कोविड-19: असरदार कार्रवाई के लिए समाज की सहभागिता अहम

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय (WHO SEARO) ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के फैलने की रफ़्तार तेज़ होने से गहरी हुई चिंताओं के बीच कहा है कि इस चुनौती से सरकारें व समाज पूरी तरह एकजुट होकर ही निपट सकते हैं. यूएन एजेंसी के मुताबिक कोरोनावायरस के फैलाव पर क़ाबू करने और मानव जीवन व अन्य संसाधनों को होने वाले नुक़सान को रोकने के लिए कार्रवाई के केंद्र में लोगों व समुदायों को रखना होगा.
दक्षिण-पूर्ण एशिया क्षेत्र में स्थित देशों ने हाल के दिनों में लोगों में शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए सख़्त और अभूतपूर्व ऐहतियाती क़दम उठाए हैं ताकि संक्रमण के फैलाव के चक्र को तोड़कर वायरस को क़ाबू में किया जा सके.
भारत, बांग्लादेश, म्यॉंमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड में डेढ़ अरब से ज़्यादा लोग तालाबंदी में अपने दिन गुज़ार रहे हैं.
दक्षिण-पूर्व एशिया कार्यालय में क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि इन प्रयासों को अगर स्थानीय समुदायों का समर्थन मिलता रहा तो इसका असर आने हफ़्तों में देखने को मिलेगा.
उन्होंने कहा, “एक ज़्यादा व्यापक कार्रवाई की ज़रूरत है जिसके केंद्र में समुदायों को रखना होगा. सबसे अहम बात यह है कि समुदायों को इसमें शामिल करना व उपयुक्त निर्णय लेने और उपाय करने के लिए उन्हें सशक्त बनाना है.”
“इसका दायित्व सभी पर होना चाहिए. इस चरण में, इस महामारी से होने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए हर किसी को योगदान देने की ज़रूरत है.”
उन्होंने ध्यान दिलाया है कि यह स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता बढ़ाने का भी एक अवसर है
डॉक्टर खेत्रपाल सिंह के मुताबिक शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए क़दमों के प्रभावी होने और स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत बनाने से वायरस फैलाव के हर चरण में मदद मिलेगी. जो इलाक़े सामुदायिक फैलाव से प्रभावित हैं, वहां भी संक्रमण के मामलों को नियंत्रण में लाया जा सकता है.
क्षेत्रीय निदेशक ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘एकजुटता ट्रायल’ में भागीदारी के लिए भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड की प्रशंसा की है.
कोविड-19 के असरदार उपचार की तलाश के लिए कई देशों में हो रहे इस ट्रायल में चार अलग-अलग दवाईयों और उनके मिश्रण को परखा जा रहा है.
उन्होंने सभी देशों से इस ट्रायल का हिस्सा बनने का आग्रह किया है. “यह एक ऐतिहासिक उपक्रम है जिससे कोविड-19 के उपचार में प्रभावी दवाईयों के बारे में मज़बूत तथ्यों को जुटाने में लगने वाला समय नाटकीय ढंग से कम हो जाएगा. देश जितनी अधिक संख्या में इसका हिस्सा बनते हैं, उतनी जल्दी हमें नतीजे मिलेंगे.”
डॉक्टर खेत्रपाल सिंह ने कहा कि ‘एकजुटता ट्रायल’ के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी जल्द ही दूसरे प्रोटोकॉल जारी करेगी जिनसे संक्रमणों के मामले, उनके फैलाव के स्तर के अलावा यह भी जानना संभव होगा कि वायरस भविष्य में किस तरह व्यवहार करेगा.
क्षेत्रीय निदेशक ने विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ ‘वर्चुअल’ बैठक कर हालात की समीक्षा की है.
अधिकांश देशों ने ज़रूरी मेडिकल उपकरणों, परीक्षण किटों, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए निजी बचाव सामग्री का इंतज़ाम करने और स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत बनाने की अहमियत को रेखांकित किया है.
“ये कमियां एक वैश्विक समस्या हैं और इनके कारण कार्रवाई पर बहुत असर पड़ेगा. अगर हम स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित नहीं रख सकते और पर्याप्त रूप से परीक्षण करने में असमर्थ हैं तो हम एक हाथ बॉंध कर लड़ रहे होंगे.”
डॉक्टर खेत्रपाल सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘पैन्डेमिक सप्लाई चेन नेटवर्क’ के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि वे सभी देश जो कोरोनावायरस से गंभीर रूप से प्रभावित हैं या फिर उसके फैलाव का जोखिम झेल रहे हैं, उन्हें सहयोग सुनिश्चित किया जा सके.
उन्होंने कहा कि सामुदायिक फैलाव के हर केस, क्लस्टर और तथ्य पर तेज़ी से कार्रवाई करनी होगी.
सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी उपायों पर ध्यान देना होगा – जैसे सक्रियता से मामलों का पता लगाना, संदिग्धों को अलग रखना, परीक्षण, उपचार और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाना बेहद शक्तिशाली औज़ार हैं.
तथ्यों पर आधारित उपायों के लिए मज़बूत निगरानी का होना बेहद ज़रूरी है.