नेतृत्व की कड़ी 'परीक्षा' है - कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने कोविड-19 महामारी को नेतृत्व की एक विशाल परीक्षा क़रार देते हुए सर्वजन की ओर से सर्वजन के लिए निर्णायक, समन्वित और अभिनव कार्रवाई की आवश्यता पर बल दिया है. उन्होंने मानवता को केंद्र में रखने वाले ऐसे आर्थिक व सामाजिक उपायों को लागू करने की पुकार लगाई है जिनसे असमानताओं को और ज़्यादा बढ़ने से रोका जा सके.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने मानवाधिकार परिषद को अनौपचारिक रूप से जानकारी देते हुए बताया, “हम उस स्थान पर नहीं लौट सकते जहाँ हम कुछ ही महीने पहले थे.”
उन्होंने कोविड-19 संकट से निपटने के लिए सर्वजन से सर्वजन के लिए सहयोगपूर्ण, समन्वित और अभिनव कारर्वाई की अहमियत को रेखांकित किया है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, “हम आज अपनी मौजूदगी के रूप से भले ही दूरियों में हों, लेकिन हमें एक साथ खड़ा होना होगा.”
UN Human Rights Chief @mbachelet calls for urgent and detailed action to prevent the #COVID19 pandemic from creating even wider inequalities and extensive suffering.Full speech: https://t.co/7ZrUsGmDIj pic.twitter.com/g24KIhKZ7O
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किसी भी संकट के दौरान राष्ट्रीय प्रयासों को प्राथमिकता देना स्वाभाविक और आवश्यक है. लेकिन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया है कि यह एक विश्वव्यापी महामारी है और वैश्विक एकजुटता के सहारे ही इससे प्रभावी ढंग से लड़ाई सुनिश्चित की जा सकती है.
महामारी पर क़ाबू पाने के प्रयासों में जुटी सरकारों को हर दिन मुश्किल निर्णयों का सामना करना पड़ रहा है.
इन हालात में यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने वायरस के फैलाव से निपटते समय नागरिक व राजनैतिक अधिकारों का सम्मान किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
उन्होंने चिंता जताई कि कुछ देशों में ऐसी असीमित एमरजेंसी ताक़तें अपनाई गई हैं जो समीक्षा से परे हैं. इसके अलावा अन्य देशों में आज़ादियों और मीडिया पर अंकुश लगाने के क़दम उठाए गए हैं.
“मैं सभी सरकारों से सटीक जानकारी की सुलभता बढ़ाने के लिए आग्रह करती हूं.”
उन्होंने इंटरनेट और दूरसंचार माध्यमों पर व्यापक पाबंदियों का अंत करने का आहवान किया है और सचेत किया है कि पारदर्शिता सबसे अहम है और स्वास्थ्य संकट के दौरान यह जीवनरक्षक साबित हो सकती है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने संकट से निपटने के दौरान महिलाओं सहित नाज़ुक हालात में रहने को मजबूर लोगों व समुदायों का विशेष ध्यान रखने की बात कही है.
उन्होंने बताया कि दुनिया में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा स्वास्थ्यकर्मी महिलाएँ हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा और पर्याप्त मेहनताने का ख़याल रखा जाना ज़रूरी है.
अक्सर महिलाएँ अनौपचारिक सैक्टरों में काम करती हैं जहाँ वेतन कम मिलता है और बीमार होने पर सवेतन छुट्टी, स्वास्थ्य बीमा या सामाजिक संरक्षण योजना का अभाव होता है. वृद्धजनों को अक्सर बिना पेंशन के जीवन-यापन करना पड़ता है.
तालाबंदी के कारण महिलाएँ बीमार परिजनों, स्कूल नहीं जा रहे बच्चों और वृद्धजनों का भी ख़याल रख रही हैं जो उनके लिए अतिरिक्त भार है.
ऐहतियाती उपायों के तहत घर तक सीमित हो जाने के कारण महिलाओं व लड़कियों को घरेलू हिंसा का भी जोखिम उठाना पड़ रहा है.
नाज़ुक हालात में रह रहे जिन अन्य समुदायों का ध्यान रखे जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है उनमें निम्न समूह शामिल हैं: हिरासत में लिए गए लोग, विकलांग व्यक्ति, आदिवासी लोग और अल्पसंख्यक, प्रवासी, शरणार्थी और घरेलू विस्थापित, हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में फँसे आम लोग और अकेले रह रहे वृद्धजन.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों का 2030 एजेंडा एक ऐसा मज़बूत औज़ार है जिससे समावेशी व टिकाऊ अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण किया जा सकता है.
इससे समुदायों की सहन-क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी ताकि ऐसी विश्वव्यापी महामारी का मुक़ाबला करने की तैयारियों को पुख़्ता बनाया जा सके.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि पर्यावरण संरक्षण वह सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा है जिससे मानव स्वास्थ्य व कल्याण की रक्षा की जा सकती है.
मानवाधिकार प्रमुख के मुताबिक पर्यावरण क्षरण और जैवविविधता के खोने से ऐसी परिस्थितियों का निर्माण होता है जिनसे पशुओं से व्यक्तियों में संक्रमण फैल सकता है और फिर वह व्यापक रूप से फैल जाता है.
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मौजूदा महामारी से निपटने के लिए कोई भी देश तैयार नहीं था.
सभी देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, सामाजिक संरक्षण और सार्वजनिक सेवाओं में असमानताएं व्याप्त हैं और उससे हालात और ज़्यादा ख़राब हो जाते हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि वायरस पर क़ाबू पाने और फिर हालात को सामान्य बनाने के उपाय करते समय सभी को आगे क़दम बढ़ाकर वैश्विक एकजुटता का प्रदर्शन करना होगा. पुनर्निर्माण को बेहतर बनाना होगा.