ऑनलाइन उपकरण के ज़रिए जीवन की रक्षा करने में सहायक जानकारी को अग्रिम मोर्चे पर जुटे स्वास्थ्यकर्मियों तक पहुँचाया जा रहा है. 

इसके तहत यूज़र्स एक सोशल लर्निंग नैटवर्क में हिस्सा लेते हैं जो इंटरएक्टिव, ऑनलाइन पाठ्यक्रम व सामग्री पर आधारित है जिसमें विभिन्न विषय शामिल किए गए हैं. 

OpenWHO एक ऐसे मंच के रूप में भी काम करता है जिसके ज़रिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञता की उपलब्धता तेज़ी से बढ़ाई जा  सकती है और उसके अलावा मुख्य मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श के साथ-साथ राय  व सलाह भी भेजी जा सकती है. अब तक 43 भाषाओं में 12 लाख से ज़्यादा लोग इसमें हिस्सा ले चुके हैं. 

इस कार्य में देशों को दुनिया भर में मौजूद उन विशेषज्ञों से भी मदद मिल रही है जिन्हें यूएन एजेंसी के Gloal Outbreak Alert and Response Network (GORAN) के तहत तैनात किया गया है.

महामारी के दौरान यह नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि ज़मीनी स्तर पर सही तकनीकी विशेषज्ञता और कौशल वाले स्वास्थ्यकर्मियों की मौजूदगी रहे, जब उनकी ख़ासतौर पर ज़रूरत होती है. 

आपात चिकित्सा दल वैश्विक स्वास्थ्य कार्यबल का अहम हिस्सा हैं. ये दल उच्च स्तर पर प्रशिक्षित होते हैं और उन्हें आपदा व आपात हालात में कहीं भी भेजा जा सकता है. 

वैक्सीन पर शोध

कई देशों की प्रयोगशालाओं में ऐसे परीक्षण हो रहे हैं जिनसे उम्मीद है कि वैक्सीन का रास्ता स्पष्ट हो सकेगा. इन प्रयासों को स्फूर्ति देने के लिए यूएन एजेंसी फ़रवरी महीने में 400 से ज़्यादा शीर्ष शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाई ताकि शोध प्राथमिकताओं की पहचान की जा सके. 

कोरोनावायरस की वैक्सीन पर रिसर्च का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

साथ ही ‘एकजुटता ट्रायल’ भी शुरू किया गया है जिसमें 90 से ज़्यादा देश कोविड-19 का असरदार इलाज ढूंढने में हिस्सा ले रहे हैं.

इन प्रयासों का लक्ष्य उन मौजूदा दवाईयों का परीक्षण करना है जो बीमारी के उपचार या लोगों के जीवन की रक्षा में सहायक साबित हो सकती हैं.  

वायरस को बेहतर ढंग से समझने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शोध प्रोटोकॉल विकसित किया है जिसे 40 से ज़्यादा देशों में समन्वित ढंग से इस्तेमाल किया जा रहा है.

130 वैज्ञानिकों, धनराशि उपलब्ध कराने वालों और निर्माताओं ने एक वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कोविड-19 के ख़िलाफ़ कारगर वैक्सीन को विकसित करने के लिए यूएन एजेंसी के साथ काम करने का संकल्प जताया गया है. 

निर्धनों व निर्बलों की मदद

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने 8 अप्रैल को प्रैस वार्ता के दौरान कहा कि यूएन एजेंसी अनेक अन्य कार्रवाईयों और पहलों का हिस्सा है लेकिन उनमें से सभी इन पांच ज़रूरी स्तंभों के तहत ही आते हैं. 

एजेंसी का मुख्य  ध्यान देशों व साझीदारों के साथ मिलकर काम करने पर है ताकि इस साझा ख़तरे के ख़िलाफ़ दुनिया को एक साथ लाया जा सके. 

उन्होंने कहा कि एक बड़ी चिंता विश्व में निर्धनतम और नाज़ुक हालात में रह रहे लोग व समुदाय हैं और सभी देशों में ऐसे लोगों की निष्पक्षता, तटस्थता व समानता के साथ मदद के लिए उनका संगठन संकल्पित है.