कोविड-19: हिरासत में रखे गए बच्चों को संक्रमण का 'गंभीर ख़तरा'

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने चिंता जताई है कि दुनिया के अनेक देशों में हिरासत में रखे गए लाखों बच्चों पर कोविड-19 के संक्रमण का ख़तरा मंडरा रहा है. यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठनों ने नाज़ुक हालात में रह रहे बच्चों को रिहा करने की पुकार लगाई है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.
यूनीसेफ़ प्रमुख हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि, “बहुत से बच्चों को भीड़भाड़ भरे और सीमित जगह वाले ऐसे स्थानों पर रखा जा रहा है जहाँ सेहतमंद आहार, स्वास्थ्य और साफ़-सफ़ाई सुलभ नहीं है."
"ये ऐसी परिस्थितियाँ हैं जिनमें कोविड-19 जैसी बीमारियों के फैलने का जोखिम ज़्यादा होता है.”
उन्होंने आशंका जताई है कि इनमें से ऐसे ही किसी एक केंद्र पर बीमारी किसी भी क्षण फैल सकती हैं.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि बच्चों के उपेक्षा, दुर्व्यवहार और लिंग-आधारित हिंसा का शिकार होने का जोखिम भी ज़्यादा होता है. ख़ासतौर पर अगर विश्वव्यापी महामारी के फैलने से उपजे हालात में देखभाल करने वाले कर्मचारियों की उपलब्धता पर असर पड़ा हो.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बच्चे नाबालिग़ न्याय प्रणाली का हिस्सा हैं जिसके तहत उन्हें मुक़दमा शुरू होने से पहले या अन्य प्रशासनिक कारणों से हिरासत केंद्रों में रखा जाता है.
कई बार ऐसा ही बर्ताव हिरासत में रखे गए परिजनों के साथ रह रहे बच्चों, सशस्त्र संघर्षों या राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से भी किया जाता है.
यूएन एजेंसी ने सरकारों और हिरासत केंद्रों के प्रशासन से तत्काल सभी बच्चों को रिहा करने की अपील की है ताकि वे अपने परिवारों या अन्य किसी सुरक्षित स्थानों (अन्य परिजन या समुदाय आधारित देखभाल केंद्र) को लौट सकें.
यूनीसेफ़ ने साथ ही हिरासत केंद्रों में नए बच्चों को लाए जाने पर स्वैच्छिक पाबंदी लगाए जाने की भी पुकार लगाई है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा है कि उनके संगठन और ‘एलायंस फ़ॉर चाइल्ड प्रोटेक्शन इन ह्यूमेनीटेरियन एक्शन’ ने अन्य बाल अधिकार संगठनों, शिक्षाविदों और यूएन एजेंसियों के साथ प्रशासन तंत्रों के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए हैं ताकि महामारी के दौरान आज़ादी से वंचित बच्चों का भी ख़याल रखा जा सके.
बाल संरक्षण अधिकारों और उनके कल्याण को हमेशा बरक़रार रखा जाना होगा जिसमें किसी तरह का संकटकाल भी शामिल है, और हिरासत में रखे गए बच्चों के अधिकार उनकी सुरक्षित रिहाई के ज़रिए सुनिश्चित किए जा सकते हैंं.